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जीएसटी में खेल: बैंड, बाजा... बरात ने बनाया धनकुबेर मगर GST रिकॉर्ड में 'कंगाल', अब खंगाले जाएंगे रिकार्ड

रोहित सिंह, गोरखपुर Published by: रोहित सिंह Updated Wed, 29 Oct 2025 01:04 PM IST
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सार

जीएसटी सूत्रों के मुताबिक मैरिज हाउस या रिजॉर्ट वाले बुकिंग में ही सारा खेल कर रहे हैं। जैसे बुकिंग पांच लाख रुपये की है तो कैटरिंग-सजावट और अन्य खर्च दिखाकर ये कुल शुल्क 10 से 12 लाख रुपये कर देते हैं। बुकिंग सिर्फ 80 हजार से एक लाख रुपये में दिखाते हैं। अन्य सुविधाओं के साथ कैटरिंग और अन्य का भुगतान दिखाकर कच्चे पेपर (बिना जीएसटी पंजीकरण संख्या वाली बिलिंग) पर लेन-देन कर लेते हैं।

Marriage houses, clubs and resorts in Gorakhpur are booking weddings without paying GST, thus evading taxes.
जीएसटी - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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मंडल में कई ऐसे मैरिज हाउस, रिजॉर्ट व क्लब हैं जो जीएसटी रिकॉर्ड में वार्षिक टर्नओवर शून्य दिखाते हैं जबकि आम दिनों के आयोजन के अलावा सहालग में इनके परिसर में बैंड बाजा और बरात से खूब रौनक रहती है। जीएसटी विभाग ऐसे गड़बड़झाले पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।



बुधवार-बृहस्पतिवार को जोन के राज्य कर अधिकारी (सीटीओ) की बैठक में पंजीकृत मैरिज हाउस व रिजार्ट के पिछले वर्षों में जमा किए कर और बुकिंग की जांच की जाएगी और इसी के आधार पर कर चोरी पर कार्रवाई की जाएगी।

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जीएसटी सूत्रों के मुताबिक मैरिज हाउस या रिजॉर्ट वाले बुकिंग में ही सारा खेल कर रहे हैं। जैसे बुकिंग पांच लाख रुपये की है तो कैटरिंग-सजावट और अन्य खर्च दिखाकर ये कुल शुल्क 10 से 12 लाख रुपये कर देते हैं। बुकिंग सिर्फ 80 हजार से एक लाख रुपये में दिखाते हैं।

अन्य सुविधाओं के साथ कैटरिंग और अन्य का भुगतान दिखाकर कच्चे पेपर (बिना जीएसटी पंजीकरण संख्या वाली बिलिंग) पर लेन-देन कर लेते हैं। ऐसे में अगर 13 लाख रुपये की एक बुकिंग हुई तो रिकॉर्ड में एक लाख रुपये का शुल्क दिखाकर उसकी रसीद आयोजक को दे देते हैं और जीएसटी का रिकॉर्ड मेंटेन कर लेते हैं।

ऐसे में 40 लाख रुपये के अंदर का व्यापार दिखाकर अपनी जेब भरते हैं और मुनाफा रख लेते हैं। सबसे ज्यादा 18 प्रतिशत टैक्स विवाह घरों पर लगता है यानी 2 लाख की बुकिंग पर 36 हजार रुपये जीएसटी लगेगा। सूत्रों के मुताबिक जांच में यह भी पता चला है कि कई मैरिज हाउस व रिजॉर्ट वाले आयोजक से तो जीएसटी शुल्क जोड़कर भुगतान लेते हैं।

बोगस फर्मों के नाम पर रुपये खपा देते हैं या कच्ची पर्ची पर भुगतान की सलाह देकर उनसे जीएसटी वसूल लेते हैं और कुल तय दाम में उन्हें कुछ छूट का झांसा देते हैं। ऐसे धंधेबाज, अपनी असली फर्म पर सालाना 20-25 लाख रुपये का खर्च दिखाकर जीएसटी का रिकार्ड दुरुस्त कर लेते हैं।

बुकिंग लाखों रुपये की, टर्नओवर दिखाते हैं शून्य
शहर के अलावा संतकबीरनगर, कुशीनगर और महराजगंज में कुछ ऐसे मैरिज हाउस संचालक हैं जो अपनी बुकिंग एक से डेढ़ लाख में करते हैं लेकिन टर्नओवर शून्य दिखा दिया है। सूत्रों के मुताबिक जीएसटी के अधिकारियों ने गोपनीय तरीके से शादी के निमंत्रण पत्र छापने वाले कुछ प्रिटिंग प्रेस से ब्योरा लिया है।

इनमें बड़े क्लब, होटल और रिजॉर्ट में आयोजन की जानकारी शामिल है। जीएसटी अधिकारियों ने शादी समारोह की तिथि और उसी तारीख में खुद अपने स्तर से भी बुकिंग के नाम पर पूरी जानकारी कच्चे-पक्के पेपर की जुटाई है।

बारात घर पर बुकिंग रजिस्टर अनिवार्य
जीएसटी विभाग के अफसरों के मुताबिक, विवाह घरों में बुकिंग रजिस्टर रखना अनिवार्य है। इसमें आयोजन की तारीख, बुकिंग, एडवांस (इस पर टैक्स सबसे पहले देना होता है), आयोजक का मोबाइल नंबर और कुल भुगतान का विवरण लिखना होता है।

जांच के दौरान बुकिंग के रिकॉर्ड और जीएसटी में घोषित कर का मिलान किया जाता जाता है। अमूमन बारात घर और रिजॉर्ट संचालक अपने यहां बुकिंग रस्टिर रखते ही नहीं है। रखते भी हैं तो उसमें सेटिंग से बुकिंग वाले रिकॉर्ड नहीं लिखते हैं।

मैरिज हाउस, क्लब और रिजॉर्ट के जमा किए गए जीएसटी की जानकारी ली जा रही है। जांच कर पता लगाया जाएगा कि पिछले वर्ष कितना कर भुगतान किया था और इस वर्ष कितने में बुकिंग कर रहे हैं। छोटे मैरिज हाउस की बुकिंग भी सालाना 35 से 40 लाख रुपये की होती है, लेकिन सिर्फ दो से तीन लाख रुपये घोषित कर ये कर चोरी कर रहे हैं। गोपनीय तरीके से भी कुछ दस्तावेज इकट्ठा कराए गए हैं: उदित नारायण सिंह, ज्वाइंट कमिश्नर
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