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Noida News: 15 दिनों से अधिक खांसी है फेफड़ों में विकसित हो रही बीमारी का संकेत
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-3 सप्ताह से अधिक खांसी, सांस फूलना और बलगम में बदलाव सामान्य नहीं
- अस्पतालों की ओपीडी में बढ़ी लंबे समय से खांसी से पीड़ित मरीजों की संख्या
माई सिटी रिपोर्टर
नोएडा। ठंड बढ़ने और प्रदूषण के कारण अस्पतालों की ओपीडी में खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसी बीच ऐसे कई मरीज आ रहे हैं, जिनकी खांसी 15 दिनों से ठीक नहीं हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह साधारण खांसी नहीं है, बल्कि यह फेफड़ों में विकसित हो रही किसी संभावित बीमारी का संकेत भी हो सकती है।
मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कई बार लगातार खांसी फेफड़ों में चल रही शुरुआती समस्या के संकेत हो सकते हैं। यह संक्रमण वायरल, बैक्टीरियल, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, गैस्ट्रिक रिफ्लक्स या शुरुआती फुफ्फुसीय रोगों जैसे सीओपीडी के लक्षण भी हो सकते हैं। विशेष रूप से जब खांसी तीन सप्ताह से अधिक रहे, सुबह अधिक बढ़े, साथ में सांस फूलना, बलगम में बदलाव होना, तो यह केवल साधारण खांसी नहीं बल्कि फेफड़ों में चल रही संभावित बीमारियों का संकेत मानी जाती है।
कैलाश अस्पताल के डॉ सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि आजकल बड़ी संख्या में लोग बदलते मौसम, ब्लॉकेज या शहर की धूल-पॉल्यूशन को खांसी का कारण मानकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन अगर खांसी दो–तीन हफ्तों से अधिक लगातार बनी रहे, बढ़ती जाए या उसके साथ कफ का रंग बदल जाए तो यह फेफड़ों में किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ अनुराग सागर ने बताया कि मेडिसिन विभाग में लगभग 900 की ओपीडी प्रतिदिन रहती है, जिनमें बड़ी संख्या में खांसी के मरीज भी आते हैं। मौसम में बदलाव और प्रदूषण बढ़ने के कारण खांसी के मामलों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक खांसी बनी रहती है, तो इसे बिल्कुल भी सामान्य नहीं समझना चाहिए।
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लगातार खांसी के साथ ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए
- सांस फूलना, सीने में दबाव या घुटन
- लगातार बुखार या रात में पसीना
- बलगम में खून आना
- आवाज बैठना या बहुत तेज थकान
- वजन में बिना कारण गिरावट
- व्हीजिग (सीटी जैसी आवाज)
• खांसी जो रात में ज्यादा बढ़े
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फेफड़ों को कमजोर करने वाले कारण
- धूम्रपान या सेकेंड-हैंड स्मोक
- वायु प्रदूषण
- बार-बार होने वाले फेफड़ों के संक्रमण
- अस्थमा और एलर्जी
- मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली
- लंबे समय तक प्रदूषित उद्योगों में कार्य
- कमजोर इम्युनिटी व क्रॉनिक बीमारियां।
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लगातार खांसी से बचने के लिए रखें सावधानियां
- धूल, धुआं और ठंडी हवा से बचाव।
- पर्याप्त पानी और भाप लेना।
- घर व कमरे में साफ-सुथरा वेंटिलेशन।
- धूम्रपान से दूरी।
- नियमित व्यायाम और श्वसन-व्यायाम।
- मौसम बदलने पर मास्क का उपयोग।
- एलर्जी-ट्रिगर्स से बचना।
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फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण
-धूम्रपान बीड़ी, सिगरेट या हुक्के का धुआं। इनसे निकलने वाले जहरीले रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं।
- प्रदूषित हवा में मौजूद पीएम 2.5 कण बहुत छोटे होते हैं, इसलिए सांस के साथ सीधे फेफड़ों के अंदरूनी हिस्से तक पहुंच जाते हैं। ये फेफड़ों की कोशिकाओं में जलन और नुकसान पैदा करते हैं और लंबे समय में कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
