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Gorakhpur News: जांच की आंच मुख्यालय तक...रिकॉर्ड खंगालने कभी भी आ सकती है सीबीआई
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गति शक्ति प्रोजेक्ट के ठेके में गोरखपुर सहित कई रेलवे स्टेशन शामिल, यहां भी फर्जी दस्तावेज लगाने का शक
ठेके के लिए फर्जी एफडीआर और अनुभव प्रमाणपत्र लगाने की सीबीआई कर रही जांच
सीबीआई ने दो दिन लखनऊ और वाराणसी डीआरएम कार्यालय में जांच कर जुटाए सबूत
गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ और वाराणसी मंडल में चल रही सीबीआई जांच की आंच मुख्यालय गोरखपुर तक पहुंच गई है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई के रडार पर गति शक्ति प्रोजेक्ट भी है, जिसके संबंध में ज्यादा शिकायतें मिली हैं। इसी प्रोजेक्ट के तहत गोरखपुर समेत 50 से ज्यादा स्टेशनों पर पुनर्विकास कार्य में ठेका हासिल करने के लिए बैंक गारंटी के तौर पर फर्जी सावधि जमा रसीद (एफडीआर) जमा कराने का शक है। इस मामले में गोरखपुर और बस्ती मंडल में निर्माण कार्यों के दस्तावेजों की जांच और अफसरों व अधिकारियों से पूछताछ करने सीबीआई की टीम जल्द ही आ सकती है।
सीबीआई की जांच शुरू होते ही मुख्यालय गोरखपुर में हड़कंप मच गया है। निर्माण और लेखा अनुभाग में शनिवार को छुट्टी के दिन भी कुछ अधिकारी और रेलकर्मी फाइलों की जांच-पड़ताल करते रहे। अमृत भारत योजना के तहत गोरखपुर में करीब 500 करोड़ रुपये का काम कराया जा रहा है। लखनऊ, ऐशबाग, बस्ती, मगहर, तुलसीपुर, खलीलाबाद, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर, गोंडा, आनंदनगर, देवरिया सदर आदि स्टेशनों पर भी काम चल रहा है।
सीबीआई के पास सबूत के साथ शिकायत हुई है कि इन स्टेशनों पर टेंडर के लिए सिक्योरिटी मनी के तौर पर लगाए गए ज्यादातर एफडीआर और अनुभव प्रमाणपत्र फर्जी हैं। इसमें ठेकेदारों के साथ रेल अधिकारियों की साठगांठ है।
इसी मामले में सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने बृहस्पतिवार को उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल, पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल और वाराणसी मंडल के कार्यालयों में पहुंचकर भुगतान संबंधी दस्तावेजों की जांच की। सीबीआई जांच में सामने आया कि कुछ कंपनियां अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी एफडीआर जमा करवा रही थीं। टीम ने ठेके से संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं।
महिला अफसर से जुड़े लोगों के खंगाले जा रहे रिकॉर्ड
सीबीआई ने जुलाई 2025 में लखनऊ और वाराणसी में रेलवे के दो अफसरों समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इस दौरान उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल की गतिशक्ति यूनिट से भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ी गई एक महिला अफसर की भूमिका ज्यादा है। महिला अफसर के करीबियों की तीन फर्में हैं। इसमें से एक फर्म उसके परिवार की थी। उसके कई रिश्तेदार भी रेलवे के ठेके से जुड़े हुए हैं। सीबीआई अब उस महिला से जुड़े लोगों का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है। सूत्रों की मानें तो महिला के कुछ परिचितों को एनईआर में भी ठेका मिला है और कागजातों में गड़बड़ी का शक है।

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सीबीआई ने दो दिन लखनऊ और वाराणसी डीआरएम कार्यालय में जांच कर जुटाए सबूत
गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ और वाराणसी मंडल में चल रही सीबीआई जांच की आंच मुख्यालय गोरखपुर तक पहुंच गई है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई के रडार पर गति शक्ति प्रोजेक्ट भी है, जिसके संबंध में ज्यादा शिकायतें मिली हैं। इसी प्रोजेक्ट के तहत गोरखपुर समेत 50 से ज्यादा स्टेशनों पर पुनर्विकास कार्य में ठेका हासिल करने के लिए बैंक गारंटी के तौर पर फर्जी सावधि जमा रसीद (एफडीआर) जमा कराने का शक है। इस मामले में गोरखपुर और बस्ती मंडल में निर्माण कार्यों के दस्तावेजों की जांच और अफसरों व अधिकारियों से पूछताछ करने सीबीआई की टीम जल्द ही आ सकती है।
सीबीआई की जांच शुरू होते ही मुख्यालय गोरखपुर में हड़कंप मच गया है। निर्माण और लेखा अनुभाग में शनिवार को छुट्टी के दिन भी कुछ अधिकारी और रेलकर्मी फाइलों की जांच-पड़ताल करते रहे। अमृत भारत योजना के तहत गोरखपुर में करीब 500 करोड़ रुपये का काम कराया जा रहा है। लखनऊ, ऐशबाग, बस्ती, मगहर, तुलसीपुर, खलीलाबाद, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, लखीमपुर, गोंडा, आनंदनगर, देवरिया सदर आदि स्टेशनों पर भी काम चल रहा है।
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सीबीआई के पास सबूत के साथ शिकायत हुई है कि इन स्टेशनों पर टेंडर के लिए सिक्योरिटी मनी के तौर पर लगाए गए ज्यादातर एफडीआर और अनुभव प्रमाणपत्र फर्जी हैं। इसमें ठेकेदारों के साथ रेल अधिकारियों की साठगांठ है।
इसी मामले में सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने बृहस्पतिवार को उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल, पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल और वाराणसी मंडल के कार्यालयों में पहुंचकर भुगतान संबंधी दस्तावेजों की जांच की। सीबीआई जांच में सामने आया कि कुछ कंपनियां अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी एफडीआर जमा करवा रही थीं। टीम ने ठेके से संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं।
महिला अफसर से जुड़े लोगों के खंगाले जा रहे रिकॉर्ड
सीबीआई ने जुलाई 2025 में लखनऊ और वाराणसी में रेलवे के दो अफसरों समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इस दौरान उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल की गतिशक्ति यूनिट से भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ी गई एक महिला अफसर की भूमिका ज्यादा है। महिला अफसर के करीबियों की तीन फर्में हैं। इसमें से एक फर्म उसके परिवार की थी। उसके कई रिश्तेदार भी रेलवे के ठेके से जुड़े हुए हैं। सीबीआई अब उस महिला से जुड़े लोगों का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है। सूत्रों की मानें तो महिला के कुछ परिचितों को एनईआर में भी ठेका मिला है और कागजातों में गड़बड़ी का शक है।