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Red Fort Blast: एक माह बाद... घायलों की दहशत में कट रही हैं रातें, पीड़ितों को मुआवजे का अब भी इंतजार

ललित कौशिक, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 10 Dec 2025 06:19 AM IST
सार

रात में अचानक डर से नींद खुल जाती है और दिन में अकेला होने पर बेचैन हो जाते हैं।

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Red Fort Blast: One month later... the injured are spending their nights in fear
दिल्ली धमाके के बाद घटनास्थल पर पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह, file - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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लालकिला के पास हुए बम धमाके में घायल लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन ब्लास्ट के एक माह बाद भी नहीं लौटा है। रात में अचानक डर से नींद खुल जाती है और दिन में अकेला होने पर बेचैन हो जाते हैं। किसी घायल को कान से सुनाई देना बंद हो गया है तो किसी की आंख की रोशनी प्रभावित हुई है। इन सब परेशानियों से जूझते और भविष्य के प्रति चिंतित घायलों का दर्द सरकार की ओर से अब तक मुआवजा नहीं मिलने से और बढ़ गया है।

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शाहदरा निवासी लालकिला बम हादसे के घायल 22 वर्षीय राहुल कौशिक ने बताया कि उस दिन वह गौरी शंकर मंदिर के दर्शन करने गए थे। घर वापस लौटने के दौरान हादसे का शिकार हो गए। इस हादसे के बात से ठीक से नींद नहीं आती है। अजीब से दहशत बैठी हुई है अचानक नींद खुलने पर सांस फूलने लगती है। बीपी हाई हो जाता है। दोनों कान के परदे में छेद हो गया है। बाएं कान से सुनाई देना बंद हो गया है। डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोला है लेकिन ठीक होने की गारंटी नहीं है।
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उन्होंने बताया कि 24 घंटे सिर में दर्द बना रहता है। एनीमेशन का कोर्स कर रहा था, जिसकी पढ़ाई हादसे के बाद छूट गई है। हादसे में दाया और बाया पैर भी जल गया। उस दिन के बाद से जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है। परिवार में इकलौटा बेटा हूं। एक बहन और है। सरकार की तरफ से अभी कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। कोई प्रतिनिधि नहीं आया है। लोकनायक अस्पताल में प्राथमिक उपचार लेने के बाद जीटीबी अस्पताल में उपचार चला था।

बेटे को जिंदगी भर का मिला दर्द
वेस्ट रोहताश नगर में रहने वाले घायल अंकुश शर्मा की मां मीनाक्षी शर्मा ने भावुक होते हुए बोला कि उनके बेटे की आंख चली गई है। चेहरा खराब हो गया है। दायीं आंख से दिखाई नहीं दे रहा है। दाया कान काटना पड़ा है। हाथ और पैर पर जले के निशान पड़ गए हैं। बेटे को हर समय दर्द बना रहता है। ठीक ढंग से बोल भी नहीं पाता है। सारी जिंदगी का दर्द मिल गया है। बेटे की अभी शादी नहीं हुई है।

परिवार में किसी की अच्छी नौकरी नहीं है। पति निजी नौकरी करते है और अगले साल वह भी सेवानिवृ्त्त हो जाएंगे। बड़े बेटे का भी काम कुछ खास नहीं है। जिलाधिकारी कार्यालय की तरफ से अभी तक एक अधिकारी ने संपर्क किया था लेकिन कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। सरकार से गुजारिश है कि वह हमारे बेटे को सरकारी नौकरी दे। जिससे उसका भविष्य संवर सकें। बेटे को तीन दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी मिली थी और एम्स में उसका उपचार चल रहा है।

हादसे में 27 हुए थे घायल
बता दें कि लोकनायक अस्पताल में बम हादसे के 27 घायलों को उपचार के लिए लाया गया था। इसमें तीन घायल प्राथमिक उपचार के बाद चले गए थे। 24 घायलों का अस्पताल में उपचार चला। इसमें उपचार के दौरान दो की मौत हो गई। अस्पताल में नौ मृत और तीन अलग-अलग बॉडी के पार्ट लाए गए थे।

 

ब्लास्ट के बाद लालकिला के पास सुरक्षा और कड़ी

लालकिला के पास 10 नवंबर को हुए बम धमाके के बाद दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी और चाक-चौबंद करने का दावा किया है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि लाल किला परिसर के आसपास 120 नए और आधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अभी तक 364 कैमरें लगे थे जिनकी संख्या बढ़कर 484 हो गई है। अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ भी एक्शन जारी रहेगा। पुलिस ने अवैध कब्जा करने वालो के खिलाफ अब तक 200 से अधिक मामले दर्ज किए हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि भविष्य में यहां और कैमरे लगाने की योजना है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए लाल किला पुलिस चौकी का स्टाफ भी दोगुना कर दिया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना कि 24 घंटे पुलिस चौकी में इतने जवान मौजूद रहेंगे। उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त राजा बांठिया ने बताया किले के भीतर एक आधुनिक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। सभी कैमरे एडवांस्ड वीडियो एनालिटिक्स और फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी (एफआरटी) से लैस हैं। सिस्टम में अपराधियों का डाटा पहले से फीड है, जिससे किसी भी संदिग्ध को फौरन पहचान लिया जाएगा और अगले ही पल पुलिस को अलर्ट भेज दिया जाएगा। चौकसी बढ़ाने के लिए लाल किला के पास पार्किंग में काम करने वाले लड़कों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

पार्किंग में लगे कैमरों में भी एएनपीआर लगाया गया है। घुसपैठ की कोशिशों को पहचानने और संदिग्ध वस्तुओं का पता करने की तकनीकें भी इस सुरक्षा प्रणाली में शामिल की गई हैं। जिससे पूरा क्षेत्र हाई-सिक्योरिटी जोन में बदल गया है। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि लाल किला के आसपास सुरक्षा को परखने के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल का आयोजन भी किया जाएगा। पूरे साल ऐसी प्रैक्टिस समय-समय पर चलती रहेंगी।

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