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Gurugram News: क्यूआर कोड स्कैन करते ही खुलेगा जानकारियों का पिटारा

Noida Bureau नोएडा ब्यूरो
Updated Tue, 23 Dec 2025 12:01 AM IST
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Scanning the QR code will open a wealth of information.
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गुरुग्राम-सोहना हाईवे समेत अन्य हाईवे व एक्सप्रेसवे पर लगाए जा रहे इन्फॉर्मेशन बोर्ड
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मनोज धर द्विवेदी
गुरुग्राम। गुरुग्राम-सोहना हाईवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे समेत अन्य हाईवे पर इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाने का काम शुरू हो गया है। इन्फॉर्मेशन बोर्ड पर लगे क्यूआर कोड स्कैन करते ही वाहन चालकों को मोबाइल पर कई तरह की जानकारियां मिल सकेंगी। इसमें हाईवे का नाम, टोल व मैनेजर, अस्पताल, पेट्रोल पंप और रेस्ट एरिया समेत अन्य शामिल हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण हाईवेे पर यात्रा सुरक्षा बढ़ाने और पारदर्शिता लाने के लिए इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगवा रहा है। शहर में एनएचएआई के दिल्ली-जयपुर हाईवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, द्वारका एक्सप्रेसवे और गुरुग्राम-पटौदी-रेवाड़ी(निर्माणाधीन) हाईवे हैं। एनएचएआई की ओर से गुरुग्राम-सोहना हाईवे पर बादशाहपुर के पास इंफॉर्मेशन बोर्ड लगाए जा रहे हैं। बोर्ड पर लगे क्यूआर कोड मोबाइल से स्कैन करके आसानी से कई बातों की जानकारी हासिल की जा सकती है। एनएचएआई के एक अधिकारी आदर्श ने बताया कि सभी नेशनल हाईवे कॉरिडोर पर क्यूआर कोड-आधारित इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाए जा रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि क्यूआर कोड स्कैन करके वाहन चालक तुरंत नेशनल हाईवे के स्ट्रेच, आस-पास के टोल प्लाजा और सुविधाओं के बारे में जरूरी जानकारी पा सकते हैं। क्यूआर कोड हाईवे पेट्रोल टीमों, इंजीनियरों, पुलिस स्टेशनों, अस्पतालों और नेशनल हाईवे हेल्पलाइन बहुत जरूरी इमरजेंसी कॉन्टैक्ट तक भी तुरंत पहुंच प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि यह पहल यह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के स्मार्ट रोड मिशन का हिस्सा है, जो हाईवे को डिजिटल केंद्र बनाता है। हाईवे/एक्सप्रेसवे पर प्रमुख जगहों पर क्यूआर कोड-आधारित इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाए जा रहे हैं।


यह जानकारी मिलेगी
इन्फॉर्मेशन बोर्ड में परियोजना की जानकारी जैसे हाईवे नंबर, चेंज (दूरी), लंबाई, निर्माण/रखरखाव की अवधि, हेल्पलाइन नंबर (जैसे 1033), हाईवे पेट्रोल, टोल मैनेजर, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्थानीय पुलिस, अस्पताल, पेट्रोल पंप, शौचालय, रेस्टोरेंट, ट्रक ले-बाय, ई-चार्जिंग स्टेशन (दूरी के साथ), रूट गाइडेंस और लोकेशन (रियल-टाइम अपडेट) शामिल है। इसमें परियोजना और संबंधित अधिकारियों की जानकारी सार्वजनिक होती है। स्मार्टफोन के कैमरे से कोड को स्कैन करते ही एक वेबसाइट खुलती है। वाहन चालक अपनी सुविधा के अनुसार जानकारी ले सकता है।
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