Single Papa Review: हल्की कहानी में भी दम, नेहा धूपिया और कुनाल खेमू की टक्कर असर छोड़ जाती है
Single Papa: कुणाल खेमू और नेहा धूपिया की कॉमेडी वेब सीरीज सिंगल पापा आज रिलीज हो गई है। देखने से पहले यहां जानिए कैसी है यह वेब सीरीज और क्या कुछ है इसमें खास…
विस्तार
नेटफ्लिक्स की सीरीज सिंगल पापा आधुनिक परिवार और पेरेंटिंग को सरल तरीके में पेश करती है। यह कोई भारी ड्रामा नहीं है। कहानी एक साधारण आदमी की है जो अचानक एक बड़ी जिम्मेदारी के सामने आ जाता है और धीरे धीरे खुद को बदलने की कोशिश करता है। माहौल हल्का है और भावनाओ की मौजूदगी पूरी सीरीज में बनी रहती है।
कहानी
सिंगल पापा छह एपिसोड की ड्रामा और कॉमेडी वाली सीरीज है। इसमें कुनाल खेमू गौरव गेहलोत का किरदार निभाते हैं। गौरव ऐसा व्यक्ति है जो जिम्मेदारी से दूर भागता है। एक दिन उसे अपनी कार की पिछली सीट पर एक छोटा बच्चा मिलता है। बच्चा उसे पसंद आ जाता है और वह उसे गोद लेना चाहता है।
गौरव का फैसला आसान नहीं है। परिवार इसे समझ नहीं पाता और हर कोई अपनी राय देता है। इसी दौरान गौरव को एडॉप्शन एजेंसी के नियम पूरे करने होते हैं। यहां उसकी मुलाकात मिसेज नेहरा से होती है। उनका कहना है कि एक अकेला पिता बच्चा ठीक तरह से नहीं पाल सकता और पुरुष पेरेंटिंग में कमजोर होते हैं।
गौरव धीरे धीरे सीखता है। वह बच्चे की देखभाल करता है, गलतियां करता है, थक जाता है, पर कोशिश जारी रखता है। कहानी दिखाती है कि वक्त के साथ इंसान बदल सकता है और जिम्मेदारी समझ सकता है।
सीरीज में कोई बड़ा मोड़ नहीं आता। गौरव और बच्चे का नजदीक आता रिश्ता, परिवार की प्रतिक्रियाएं और घर का बदलता माहौल बहुत साधारण तरीके से सामने आता है। इसे देखते हुए लगता है कि अच्छा माता पिता कोई भी बन सकता है, बस इरादा साफ होना चाहिए।
एक्टिंग
कुणाल खेमू ने गौरव का किरदार सहजता से निभाया है। उनकी झिझक और मेहनत साफ दिखती है। कुछ इमोशनल सीन में उनका असर कम लगता है, लेकिन बाकी जगह वे मजबूत नजर आते हैं। नेहा धूपिया मिसेज नेहरा के रूप में सख्त और सीधे स्वभाव की दिखती हैं। उनका किरदार कहानी में जरूरी तनाव लाता है।
मनोज पाहवा और आयेशा रजा मिश्रा गौरव के माता पिता की भूमिका में स्वाभाविक लगते हैं। इनकी वजह से परिवार वाले दृश्य असली लगते हैं।
प्राजक्ता कोली, अंकुर राठी, सुहैल नय्यर और ईशा तलवार सीरीज में ताजगी लाते हैं। दयानंद शेट्टी नैनी के रूप में हल्के और मनोरंजक दिखते हैं। उनकी टाइमिंग कई सीन को मजेदार बना देती है।
लेखन और निर्देशन
सीरीज का निर्माण इशिता मोइत्रा और नीरज उद्दवानी ने किया है। वही इसकी मुख्य लिखने वाली टीम भी हैं। लिखावट सरल है। डायलॉग हल्के हैं और हर सीन आसानी से समझ में आता है।
निर्देशन शशांक खेतान, इशिता मोइत्रा और नीरज उद्दवानी ने किया है। तीनों ने कहानी को शांत और सहज गति दी है। कई दृश्य घर जैसा माहौल बनाते हैं और सामान्य जिंदगी जैसे लगते हैं। हां, कुछ सीन पहले ही समझ में आ जाते हैं, इसलिए थोड़े लंबे महसूस होते हैं।
कमजोरियां
सीरीज की सबसे बड़ी कमी यह है कि कहानी गहराई में नहीं जाती। गौरव के मन की उलझने, परिवार का बदलाव और पेरेंटिंग की चुनौतियां जल्दी समझ में आ जाती हैं। इनमें कुछ नया नजर नहीं आता। कई बाते अनुमानित लगती हैं, इसलिए असर कम होता है।
कुछ एपिसोड मजबूत हैं, लेकिन कुछ में खास प्रगति नहीं होती। इस वजह से कहानी की गति कभी कभी धीमी लगती है। हां, यह बात अच्छी है कि सीरीज ईमानदारी से दिखाती है कि एक आदमी भी अच्छा सिंगल पापा बन सकता है। लेकिन अगर इस विचार को और विस्तार मिलता तो असर ज्यादा बढ़ सकता था।
देखें या नहीं
सिंगल पापा एक आसान और हल्की सीरीज है। यह उन दर्शको के लिए ठीक है जिन्हें परिवार वाली कहानियां पसंद हैं। इसमें ना ज्यादा ड्रामा है और ना ही ज्यादा हल्कापन। कहानी एक ऐसे आदमी की यात्रा है जो साबित करना चाहता है कि पिता भी संवेदनशील और जिम्मेदार हो सकते हैं।
सरल कहानी, अच्छे कलाकार और घर जैसा माहौल इस सीरीज को देखने लायक बनाते हैं।