Gorakhpur News: सोमवार की रात के बाद से फलाहारी हो गए शौकीन, नौ दिन ठंडा रहेगा मीट-मुर्गे का बाजार
पंडित शरत चंद्र मिश्र ने बताया कि पूजा तीन प्रकार की होती है। सात्विक, राजसीय और तामसी। सात्विक पूजा को सर्वोत्तम माना जाता है। अगर किसी को पूजन का श्रेष्ठ फल प्राप्त करना हो तो सात्विक पूजा करें। इसके लिए सात्विक आहार की आवश्यकता है। लहसुन, प्याज, मांस, मछली और अंडा सात्विक भोजन की श्रेणी में नहीं आते हैं।


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नवरात्र के दो दिन पहले तक मीट-मुर्गे का बाजार खूब गरमाया रहा। हालांकि एक दिन पहले मंगलवार होने की वजह से कई लोग मायूस हुए। ज्यादातर लोगों ने सोमवार को ही जायका चख लिया। सामान्य दिनों की तुलना में सोमवार को तीन गुना अधिक मीट-मुर्गे की बिक्री हुई।
मंगलवार को कई दुकानों पर सन्नाटा पसरा रहा तो रेस्त्रां-होटल में भी कम ही लोगों ने डिमांड की। गोलघर स्थित सिंह बिरियानी के प्रोपराइटर राजू सिंह कहते हैं कि मंगलवार को ज्यादातर लोग मीट-मुर्गा नहीं खाते हैं। यही वजह रही कि बिक्री कम हुई लेकिन सोमवार को बाजार अच्छा रहा। दो दिन के बराबर ग्राहक आए।
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एक अनुमान के मुताबिक सामान्य दिनों में शहर में 50 क्विंटल मुर्गा और 15 से 20 क्विंटल बकरे के मीट की बिक्री होती है। सोमवार को तकरीबन सभी दुकानों, रेस्त्रां पर दो से तीन गुनी बिक्री हुई। राजू कहते हैं कि हर साल की तरह इस बार भी पूरे नवरात्र तक उनके रेस्त्रां में मांसाहार नहीं बनेगा।
गणेश चौराहा स्थित शेरे पंजाब रेस्त्रां में भी जहां सोमवार को पैर रखने की जगह नहीं थी, वहीं मंगलवार को ज्यादातर कुर्सियां और मेज खाली दिखीं। टीपी नगर-महेवा बांध स्थित मीट विक्रेता मुख्तार का कहना है कि सोमवार को चार-पांच बकरे की बिक्री हो गई थी। मगर, आज बिक्री कमजोर रही। सिर्फ एक बकरे की ही खपत हो पाई। इसके बाद दुकान बंद कर दी गई।
घोषकंपनी चौराहे पर मीट की जिन दो दुकानों पर आम दिनों में प्राय: भीड़ लगी रहती है, वहां भी मंगलवार को सन्नाटा पसरा रहा। गिनती के एक-दो खरीदार ही दुकान पर खड़े मिले। ऐसा ही नजारा दाउदपुर स्थित मीट विक्रेता की दुकान का भी रहा। दुकानदार गद्दी पर बैठे ग्राहक का इंतजार कर रहा था।
एक दिन में बिक गया 45 क्विंटल से अधिक मीट
नवरात्र के एक दिन पहले मंगलवार पड़ने की वजह से सोमवार को ही ज्यादातर मांसाहार के शौकीनों ने छककर मीट-मुर्गा खाया। कई जगहों पर पार्टी का भी आयोजन हुआ। मीट विक्रेताओं के मुताबिक सोमवार को जहां 70 क्विंटल से अधिक मुर्गे और 45 क्विंटल से अधिक बकरे के मीट की खपत हो गई।
पंडित शरत चंद्र मिश्र ने बताया कि पूजा तीन प्रकार की होती है। सात्विक, राजसीय और तामसी। सात्विक पूजा को सर्वोत्तम माना जाता है। अगर किसी को पूजन का श्रेष्ठ फल प्राप्त करना हो तो सात्विक पूजा करें। इसके लिए सात्विक आहार की आवश्यकता है। लहसुन, प्याज, मांस, मछली और अंडा सात्विक भोजन की श्रेणी में नहीं आते हैं। ऐसे में पूजन के फल श्रेष्ठ प्राप्ति के लिए नहीं आते हैं। ऐसे में लहसुन, प्याज, मांस, मछली और अंडा का सेवन नहीं करना चाहिए।