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ऑर्थो एज-2025 : युवाओं में बढ़ रहे कूल्हे की हड्डी के रोग

Gorakhpur Bureau गोरखपुर ब्यूरो
Updated Sun, 14 Sep 2025 02:05 AM IST
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Gorakhpur News: Ortho Age-2025: Hip bone diseases are increasing among the youth
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कूल्हे की बीमारियों पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार, 12 राज्यों से आए विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव
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गोरखपुर। युवाओं में शराब और स्टेरॉयड का सेवन कूल्हे की हड्डियों को तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। कूल्हे में खून की आपूर्ति बाधित होने से हड्डी सूखने लगती है, जिसे ए-वैस्कुलर नैक्रोसिस (एवीएन) कहते हैं। पहले इसे बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन कोविड-19 के बाद यह युवाओं में तेजी से फैल रही है।
ये कहना है बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन प्रधान का। वे शनिवार से शहर के एक होटल में शुरू हुए हड्डी रोग विशेषज्ञों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले सत्र को संबोधित कर रहे थे। डॉ. पवन ने बताया कि आज की स्थिति यह है कि कई युवाओं को अपने जीवनकाल में दो बार कूल्हा प्रत्यारोपण कराना पड़ रहा है।
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हड्डियों से जुड़ी बीमारियों पर चर्चा के लिए गोरखपुर में आयोजित ऑर्थो एज-2025 सेमिनार में करीब 280 हड्डी रोग विशेषज्ञ शामिल हुए। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन का विषय है कूल्हे की सभी प्रकार की बीमारियां। इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत 12 राज्यों से आए विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। उद्घाटन मेयर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने किया।
अहमदाबाद से आए डॉ. निमिष पटेल और डॉ. जिग्नेश पांड्या ने बताया कि कूल्हे, गर्दन और सिर में होने वाला फ्रैक्चर बुजुर्गों में आम है। यह अक्सर बाथरूम में फिसलने या सड़क पर गिरने से होता है। युवाओं में सड़क हादसे इसकी मुख्य वजह बनते हैं। इस फ्रैक्चर की सर्जरी बेहद जटिल होती है और कभी-कभी अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते। कई मामलों में ओपन सर्जरी कर स्क्रू से हड्डी को कसना पड़ता है।
दूसरे सत्र में डॉ. भारतेंद्र जैन और डॉ. राघवेंद्र त्रिपाठी ने बच्चों में हड्डी टूटने के मामलों पर चेताया। उन्होंने कहा कि माता-पिता अक्सर बच्चों की हड्डी टूटने को सामान्य चोट मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। समय पर इलाज न मिलने से ऐसी चोटें गंभीर रूप ले सकती हैं। बच्चों की हड्डियां तेजी से बढ़ती हैं, इसलिए इलाज में देरी से हड्डी गलत तरीके से जुड़ सकती है। इससे दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है और भविष्य में विकलांगता का खतरा बढ़ सकता है।
सेमिनार के आयोजन में डॉ. बीबी त्रिपाठी, डॉ. अमित मिश्रा, डॉ. एसके त्रिपाठी, डॉ. वत्सल खेतान, डॉ. अनूप अग्रवाल, डॉ. संजीव सिंह, डॉ. आलोक सिंह, डॉ. रितेश कुमार, डॉ. आरपी शुक्ला, डॉ. सुधीर श्याम कुशवाहा और डॉ. अजय भारती शामिल रहे।
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