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UP: सूरज के साथ बुझ गईं उम्मीदें... अब मां-बाप की जिंदगी में कसक भरा अंधेरा; रुंधा रहा गला और छलकती रहीं आंखें
अमर उजाला नेटवर्क, गोरखपुर
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 29 Oct 2025 02:51 PM IST
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सार
गोरखपुर के पीपीगंज थाना क्षेत्र के पांचगांव निवासी राहुल पटेल अपने चाचा गौरीशंकर पटेल पर जानलेवा हमले के मामले में एक साल से जेल में हैं। करीब छह महीने बाद उनकी पत्नी वंदना को भी इसी मामले में जेल भेजा गया था। सोमवार की दोपहर दंपती के मासूम बेटे की तबीयत अचानक बिगड़ी और जिला अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया।
बच्चे की मौत पर गमगीन परिजन
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
गोरखपुर में दो साल के मासूम सूरज की सोमवार को हुई मौत के साथ ही मां वंदना और पिता राहुल की तमाम उम्मीदें और जिंदगी के सपने भी खत्म हो गए हैं। मां के आंचल और पिता के दुलार के लिए तरसते हुए बच्चे के दम तोड़ देने की कसम ताउम्र जेहन में बनी रहेगी।
मंगलवार को गुलरिहा थाना प्रभारी विजय कुमार सिंह ने वीडियो कॉल के जरिये सूरज का चेहरा दिखाया तो राहुल और वंदना का गला रुंधा रहा और आंखें छलकतीं रहीं।
पीपीगंज थाना क्षेत्र के पांचगांव निवासी राहुल पटेल अपने चाचा गौरीशंकर पटेल पर जानलेवा हमले के मामले में एक साल से जेल में हैं। करीब छह महीने बाद उनकी पत्नी वंदना को भी इसी मामले में जेल भेजा गया था।
इसके बाद बेटी शैलजा (3) और बेटा सूरज (2) गुलरिहा थाना क्षेत्र के डुमरी नंबर दो, रढवा टोला निवासी अपने नाना गिरधारी पटेल के पास रह रहे थे। एक माह पहले जेल में बंद मां से मिलकर लौटने के बाद से सूरज मां को ढूंढ़ता रहता था। सोमवार की दोपहर उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी और जिला अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था।
मंगलवार को गुलरिहा थाना प्रभारी विजय कुमार सिंह ने वीडियो कॉल के जरिये सूरज का चेहरा दिखाया तो राहुल और वंदना का गला रुंधा रहा और आंखें छलकतीं रहीं।
पीपीगंज थाना क्षेत्र के पांचगांव निवासी राहुल पटेल अपने चाचा गौरीशंकर पटेल पर जानलेवा हमले के मामले में एक साल से जेल में हैं। करीब छह महीने बाद उनकी पत्नी वंदना को भी इसी मामले में जेल भेजा गया था।
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इसके बाद बेटी शैलजा (3) और बेटा सूरज (2) गुलरिहा थाना क्षेत्र के डुमरी नंबर दो, रढवा टोला निवासी अपने नाना गिरधारी पटेल के पास रह रहे थे। एक माह पहले जेल में बंद मां से मिलकर लौटने के बाद से सूरज मां को ढूंढ़ता रहता था। सोमवार की दोपहर उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी और जिला अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था।
परिजन सूरज का शव लेकर जेल पहुंचे ताकि वंदना और राहुल अंतिम बार एक नजर अपने बच्चे को देख लें लेकिन जेल प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए मुलाकात की अनुमति नहीं दी। इससे आक्रोशित परिजनों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर डुमरी नंबर दो, खपड़हवा चौकी के पास भटहट-बांसस्थान मार्ग पर जाम कर दिया था।
बेटा चला गया अब बेटी को तो मेरे पास रहने दो
मंगलवार को पुलिस ने मासूम सूरज के शव का पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में बीमारी से मौत की पुष्टि हुई। सूरज के नाना गिरधारी ने जब अपनी बेटी वंदना से जेल में मिलने की इच्छा जाहिर की तो गुलरिहा थाना प्रभारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि बिना डीएम के अनुमोदन के संभव नहीं है। कागजी कार्रवाई में देर होगी। इसके बाद वह जिला जेल पहुंचे जहां जरूरी प्रक्रिया के बाद वीडियो कॉल के जरिये वंदना और राहुल को सूरज का चेहरा दिखाया गया।
मंगलवार को पुलिस ने मासूम सूरज के शव का पोस्टमार्टम कराया। रिपोर्ट में बीमारी से मौत की पुष्टि हुई। सूरज के नाना गिरधारी ने जब अपनी बेटी वंदना से जेल में मिलने की इच्छा जाहिर की तो गुलरिहा थाना प्रभारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि बिना डीएम के अनुमोदन के संभव नहीं है। कागजी कार्रवाई में देर होगी। इसके बाद वह जिला जेल पहुंचे जहां जरूरी प्रक्रिया के बाद वीडियो कॉल के जरिये वंदना और राहुल को सूरज का चेहरा दिखाया गया।
