स्वस्थ पेशे की बीमार तस्वीर: 5000 में बताते हैं लड़का है या लड़की, फिर मां-बाप का जैसा फैसला
गोरखपुर जिले का शायद ही कोई ऐसा चौराहा होगा, जहां पर आप को तीन से चार की संख्या में नर्सिंग होम न मिल जाए। लेकिन, रजिस्टर्ड की संख्या देखी जाए तो जिले में 837 अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथालॉजी, अल्ट्रासाउंड सेंटर और क्लीनिक पंजीकृत हैं।

विस्तार
गर्भ में बेटा है या बेटी। यह जानने की कीमत महज पांच हजार रुपये है। चौंकिए मत, यह बात सोलह आना सच है। बिचौलिए, लिंग परीक्षण के लिए बने कानून को तोड़कर इतनी ही रकम में लिंग परीक्षण करा रहे हैं। अगर बेटी है तो कई बार गर्भ में उसकी हत्या कर दी जाती है। उसकी जिंदगी खत्म करने के फेर में कई बार गर्भवती भी अपनी जान गंवा देती हैं।

आश्चर्य तो इस बात का है कि इसे रोकने की जिम्मेदारी लिए बैठा स्वास्थ्य महकमा कार्रवाई तभी करता है, जब मामला तूल पकड़े या फिर कोई आकर उनके दफ्तर तक शिकायत करें। खुद से विभाग को इसकी फिक्र नहीं है, जिस वजह से न चाहते हुए भी महिलाएं लिंग जांच कराकर खुद की और पेट में पल रहे शिशु की जिंदगी गंवा दे रही।
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चलिए, चलते हैं, शहर के एक ऐसे ही अल्ट्रासाउंड सेंटर पर। यह जिला अस्पताल से ज्यादा दूर नहीं है, पतली गली में जरूर जाना होगा। ऊपरी तल पर एक दुकान में अल्ट्रासाउंड सेंटर है। बाहर कुर्सी-मेज रखे हैं, जिस पर धूल को देखकर अंदाजा भी नहीं कर सकते, कि यहां पर कोई आता जाता होगा। थोड़ी देर बाहर खड़े होने पर एक युवक आता है और फिर सीधा सवाल किससे मिलना है।
जैसे ही आप लिंग परीक्षण की इच्छा जाहिर करेंगे, आपसे मोलभाव शुरू होगा। रकम जमा करने के बाद सीधे ऊपर लेकर जाएगा और फिर लिंग परीक्षण कर बता दिया जाएगा कि पेट में पल रहा शिशु बेटा है या बेटी। हालांकि, इसकी कोई रशीद नहीं मिलेगा और न ही रिपोर्ट। मौखिक बताकर भेज दिया जाता है। यह हाल शहर में है, लेकिन अगर देहात में इसी काम को कराना है, तो बेहद आसान है। वहां पर पान वाला भी आप को बता देगा कि कहां पर जाने पर लिंग परीक्षण होगा और बिचौलिए कहां मिलेंगे। इन लोगों को न तो नियम कानून का डर है और न ही कोई रोकने वाला।
बिचौलिए और अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक के बातचीत के कुछ अंश
बिचौलिया: एक काम था
संचालक: बोलिए
बिचौलिया: सहजनवां का एक केस है, मैं यह नहीं चाहता हूं, कोई जाने इस बात को। जैसे की चार महीने की गर्भवती है। कह रहे सब कि जांच कराना है कि लड़का है या लड़की। लड़की रहेगी तो नुकसान करा दिया जाएगा।
संचालक: हां, हां
बिचौलिया: हम कहे, यहां कुछ कराएंगे तो हमें कुछ नहीं मिलेगा, आप के यहां कराएंगे तो हमको भी मिल जाएगा।
संचालक: बिल्कुल मिली, एकदम मिली
बिचौलिया: करवा दीजिए
संचालक: गोरखपुर में होगा।
बिचौलिया: आपके माध्यम से हो जाएगा ना
संचालक: हो जाएगा
बिचौलिया: कितना खर्चा आएगा
संचालक: देखिए डॉक्टर को 3500 सौ चाहिए, उसके ऊपर आप ले लीजिए
बिचौलिया: एक अंदाज बता दीजिए
संचालक: मैडल को खर्चा चाहिए, बाकी आप जो दे दीजिए
बिचौलिया: पता चल जाएगा ना कि लड़का है या लड़की
संचालक: एकदम 100 फीसदी
बिचौलिया: पैसा क्लियर बता दीजिए, अगले को हमको बताना होगा
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मामला तय होने पर डॉक्टर के कंपाउंडर से बातचीत
बिचौलिया: डॉक्टर साहब, कह रहे हैं कि हम यहां न बुलाकर सीधे आप के पास ही भेज दे रहे हैं
कंपाउडर: (थोड़ी देर शांत होने के बाद) ठीक है
बिचौलिया: पता कुछ बताइए ना, कहां पर भेजना है
कंपाउंडर: नाम क्या बताना है, आप सब जानते हैं, कहां भेजना है,
बिचौलिया: मुझे पता है, लेकिन मैं साथ नहीं ना आऊंगा, मुझे और भी काम है
