एसटीएफ नोएडा की बड़ी कार्रवाई: फर्जी दस्तावेज बनाकर बैंकों से लेते थे लोन...फिर हो जाते फरार; आठ गिरफ्तार
एसटीएफ नोएडा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए करोड़ों के होम और पर्सनल लोन लेकर फरार होने वाले गैंग के सरगना समेत आठ लोगों को पकड़ा। आरोपी कई राज्यों में फर्जी प्रोफाइल, पहचान पत्र और बिल्डरों की मिलीभगत से लोन पास कराते थे और रकम हड़पकर गायब हो जाते थे।
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एसटीएफ नोएडा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का होम लोन और पर्सनल लोन हासिल कर फरार होने वाले एक संगठित गैंग का पर्दाफाश किया है। एसटीएफ ने योजना बनाकर गैंग के सरगना समेत कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गैंग लंबे समय से फर्जी आधार, पैन कार्ड, पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज तैयार कर बैंकों से भारी-भरकम लोन निकालकर गायब हो जाता था। प्रारंभिक जांच में दस से अधिक बैंकों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी सामने आई है।
एसटीएफ के एडिशनल एसपी राजकुमार मिश्र ने बताया यह गैंग न केवल फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। बल्कि फर्जी प्रोफाइल बनाकर चंडीगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई बिल्डरों से सांठगांठ कर बड़े पैमाने पर प्रोफाइल फंडिंग भी कराता था। आरोपी फर्जी नाम-पते से फ्लैट और मकानों की फर्जी लोन प्रोसेसिंग कराते थे और लोन पास होने के बाद रकम हड़पकर फरार हो जाते थे। गैंग के सदस्यों ने कई शहरों में नेटवर्क तैयार कर रखा था।
गिरफ्तार आरोपियों कि पहचान रामकुमार, निवासी शक्ति खंड इंदिरापुरम गाजियाबाद, नितिन जैन निवासी वेस्ट गोरखपार्क शाहदरा दिल्ली, मो. वसी निवासी सेक्टर 78 नोएडा, शमशाद आलम निवासी चंपारण बिहार, इंद्रकुमार कर्माकर निवासी पालम विहार गुरुग्राम, अनुज यादव निवासी मोहन नगर गाजियाबाद, अशोक कुमार उर्फ दीपक जैन उर्फ रिंकी निवासी वेस्ट पटेल नगर दिल्ली, ताहिर हुसैन निवासी थाना रजपुरा संभल के रूप में हुई है।
यह सभी आरोपी विभिन्न भूमिकाओं में शामिल थे। कोई दस्तावेज तैयार करता था। कोई बैंकिंग प्रोसेस संभालता था, तो कोई फर्जी खरीदार तैयार करने या बिल्डरों से संपर्क कराने का काम करता था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने आरोपियों के पास से 126 पासबुक व चेकबुक, 170 डेबिट कार्ड, 45 आधार कार्ड, 27 पैन कार्ड, 15 अन्य आईडी कार्ड, पांच निर्वाचन आयोग के पहचान पत्र, 26 मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, तीन गाड़ियां, होम लोन व पर्सनल लोन से जुड़े दस्तावेज, स्टाम्प पेपर और रजिस्ट्रियां बरामद की हैं।
आरोपियों के कब्जे से मिले दस्तावेजों की सहायता से कई और मामलों की जांच तेज कर दी गई है। फर्जीवाड़े में उपयोग हुए 220 बैंक खातों को फ्रीज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिससे आगे किसी वित्तीय गतिविधि को रोका जा सके।
गैंग अत्यंत व्यवस्थित तरीके से काम करता था। ये पहले विभिन्न व्यक्तियों का डेटा जुटाते थे। फिर फर्जी आधार और पैन कार्ड तैयार करके अलग-अलग बैंकों में दस्तावेज जमा कराते थे। अधिकांश मामलों में आरोपी बिल्डरों की मिलीभगत से लोन अनुमोदन प्रक्रिया को आसान बनाते थे। लोन की रकम आने के बाद वह व्यक्ति या प्रोफाइल हमेशा के लिए गायब हो जाते थे। कई बार ये लोन फर्जी फ्लैट या अस्तित्वहीन संपत्तियों के नाम पर भी पास करा लेते थे।
जिले में अब तक की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी का खुलासा मानी जा रही है। पुलिस टीम गैंग के आर्थिक लेनदेन, संपत्तियों के खरीद-फरोख्त और डिजिटल रिकॉर्ड की जांच कर रही है। साथ ही अन्य राज्यों में भी इस गैंग की गतिविधियों की जानकारी जुटाई जा रही है। आने वाले दिनों में इस गैंग से जुड़े अन्य लोगों की गिरफ्तारी भी संभावित है।