बेटे का शव देखते ही दोनों फफक पड़े। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वीडियो कॉलिंग के फूट-फूट कर रोती हुई वंदना जेलर अनिल कुमार से गुजारिश करती रही कि बेटा नहीं रहा, अब मेरी बेटी को साथ रहने दें। देर शाम चिलुआताल स्थित बांस स्थान में सूरज का शव दफन किया गया।
नानी बोलीं- घर के कोने-कोने में सूरज की यादें
मासूम की नानी ने रोते हुए कहा कि सूरज काफी दिनों से अपने मां-पापा को याद कर रहा था लेकिन जब मिलने का वक्त आया तो वह हमेशा के लिए चला गया। मां अब बेटी के सहारे ही जीने की बात कह रही हैं। घर का हर कोना सूरज की यादों से भरा है। वहीं, इंस्पेक्टर विजय कुमार ने जब वंदना की बेटी शैलजा से मां के पास जाने के संबंध में पूछा तो उसने इन्कार करते हुए नानी के पास ही रहने की बात कही। इसके बाद पुलिस टीम वहां से लौट आई।
मासूम की नानी ने रोते हुए कहा कि सूरज काफी दिनों से अपने मां-पापा को याद कर रहा था लेकिन जब मिलने का वक्त आया तो वह हमेशा के लिए चला गया। मां अब बेटी के सहारे ही जीने की बात कह रही हैं। घर का हर कोना सूरज की यादों से भरा है। वहीं, इंस्पेक्टर विजय कुमार ने जब वंदना की बेटी शैलजा से मां के पास जाने के संबंध में पूछा तो उसने इन्कार करते हुए नानी के पास ही रहने की बात कही। इसके बाद पुलिस टीम वहां से लौट आई।
जेल में पूरी रात रोते रहे माता-पिता, नहीं खाया खाना
जेल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सूरज की मौत की खबर के बाद माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। सूचना के बाद से दोनों ने कुछ नहीं खाया, न आंखों में नींद आई। मां वंदना बार-बार बेटे का नाम पुकारती रही। वहीं पुरुष बैरक में बंद पिता राहुल खामोश बैठे आंसू पोंछता रहा। वहीं घर में मासूम की बहन शैलजा भाई के लिए बिलखती नजर आई, यह देख सभी की आंखें नम होतीं रहीं।
जेल से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सूरज की मौत की खबर के बाद माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। सूचना के बाद से दोनों ने कुछ नहीं खाया, न आंखों में नींद आई। मां वंदना बार-बार बेटे का नाम पुकारती रही। वहीं पुरुष बैरक में बंद पिता राहुल खामोश बैठे आंसू पोंछता रहा। वहीं घर में मासूम की बहन शैलजा भाई के लिए बिलखती नजर आई, यह देख सभी की आंखें नम होतीं रहीं।
एनाक्लाटिक सिंड्रोम: मां से बिछोह होने पर खाना छोड़ देता है बच्चा
बच्चे भी मानसिक रूप से बीमार होते हैं। खासकर ऐसे बच्चे जो किसी कारणवश मां से बिछड़ जाते हैं। बाल मनोविज्ञान में इसे एनाक्लाटिक सिंड्रोम कहा जाता है। अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो भूख-प्यास से तड़पते बच्चे में हार्मोंस विकार और इलेक्ट्राेलाइट असंतुलन होता है। गंभीर अवस्था में हर्ट अटैक तक हो सकता है।
बच्चे भी मानसिक रूप से बीमार होते हैं। खासकर ऐसे बच्चे जो किसी कारणवश मां से बिछड़ जाते हैं। बाल मनोविज्ञान में इसे एनाक्लाटिक सिंड्रोम कहा जाता है। अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो भूख-प्यास से तड़पते बच्चे में हार्मोंस विकार और इलेक्ट्राेलाइट असंतुलन होता है। गंभीर अवस्था में हर्ट अटैक तक हो सकता है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आमिल हयात खान बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहले भी कई ऐसे मामले आ चुके हैं। बच्चों का मां से गहरा लगाव होता है। जब कोई बच्चा मां से बिछड़ता है तो एनाक्लाटिक सिंड्रोम की वजह से हार्मोंस का स्तर बिगड़ जाता है। इस वजह से वह खाना-पीना छोड़ देता है।
धीरे-धीरे बच्चा कमजोर होने लगता है। कुछ दिन में ही उसके शरीर में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक आदि का स्तर भी बिगड़ सकता है। इसमें बच्चे को हार्ट अटैक तक हो सकता है। ऐसे मामले में बच्चा बार-बार रोता है और खाना-पीना छोड़ देता है। इसलिए अगर बच्चे में ऐसे लक्षण दिखें तो उसे तत्काल मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।