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धूल, धुंध और दिल्ली: जहरीली हवा पर MCD ने NGT में पेश की रिपोर्ट, बताया राजधानी की 'रक्षा' के लिए क्या किया
नितिन राजपूत, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Mon, 08 Dec 2025 01:58 AM IST
सार
दिल्लीवालों को वायु प्रदूषण से बचाने का कोई भी उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा।
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Delhi Air Pollution
- फोटो : ANI
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विस्तार
राजधानी की जहरीली हवा की कहानी एक बार फिर अदालत की दहलीज तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में लंबित प्रदूषण मामले में नगर निगम दिल्ली (एमसीडी) ने अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर बताया है कि राजधानी की बिगड़ती हवा को सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसमें सड़कों की मैकेनिकल सफाई, नियमित पानी छिड़काव, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, निगरानी और हरियाली बढ़ाने के लिए पौधरोपण जैसे उपाय शामिल हैं।
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एमसीडी के कार्यकारी अभियंता मनीष जैन के हलफनामे के अनुसार, निगम ने जनवरी से नवंबर, 2025 तक कई ठोस कदम उठाए है। ऐसे में कई चरणों के तहत प्रदूषण पर प्रहार किया जा रहा है। मामले में अदालत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है। उस रिपोर्ट में बताया गया था कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 177 से बढ़कर 212 पर पहुंच गया, जो खराब श्रेणी में आता है। लोग, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे पहले मैकेनिकल रोड स्वीपर (एमआरएस) की बात करें, तो एमसीडी के पास 52 ऐसी मशीनें हैं, जो 6.5 और 4.5 क्यूबिक मीटर क्षमता वाली हैं। ये रोजाना करीब 12 फीट चौड़ी सड़कों के हिसाब से 3000 किलोमीटर साफ करती हैं। सबसे अधिक पीडब्ल्यूडी की मुख्य सड़कों पर फोकस है, जहां रोज 1700 किलोमीटर सफाई होती है।
इसके अलावा, हॉटस्पॉट इलाकों में 30-35 किलोमीटर प्रति मशीन सफाई का लक्ष्य है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत सफाई का समय 8 घंटे से बढ़ाकर 10-12 घंटे किया गया है। सभी मशीनों में जीपीएस लगा है, जिससे रीयल-टाइम मॉनिटरिंग हो रही है। इनसे रोज 150 मीट्रिक टन धूल इकट्ठी हो रही, जो तय डंपिंग साइटों पर जाती है। अच्छी बात ये है कि 14 राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत और 4 शहरी विकास फंड (यूडीएफ) से 18 नई मशीनें खरीदी जा रही हैं।
स्प्रिंकलर भी जीपीएस से ट्रैक...
रिपोर्ट के अनुसार, पानी छिड़काव में एमसीडी के पास 167 वाटर स्प्रिंकलर और जेटिंग मशीनें 28 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन (एएसजी) सड़कों पर तैनात हैं। हॉटस्पॉट्स में ग्रेप के स्टेज के हिसाब से इनकी संख्या बढ़ाई गई है। रोजाना 2000 किलोमीटर सड़कें पानी से गीली की जा रही हैं। स्प्रिंकलर भी जीपीएस से ट्रैक हो रही हैं। इसके अलावा, पीडब्ल्यूडी से 200 एएसजी एमसीडी इलाकों में लगाई गई हैं। यही नहीं, मैनुअल सफाई में 57,500 सफाईकर्मी 6130 किलोमीटर सड़कें साफ कर रहे हैं। दूसरी ओर, खुले में कचरा जलाने वालों पर निगरानी के लिए 356 टीमें 1385 अधिकारी तैनात हैं। जनवरी से 15 नवंबर तक 625 चालान (5.8 लाख रुपये) खुले में जलाने पर 2233 चालान (3.53 करोड़ रुपये, जिसमें से 19.15 लाख वसूल) निर्माण और ध्वंसावशेष (सीएंडडी) डंपिंग पर जारी किए।
धूल रोकने के लिए 824 साइट्स डीपीसीसी पोर्टल पर पंजीकृत
रिपोर्ट में बताया गया है कि निर्माण स्थलों पर धूल रोकने के लिए 824 साइट्स डीपीसीसी पोर्टल पर पंजीकृत हैं। 131 टीमें में 531 लोग दो शिफ्टों में चेकिंग कर रही हैं। साथ ही, बिल्डिंग विभाग ने 2233 चालान जारी किए। 14 धूल रोकने के उपाय लागू हैं। इसके अलावा, 106 सीएंडडी कलेक्शन पॉइंट्स चल रहे, जिनमें से 59 पर 12 फीट ऊंची नीली शीटें लगी हैं। इनकी संख्या जल्द 250 तक बढ़ेंगे।
अप्रैल-अक्तूबर में 3.66 लाख का हुआ पौधरोपण
नरेला, बावना, मुंडका, वजीरपुर समेत अन्य 13 हॉटस्पॉट्स पर जोनल डिप्टी कमिश्नर नोडल अधिकारी हैं। हॉर्टिकल्चर विभाग ने अप्रैल-अक्तूबर में 3.66 लाख पौधे लगाए। इनमें 1.05 लाख पौधे और 2.38 लाख झाड़ियां शामिल है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए अब तक कुल 419 चार्जिंग स्टेशन चालू कर दिए गए हैं । अप्रैल-अक्तूबर में 297 किमी सड़कें री-सर्फेस हुईं, 14,176 गड्ढे भरे गए। पार्किंग में 30 मल्टी-लेवल पार्किंग (10751 कारें, 1039 दोपहिया) हैं और 4 नई प्रस्तावित है। एमसीडी 311 ऐप से शिकायतें आ रही है।