कंपाउंडर: नहीं तो आप मेरे नंबर दे दीजिएगा...चौराहे पर आकर फोन कर लेंगी
शहर में रजिस्टर्ड 837 नर्सिंग होग, पैथॉलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंट
गोरखपुर जिले का शायद ही कोई ऐसा चौराहा होगा, जहां पर आप को तीन से चार की संख्या में नर्सिंग होम न मिल जाए। लेकिन, रजिस्टर्ड की संख्या देखी जाए तो जिले में 837 अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथालॉजी, अल्ट्रासाउंड सेंटर और क्लीनिक पंजीकृत हैं। इनमें 30 से 40 फीसदी अस्पताल ऐसे हैं, जिनके नाम पर अस्पताल पंजीकृत तो हैं, लेकिन यह लोग अस्पतालों में बैठते नहीं।
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शहर में सिर्फ 25 अस्पतालों को गर्भपात कराने का लाइसेंस
जिलेभर में अस्पताल संचालित हो रहे है, लेकिन बात अगर नियमों की हो तो सिर्फ 25 अस्पतालों के पास ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) करने का अधिकार है। पीसीपीएनडी एक्ट के नोडल डॉ. एके सिंह बताते है, शहर में 25 स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने अस्पताल रजिस्ट्रेशन के समय एमटीपी के लिए आवेदन किया था, जिनको विभाग की तरफ से अनुमति है।
सिर्फ परिस्थितियों में करा सकते है गर्भपात
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) के नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंह के मुताबिक, एमटीपी एक्ट के तहत 12 सप्ताह की गर्भवती खुद गर्भपात करवा सकती है। इसके अलावा कई शर्तें हैं। 12 से लेकर 24 सप्ताह के बीच गर्भवती को शर्तों के साथ गर्भपात कराने का अधिकार है। लेकिन, इसके लिए वाजिब वजह सीएमओ और उनकी कमेटी को बतानी होती है। अविवाहित के लिए समय सीमा 24 सप्ताह है।
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रिकॉर्ड में सिर्फ दो ही गर्भपात हुए
सरकारी रिकॉर्ड में इस साल दो मामलों में गर्भपात कराया गया है। दोनों दुष्कर्म पीड़िता थी ओर दोनों ही मामलों में कोर्ट का आदेश था। दोनों मामलों में मेडिकल बोर्ड का गठन भी किया गया था। बोर्ड ने मरीज के सभी जांच के बाद गर्भपात का फैसला लिया था।
पहले भी गई जान, पकड़े गए हैं मामले
19 फरवरी 2023: उरुवा के केबी मेमोरियल हॉस्पिटल में प्रसूता की मौत हुई। आरोप लगा कि गलत ऑपरेशन से हालत बिगड़ी और फिर मरीज को आनन फानन सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया गया। लेकिन, महिला की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में डॉ. मनीष सहित अन्य लोगों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
गोला बाजार के मां हॉस्पिटल पर पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन से भ्रूण के लिंग जांच की जाती थी। विभाग ने अल्ट्रासाउंड मशीन सील किया था। इसके अलावा मोगलहा, भटहट में भी मामला पकड़ा जा चुका है।
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लिंग परीक्षण करवाने वालों को भी जाना पड़ सकता है जेल
लिंग परीक्षण करने के साथ ही करवाने वाले पर भी कार्रवाई का प्रावधान है। गर्भपात से पहले पकड़े जाने पर तीन साल कैद और दस हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है। इसके अलावा गर्भपात कराने के बाद पुलिस धारा 313 के तहत केस दर्ज कर सकती है, अगर गर्भवती के मर्जी के बिना गर्भपात कराया गया है, तो आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान हैं। इसके अलावा गर्भवती की मौत हो गई तो परिवार को धारा 314 के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंह ने कहा कि अभियान चलाकर ऐसे सेंटरों पर कार्रवाई की जाएगी। जांच में कई बिना पंजीकरण के सेंटर मिलने पर पूर्व में भी कार्रवाई की जा चुकी है। एक ऑडियो भी सामने आया है, उसकी भी जांच कराई जाएगी।