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Chaitra navratri 2023: नाव पर सवार होकर आ रही हैं माता, हाथी पर होगा प्रस्थान

संवाद न्यूज एजेंसी गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Wed, 22 Mar 2023 02:59 PM IST
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सार

वासंतिक नवरात्र की सप्तमी तिथि 28 मार्च को है। इस दिन सप्तमी तिथि संपूर्ण दिन और रात को आठ बजकर 29 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि है। इस दिन अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि होने से महानिशा पूजा और बलिदानिक क्रिया संपन्न होगी।

Chaitra navratri 2023 start today fasting and worshiping for nine days
गोरखपुर में मनाया जा रहा है नवरात्र। - फोटो : अमर उजाला।
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष नवरात्र में माता का आगमन और गमन दोनों शुभ फलदायक है। शुभारंभ बुधवार से हो रहा है और देवी का गमन दशमी तिथि शुक्रवार को होगा। ऐसे में आगमन, नवमी और पारणा ये तीनों ही दिन अत्यंत शुभ हैं। एक तरफ माता का आगमन जहां नौका पर होने से सिद्धि फलदायक होगा, तो वहीं हाथी पर माता का गमन होने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

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वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार नववर्ष और वासंतिक नवरात्र 22 मार्च से हो रहा है। इस दिन चैत्र मास प्रतिपदा तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात्रि नौ बजकर 24 मिनट तक है।
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उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शाम चार बजकर 28 मिनट तक। सूर्योदय के समय शुक्ल योग है। इस दिन नवरात्र व्रत के निमित्त कलश की स्थापना की जाएगी। सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले कलश स्थापना कभी भी की जा सकती है।

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वासंतिक नवरात्र का महत्व

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, इस दौरान हर दिन मां के नौ अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। नौवें दिन ही हवन के बाद कन्या पूजन होता है। श्रद्धालु 10वें दिन पारण करते हैं।

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कलश स्थापना पूजन विधि
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, वासंतिक नवरात्र का पर्व आरंभ करने के लिए मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ और गेहूं मिलाकर बोएं। उस पर विधिपूर्वक कलश स्थापित करें। कलश पर देवी मूर्ति (धातु या मिट्टी) अथवा चित्रपट स्थापित करें।

पूजा सामग्री एकत्रित कर पवित्र आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठें। इसके बाद आचमन, प्राणायाम, आसन शुद्धि करके शांति मंत्र का पाठ कर संकल्प करें। रक्षा दीपक जला लें।
 

28 की रात होगी महानिशा पूजा

वासंतिक नवरात्र की सप्तमी तिथि 28 मार्च को है। इस दिन सप्तमी तिथि संपूर्ण दिन और रात को आठ बजकर 29 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि है। इस दिन अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि होने से महानिशा पूजा और बलिदानिक क्रिया संपन्न होगी।

29 को होगा अष्टमी व्रत
29 को अष्टमी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात्रि को 10 बजकर एक मिनट तक है। उदया तिथि में अष्टमी होने से महाष्टमी व्रत के लिए यही दिन मान्य रहेगा। जो शुरुआत और अंत दिन का नवरात्र व्रत करते हैं उनके लिए यह दिन सर्वोत्तम है।

30 को होगी पूर्णाहुति
वासंतिक नवरात्र की पूर्णाहुति 30 को होगी। इस दिन नवमी तिथि संपूर्ण दिन और रात्रि 11 बजकर 53 मिनट तक है। ऐसे में पूर्णाहुति इसी दिन होगी। वहीं व्रत का पारण दशमी तिथि यानी 31 मार्च को होगा।

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