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Gorakhpur News: राष्ट्रीय लोक अदालत में 10 लाख से अधिक वादों का निस्तारण
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वादकारियों को मिला त्वरित और सुलभ न्याय : न्यायमूर्ति विवेक वर्मा
प्रशासनिक न्यायमूर्ति ने दीप प्रज्वलन कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ
गोरखपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से माह के द्वितीय शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में कुल 10,32,826 वादों का निस्तारण किया गया। पारिवारिक न्यायालय के तहत प्री-लिटिगेशन और लिटिगेशन स्तर पर कुल 69 पारिवारिक वादों का समाधान हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रशासनिक न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य लंबित वादों का निस्तारण सुलह समझौते के माध्यम से करना है, ताकि वादकारी लंबित न्यायिक प्रक्रियाओं से राहत पा सकें और त्वरित, सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त कर सकें।
लोक अदालत में विभिन्न बैंकों, फाइनेंस कंपनियों और भारत दूरसंचार निगम से जुड़े 1,265 वादों का समाधान कर 83,44,858 रुपये नगद जमा कराए गए। अलग-अलग न्यायालयों द्वारा किए गए निस्तारण में वाणिज्यिक न्यायालय के 9 वादे, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के 358 वादे और परिवार न्यायालय के 64 वादे शामिल हैं। आपराधिक प्रकृति के वादों का भी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण किया गया, जिसमें कुल 24,674 वादों का समाधान हुआ।
अपर जिलाधिकारी (प्रशासन)/नोडल अधिकारी, उप जिलाधिकारीगण और अन्य राजस्व अधिकारीगण भी सक्रिय रूप से सहभागी रहे। राजस्व एवं अन्य विभागों द्वारा कुल 10,06,135 प्री-लिटिगेशन वादों का निस्तारण किया गया। अपर जनपद न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि इस लोक अदालत ने न्यायपालिका के प्रति जनता का भरोसा बढ़ाने और न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल लंबित वादों के बोझ को कम करने और समाज में न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद करती है। कार्यक्रम में जनपद न्यायाधीश राजकुमार सिंह, अन्य न्यायिक अधिकारी, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्री उपस्थित रहे।

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गोरखपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से माह के द्वितीय शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में कुल 10,32,826 वादों का निस्तारण किया गया। पारिवारिक न्यायालय के तहत प्री-लिटिगेशन और लिटिगेशन स्तर पर कुल 69 पारिवारिक वादों का समाधान हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रशासनिक न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य लंबित वादों का निस्तारण सुलह समझौते के माध्यम से करना है, ताकि वादकारी लंबित न्यायिक प्रक्रियाओं से राहत पा सकें और त्वरित, सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त कर सकें।
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लोक अदालत में विभिन्न बैंकों, फाइनेंस कंपनियों और भारत दूरसंचार निगम से जुड़े 1,265 वादों का समाधान कर 83,44,858 रुपये नगद जमा कराए गए। अलग-अलग न्यायालयों द्वारा किए गए निस्तारण में वाणिज्यिक न्यायालय के 9 वादे, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के 358 वादे और परिवार न्यायालय के 64 वादे शामिल हैं। आपराधिक प्रकृति के वादों का भी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण किया गया, जिसमें कुल 24,674 वादों का समाधान हुआ।
अपर जिलाधिकारी (प्रशासन)/नोडल अधिकारी, उप जिलाधिकारीगण और अन्य राजस्व अधिकारीगण भी सक्रिय रूप से सहभागी रहे। राजस्व एवं अन्य विभागों द्वारा कुल 10,06,135 प्री-लिटिगेशन वादों का निस्तारण किया गया। अपर जनपद न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि इस लोक अदालत ने न्यायपालिका के प्रति जनता का भरोसा बढ़ाने और न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल लंबित वादों के बोझ को कम करने और समाज में न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद करती है। कार्यक्रम में जनपद न्यायाधीश राजकुमार सिंह, अन्य न्यायिक अधिकारी, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्री उपस्थित रहे।