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Noida News: एमसीडी उपचुनाव में नामांकन खारिज होने के खिलाफ याचिका रद्द
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अदालत ने याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दाखिल करने की छूट दी
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने एमसीडी उपचुनाव 2025 में नारायणा वार्ड से नामांकन खारिज होने के खिलाफ प्रमोद तंवर की रिट याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने 24 नवंबर को दिए फैसले में हा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि नामांकन की अस्वीकृति या स्वीकृति से जुड़े मामलों में चुनाव याचिका ही उचित माध्यम है। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दाखिल करने की छूट दी है।
याचिका में प्रमोद तंवर ने राज्य चुनाव आयोग और रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले को चुनौती दी थी। उनका नामांकन 12 नवंबर 2025 को खारिज कर दिया गया था क्योंकि नामांकन फॉर्म में उनकी पत्नी के स्वामित्व वाली कृषि भूमि का अनुमानित वर्तमान बाजार मूल्य और बेटी के नाम पर एलआईसी पॉलिसी की मैच्योर वैल्यू का खुलासा नहीं किया गया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि ये दोष मामूली थे और उन्हें सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए था। उन्होंने दिल्ली नगर निगम (पार्षद चुनाव) नियम, 2012 के नियम 22 का हवाला देते हुए कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर को उम्मीदवार को आपत्ति दूर करने का समय देना चाहिए। दूसरी ओर, राज्य चुनाव आयोग के वकील ने याचिका को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि ऐसे विवादों का निपटारा चुनाव याचिका के माध्यम से ही होना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद हाईकोर्ट का हस्तक्षेप सीमित होना चाहिए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नामांकन की जांच का उद्देश्य इसे अस्वीकार करना नहीं है लेकिन अगर दोष गंभीर हैं तो रिटर्निंग ऑफिसर का फैसला सही है।
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नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने एमसीडी उपचुनाव 2025 में नारायणा वार्ड से नामांकन खारिज होने के खिलाफ प्रमोद तंवर की रिट याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने 24 नवंबर को दिए फैसले में हा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि नामांकन की अस्वीकृति या स्वीकृति से जुड़े मामलों में चुनाव याचिका ही उचित माध्यम है। हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका दाखिल करने की छूट दी है।
याचिका में प्रमोद तंवर ने राज्य चुनाव आयोग और रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले को चुनौती दी थी। उनका नामांकन 12 नवंबर 2025 को खारिज कर दिया गया था क्योंकि नामांकन फॉर्म में उनकी पत्नी के स्वामित्व वाली कृषि भूमि का अनुमानित वर्तमान बाजार मूल्य और बेटी के नाम पर एलआईसी पॉलिसी की मैच्योर वैल्यू का खुलासा नहीं किया गया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि ये दोष मामूली थे और उन्हें सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए था। उन्होंने दिल्ली नगर निगम (पार्षद चुनाव) नियम, 2012 के नियम 22 का हवाला देते हुए कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर को उम्मीदवार को आपत्ति दूर करने का समय देना चाहिए। दूसरी ओर, राज्य चुनाव आयोग के वकील ने याचिका को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि ऐसे विवादों का निपटारा चुनाव याचिका के माध्यम से ही होना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद हाईकोर्ट का हस्तक्षेप सीमित होना चाहिए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नामांकन की जांच का उद्देश्य इसे अस्वीकार करना नहीं है लेकिन अगर दोष गंभीर हैं तो रिटर्निंग ऑफिसर का फैसला सही है।
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