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Gorakhpur News: जो दिल में हो वही करें...बॉलीवुड में सपनों को पूरा करने के लिए चुकानी पड़ी है बड़ी कीमत
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गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल में नाटक कबीर -क्रांति का शंखनाद का मंचन करते कलाकार।अमर उजाला
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- गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के ''''गुफ्तगू'''' कार्यक्रम में बोले फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर
- बोले- महिलाओं के जीवन पर बना रहा फिल्म ''''वाइफ'''', अगले साल होगी रिलीज
- 14 साल की उम्र में वीडियो कैसेट का किया कारोबार, ज्यादा फिल्में देखी तो फिल्म बनाने की मिली प्रेरणा
संवाद न्यूज एजेंसी
गोरखपुर। फिल्म निर्माता और निर्देशक मधुर भंडारकर ने कहा कि आपका आत्मविश्वास ही आपको किसी भी क्षेत्र में टिकाए रखता है। जो दिल में हो वही करना चाहिए। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है पर बॉलीवुड में उन्हें पूरा करने के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
मधुर भंडारकर शनिवार को गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के आठवें संस्करण में आयोजित शब्द संवाद के कार्यक्रम ''''गुफ्तगू'''' में अपने विचार रख रहे थे। बैंक रोड स्थित निजी होटली में आयोजित ''''गुफ्तगू'''' में उन्होंने कहा कि टूटना और निराश होना प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। मध्यमवर्गीय परिवार से निकलने वाले लोग फिल्मों में अपने शौक के दम पर ही आगे बढ़ते हैं। फिल्म मेकिंग में फिल्म के क्राफ्ट पर काम करना सबसे जरूरी है और उसके उद्देश्य पर ध्यान देना अहम है। उन्होंने अपने संघर्ष और फिल्म निर्माण के अनुभवों को बेबाकी से साझा किया। कहा कि 14 वर्ष की उम्र में वीडियो कैसेट का व्यवसाय किया। मैं सिनेमा देखता था, यहीं से मुझे फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली। आर्थिक समस्याओं के कारण मुझे मस्कट भी जाना पड़ा। फिल्म लाइन में काफी अनिश्चितता है।
उन्होंने कहा कि सच दिखाना आसान नहीं होता। सत्ता, पेज थ्री, कॉरपोरेट और ट्रैफिक सिग्नल, फैशन पर तो फिल्म इंडस्ट्री ने कुछ खास नहीं कहा पर जब हीरोइन बनाई तो उन्हें हजम नहीं हुआ और मेरी आलोचना होने लगी। सच दिखाने के लिए डार्क साइड को यथावत दिखाना बड़ी चुनौती थी। मेरी फिल्में 70 प्रतिशत रियलिटी और तीस फीसदी ड्रैमेटिक होती हैं। मैं रिस्क लेने में विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा, मुझे दर्शक के बीच जाकर फिल्मों के लिए रिसर्च करना बहुत पसंद है। मैं एक्टिंग तो नहीं करता पर मैं लोगों से बेस्ट परफॉर्मेंस निकलवा सकता हूं।
- बोले- महिलाओं के जीवन पर बना रहा फिल्म ''''वाइफ'''', अगले साल होगी रिलीज
- 14 साल की उम्र में वीडियो कैसेट का किया कारोबार, ज्यादा फिल्में देखी तो फिल्म बनाने की मिली प्रेरणा
संवाद न्यूज एजेंसी
गोरखपुर। फिल्म निर्माता और निर्देशक मधुर भंडारकर ने कहा कि आपका आत्मविश्वास ही आपको किसी भी क्षेत्र में टिकाए रखता है। जो दिल में हो वही करना चाहिए। सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है पर बॉलीवुड में उन्हें पूरा करने के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
मधुर भंडारकर शनिवार को गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के आठवें संस्करण में आयोजित शब्द संवाद के कार्यक्रम ''''गुफ्तगू'''' में अपने विचार रख रहे थे। बैंक रोड स्थित निजी होटली में आयोजित ''''गुफ्तगू'''' में उन्होंने कहा कि टूटना और निराश होना प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। मध्यमवर्गीय परिवार से निकलने वाले लोग फिल्मों में अपने शौक के दम पर ही आगे बढ़ते हैं। फिल्म मेकिंग में फिल्म के क्राफ्ट पर काम करना सबसे जरूरी है और उसके उद्देश्य पर ध्यान देना अहम है। उन्होंने अपने संघर्ष और फिल्म निर्माण के अनुभवों को बेबाकी से साझा किया। कहा कि 14 वर्ष की उम्र में वीडियो कैसेट का व्यवसाय किया। मैं सिनेमा देखता था, यहीं से मुझे फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली। आर्थिक समस्याओं के कारण मुझे मस्कट भी जाना पड़ा। फिल्म लाइन में काफी अनिश्चितता है।
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उन्होंने कहा कि सच दिखाना आसान नहीं होता। सत्ता, पेज थ्री, कॉरपोरेट और ट्रैफिक सिग्नल, फैशन पर तो फिल्म इंडस्ट्री ने कुछ खास नहीं कहा पर जब हीरोइन बनाई तो उन्हें हजम नहीं हुआ और मेरी आलोचना होने लगी। सच दिखाने के लिए डार्क साइड को यथावत दिखाना बड़ी चुनौती थी। मेरी फिल्में 70 प्रतिशत रियलिटी और तीस फीसदी ड्रैमेटिक होती हैं। मैं रिस्क लेने में विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा, मुझे दर्शक के बीच जाकर फिल्मों के लिए रिसर्च करना बहुत पसंद है। मैं एक्टिंग तो नहीं करता पर मैं लोगों से बेस्ट परफॉर्मेंस निकलवा सकता हूं।