- शहरों में जब एक्यूआई 200 से ऊपर होता है, तो सिर्फ एक से दो घंटे बाहर रहने से भी यह खतरा बढ़ जाता है।
- डीएनए में पहले से मौजूद दोष फेफड़ों की कोशिकाओं को कमजोर बनाते है।
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- अस्पतालों की ओपीडी में बढ़ी लंबे समय से खांसी से पीड़ित मरीजों की संख्या
माई सिटी रिपोर्टर
नोएडा। ठंड बढ़ने और प्रदूषण के कारण अस्पतालों की ओपीडी में खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसी बीच ऐसे कई मरीज आ रहे हैं, जिनकी खांसी 15 दिनों से ठीक नहीं हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह साधारण खांसी नहीं है, बल्कि यह फेफड़ों में विकसित हो रही किसी संभावित बीमारी का संकेत भी हो सकती है।
मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कई बार लगातार खांसी फेफड़ों में चल रही शुरुआती समस्या के संकेत हो सकते हैं। यह संक्रमण वायरल, बैक्टीरियल, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी, गैस्ट्रिक रिफ्लक्स या शुरुआती फुफ्फुसीय रोगों जैसे सीओपीडी के लक्षण भी हो सकते हैं। विशेष रूप से जब खांसी तीन सप्ताह से अधिक रहे, सुबह अधिक बढ़े, साथ में सांस फूलना, बलगम में बदलाव होना, तो यह केवल साधारण खांसी नहीं बल्कि फेफड़ों में चल रही संभावित बीमारियों का संकेत मानी जाती है।
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कैलाश अस्पताल के डॉ सुधीर कुमार गुप्ता ने बताया कि आजकल बड़ी संख्या में लोग बदलते मौसम, ब्लॉकेज या शहर की धूल-पॉल्यूशन को खांसी का कारण मानकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन अगर खांसी दो–तीन हफ्तों से अधिक लगातार बनी रहे, बढ़ती जाए या उसके साथ कफ का रंग बदल जाए तो यह फेफड़ों में किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ अनुराग सागर ने बताया कि मेडिसिन विभाग में लगभग 900 की ओपीडी प्रतिदिन रहती है, जिनमें बड़ी संख्या में खांसी के मरीज भी आते हैं। मौसम में बदलाव और प्रदूषण बढ़ने के कारण खांसी के मामलों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक खांसी बनी रहती है, तो इसे बिल्कुल भी सामान्य नहीं समझना चाहिए।
लगातार खांसी के साथ ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए
- सांस फूलना, सीने में दबाव या घुटन
- लगातार बुखार या रात में पसीना
- बलगम में खून आना
- आवाज बैठना या बहुत तेज थकान
- वजन में बिना कारण गिरावट
- व्हीजिग (सीटी जैसी आवाज)
• खांसी जो रात में ज्यादा बढ़े
फेफड़ों को कमजोर करने वाले कारण
- धूम्रपान या सेकेंड-हैंड स्मोक
- वायु प्रदूषण
- बार-बार होने वाले फेफड़ों के संक्रमण
- अस्थमा और एलर्जी
- मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली
- लंबे समय तक प्रदूषित उद्योगों में कार्य
- कमजोर इम्युनिटी व क्रॉनिक बीमारियां।
लगातार खांसी से बचने के लिए रखें सावधानियां
- धूल, धुआं और ठंडी हवा से बचाव।
- पर्याप्त पानी और भाप लेना।
- घर व कमरे में साफ-सुथरा वेंटिलेशन।
- धूम्रपान से दूरी।
- नियमित व्यायाम और श्वसन-व्यायाम।
- मौसम बदलने पर मास्क का उपयोग।
- एलर्जी-ट्रिगर्स से बचना।
फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण
-धूम्रपान बीड़ी, सिगरेट या हुक्के का धुआं। इनसे निकलने वाले जहरीले रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं।
- प्रदूषित हवा में मौजूद पीएम 2.5 कण बहुत छोटे होते हैं, इसलिए सांस के साथ सीधे फेफड़ों के अंदरूनी हिस्से तक पहुंच जाते हैं। ये फेफड़ों की कोशिकाओं में जलन और नुकसान पैदा करते हैं और लंबे समय में कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
- शहरों में जब एक्यूआई 200 से ऊपर होता है, तो सिर्फ एक से दो घंटे बाहर रहने से भी यह खतरा बढ़ जाता है।
- डीएनए में पहले से मौजूद दोष फेफड़ों की कोशिकाओं को कमजोर बनाते है।