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Gorakhpur News: पुलिस को मिले पुख्ता सबूत...चार और नर्सिंग होम में फर्जीवाड़ा
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इंश्योरेंश ठगी : ई-मेल के जरिये इंश्योरेंस क्लेम के लिए भेजे गए थे फर्जी कागजात
जालसाजों ने कंप्यूटर से डाटा डिलीट कर सबूत मिटाने की कोशिश की थी
गोरखपुर। डिसेंट हॉस्पिटल में हेल्थ इंश्योरेंस फर्जीवाड़े की परतें खुलती जा रही हैं। पुलिस की जांच में अब चार और नर्सिंग होमों की संलिप्तता सामने आई है। हॉस्पिटल के मैनेजर की गिरफ्तारी के बाद जब उसका कंप्यूटर खंगाला गया तो उसमें कई चौंकाने वाले दस्तावेज मिले। इन दस्तावेजों में चार नर्सिंग होम से जुड़े ई-मेल शामिल हैं, जिनके जरिये इंश्योरेंस क्लेम के लिए फर्जी कागजात भेजे गए थे। जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपियों ने कंप्यूटर से डाटा डिलीट करके सबूत मिटाने की कोशिश की थी।
हालांकि, पुलिस की तकनीकी टीम ने कई फाइलें रिकवर कर ली हैं और बाकी का काम जारी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इन नर्सिंग होम के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
पूरे मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। कंपनी ने बताया कि दिल्ली निवासी सत्यदीप के नाम पर 1.80 लाख रुपये का फर्जी हेल्थ इंश्योरेंस भुगतान हुआ है। जांच में यह पाया गया कि सत्यदीप कभी अस्पताल आए ही नहीं थे। खुद सत्यदीप ने भी इस बात की पुष्टि की। फर्जीवाड़े का मामला सामने आने पर पुलिस ने डिसेंट हॉस्पिटल के संचालक शमशुल और उसके पार्टनर प्रवीण उर्फ विकास त्रिपाठी को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था।
पूछताछ में पता चला कि इन दोनों ने गोरखपुर और बस्ती स्थित डिसेंट हॉस्पिटल में 15 फर्जी मरीजों के नाम पर 1.20 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम का भुगतान कराया था। पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ी तो इस फर्जीवाड़े में कथित डॉक्टर गगहा निवासी अफजल और हॉस्पिटल मैनेजर ताहिर का नाम भी सामने आया। दोनों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो यह पता चला कि जिस एपेक्स नामक अस्पताल में मरीजों का फॉलोअप दिखाया गया था, वह वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है।
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संदिग्ध रिकॉर्ड और सुनियोजित साजिश
पुलिस को डिसेंट हॉस्पिटल के रिकॉर्ड से भी कई संदिग्ध फाइलें मिलीं। जांच में यह साफ हो गया है कि सुनियोजित तरीके से फर्जी मरीज दिखाकर इंश्योरेंस कंपनियों से क्लेम पास कराए जाते थे। पुलिस अब कंप्यूटर से मिले दस्तावेजों और रिकवर किए गए डेटा के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रही है।
वर्जन
मामले में और भी कई अस्पतालों के शामिल होने की आशंका है। कंप्यूटर से मिले सबूत बेहद मजबूत हैं। इन्हीं के आधार पर अन्य नर्सिंग होमों पर भी जल्द शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।
- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी

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जालसाजों ने कंप्यूटर से डाटा डिलीट कर सबूत मिटाने की कोशिश की थी
गोरखपुर। डिसेंट हॉस्पिटल में हेल्थ इंश्योरेंस फर्जीवाड़े की परतें खुलती जा रही हैं। पुलिस की जांच में अब चार और नर्सिंग होमों की संलिप्तता सामने आई है। हॉस्पिटल के मैनेजर की गिरफ्तारी के बाद जब उसका कंप्यूटर खंगाला गया तो उसमें कई चौंकाने वाले दस्तावेज मिले। इन दस्तावेजों में चार नर्सिंग होम से जुड़े ई-मेल शामिल हैं, जिनके जरिये इंश्योरेंस क्लेम के लिए फर्जी कागजात भेजे गए थे। जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपियों ने कंप्यूटर से डाटा डिलीट करके सबूत मिटाने की कोशिश की थी।
हालांकि, पुलिस की तकनीकी टीम ने कई फाइलें रिकवर कर ली हैं और बाकी का काम जारी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इन नर्सिंग होम के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
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पूरे मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। कंपनी ने बताया कि दिल्ली निवासी सत्यदीप के नाम पर 1.80 लाख रुपये का फर्जी हेल्थ इंश्योरेंस भुगतान हुआ है। जांच में यह पाया गया कि सत्यदीप कभी अस्पताल आए ही नहीं थे। खुद सत्यदीप ने भी इस बात की पुष्टि की। फर्जीवाड़े का मामला सामने आने पर पुलिस ने डिसेंट हॉस्पिटल के संचालक शमशुल और उसके पार्टनर प्रवीण उर्फ विकास त्रिपाठी को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था।
पूछताछ में पता चला कि इन दोनों ने गोरखपुर और बस्ती स्थित डिसेंट हॉस्पिटल में 15 फर्जी मरीजों के नाम पर 1.20 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम का भुगतान कराया था। पुलिस की तफ्तीश आगे बढ़ी तो इस फर्जीवाड़े में कथित डॉक्टर गगहा निवासी अफजल और हॉस्पिटल मैनेजर ताहिर का नाम भी सामने आया। दोनों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो यह पता चला कि जिस एपेक्स नामक अस्पताल में मरीजों का फॉलोअप दिखाया गया था, वह वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है।
संदिग्ध रिकॉर्ड और सुनियोजित साजिश
पुलिस को डिसेंट हॉस्पिटल के रिकॉर्ड से भी कई संदिग्ध फाइलें मिलीं। जांच में यह साफ हो गया है कि सुनियोजित तरीके से फर्जी मरीज दिखाकर इंश्योरेंस कंपनियों से क्लेम पास कराए जाते थे। पुलिस अब कंप्यूटर से मिले दस्तावेजों और रिकवर किए गए डेटा के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रही है।
वर्जन
मामले में और भी कई अस्पतालों के शामिल होने की आशंका है। कंप्यूटर से मिले सबूत बेहद मजबूत हैं। इन्हीं के आधार पर अन्य नर्सिंग होमों पर भी जल्द शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।
- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी