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UP: फर्जी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाणपत्र बनाकर एमबीबीएस में दाखिला दिलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश, रंगे हाथ पकड़ा

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: आकाश कुमार Updated Mon, 24 Nov 2025 12:48 PM IST
सार

UP: यूपी के भदोही में पुलिस ने 15 लाख रुपये में एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने के लिए फर्जी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने वाले लैब टेक्नीशियन शुभम सिंह को 4.8 लाख रुपये समेत गिरफ्तार किया। 2012-13 सत्र में नौ छात्रों ने फर्जी प्रमाणपत्रों से एडमिशन लिया था।
 

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UP police arrest lab technician for forging freedom fighter certificates for MBBS admission scam
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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UP: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह के सदस्य को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर जाली "स्वतंत्रता सेनानी परिवार" प्रमाणपत्र बनवाकर नौ छात्रों को सरकारी और स्वायत्त मेडिकल कॉलेजों में MBBS में प्रवेश दिलाने का काम कर रहा था। 

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अधिकारियों के अनुसार गिरफ्तार आरोपी की पहचान शुभम सिंह (27), निवासी जिगना, जनपद मिर्जापुर के रूप में हुई है। वह गाज़ीपुर के जमानिया स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में लैब तकनीशियन के रूप में कार्यरत था।

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15 लाख रुपये में हुई थी डील

पुलिस ने रविवार को ग्यानपुर क्षेत्र में उसे उस समय पकड़ा जब वह एक एमबीबीएस छात्र से तय की गई राशि लेने पहुंचा था। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने शुभम के पास से 4.8 लाख रुपये नकद बरामद किए, जो कि उम्मीदवार दिव्यांशु वर्मा के पिता से ली गई 5 लाख रुपये की पहली किस्त का हिस्सा था। पुलिस के अनुसार शुभम ने दिव्यांशु का प्रवेश करवाने के लिए 15 लाख रुपये की डील की थी।

अगस्त में की गई थी नौ लोगों के प्रमाणपत्रों की जांच की मांग

पुलिस अधीक्षक (SP) अभिमन्यु मंगलीक ने बताया कि 27 अगस्त 2025 को महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण (उत्तर प्रदेश) ने भदोही के नौ छात्रों द्वारा 2012-13 शैक्षणिक सत्र में स्वतंत्रता सेनानी कोटे से एमबीबीएस प्रवेश के लिए जमा किए गए प्रमाणपत्रों की पुलिस सत्यापन की मांग की थी। दस्तावेजों में गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी।

जिन छात्रों की जांच की गई, उनके नाम हैं: शंभवी आर्या, दिव्यांशु वर्मा, सेजल सिंह, शिवांश यादव, अन्वी भूषण, अमित श्रीवास्तव, आयतुझ्जहरा, ईशा यादव और दीपिका आर्या।

सभी प्रमाणपत्र निकले फर्जी

जिला अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई जांच में सामने आया कि नौ में से किसी भी प्रमाणपत्र को आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया था और सभी प्रमाणपत्र फर्जी थे। शाहिद अली (क्लर्क) की शिकायत पर 20 सितंबर 2025 को जिलाधिकारी शैलेश कुमार के आदेश पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धोखाधड़ी और जालसाजी संबंधी धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई।

जांच के दौरान दिव्यांशु ने पुलिस को बताया कि शुभम और उसके साथी प्रदीप दुबे ने उसकी NEET-2025 प्रवेश प्रक्रिया में मदद के लिए यह फर्जी प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया था और उसके पिता डॉ. घनश्याम वर्मा, जो ज़मानिया स्वास्थ्य केंद्र में ही तैनात हैं, से 15 लाख रुपये की मांग की थी। रविवार को 5 लाख रुपये देने थे, जबकि बाकी राशि बाद में तय हुई थी।

पुलिस ने सिंहपुर नहर पुल के पास शुभम को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने राशि लेने की बात स्वीकार की और बताया कि इस कार्य में अन्य लोग भी शामिल हैं। पुलिस अब उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है, वहीं शुभम को सोमवार को अदालत में पेश किया जाएगा।

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