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चैतन्यानंद पर आरोप बेहद गंभीर: बचाव पक्ष के वकील ने कहा- बाबा को फंसाया गया, तो कोर्ट ने पूछ लिया ये सवाल

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: विजय पुंडीर Updated Tue, 14 Oct 2025 05:12 AM IST
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सार

आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है और पीड़ित लड़कियों को धमकी देकर और बहकया गया है कि उनकी छात्रवृत्ति वापस ले ली जाएगी। उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है।

charges against Chaitanyananda Saraswati are very serious and will not be granted bail
चैतन्यानंद सरस्वती - फोटो : एएनआई
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पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को बाबा चैतन्यानंद सरस्वती की जमानत याचिका पर सुनवाई की। बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि सरस्वती को फंसाया गया है। इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीप्ति देवेश ने टिप्पणी की कि पीड़ितों की संख्या के कारण अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में वैधानिक जमानत देने का आधार नहीं बनता है। सरस्वती 17 छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं। अदालत ने सरस्वती के वकील के अनुरोध पर जमानत याचिका 27 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी।

आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठा फंसाया गया है और पीड़ित लड़कियों को धमकी देकर और बहकया गया है कि उनकी छात्रवृत्ति वापस ले ली जाएगी। उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि आप कह रहे हैं कि आरोपी को फंसाया गया है लेकिन पीड़ित तो 17 हैं। एक, दो, शायद तीन को भी बहकाना संभव है, लेकिन सभी 17 को कैसे मनाना संभव है?

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सरस्वती के वकील ने कहा कि बीएनएस धारा 232 (किसी व्यक्ति को झूठी गवाही देने के लिए धमकाना) को छोड़कर सभी कथित अपराध जमानत योग्य हैं और यह अपराध, जिसेबाद में जांच के दौरान जोड़ा गया था, अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यहां एक निजी प्रबंधन संस्थान के पूर्व अध्यक्ष सरस्वती को कथित अपराधों से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं है और मामले में बीएनएस धारा 232 नहीं बनती।

वकील ने कहा कि आरोप हैं कि उन्होंने होली पर अपने शिष्यों पर रंग डाला और उनसे हाथ मिलाया। कृपया आरोपों पर गौर करें। कोई यौन अपराध नहीं है। न्यायाधीश ने जवाब दिया कि पीड़ितों के बयान सभी 17 क्या वे ठोस सबूत नहीं हैं। कार्यवाही के दौरान, निजी प्रबंधन संस्थान के वकील ने अदालत को बताया कि सरस्वती के दुष्कर्म के बारे में भारतीय वायु सेना की एक महिला ग्रुप कैप्टन से ईमेल मिलने के बाद इस मामले का खुलासा हुआ।

जांच अधिकारी (आईओ) ने अदालत को बताया कि शिकायतकर्ताओं के मोबाइल फोन में गायब होने वाले संदेश सुविधा चालू होने के कारण उनके व्हाट्सएप चैट उपलब्ध नहीं थे और चैट के केवल स्क्रीनशॉट ही उपलब्ध थे। आईओ ने कहा कि तीन महिलाएं भी शामिल हैं। उन्होंने छात्राओं को चैट डिलीट करने के लिए मजबूर किया। अदालत के पूछे जाने पर कि क्या तीनों महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है, आईओ ने कहा कि उन्हें केवल बांधकर रखा गया था।

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