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Gorakhpur News: नौकरी की जालसाजी के आरोपियों के खातों की रकम जब्त
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गोरखपुर। रेलवे ग्रुप-डी भर्ती में जालसाजी कर नौकरी दिलाने के मामले में प्रशासन ने आरोपी पूर्व रेलकर्मी चंद्रशेखर आर्य और राम सजीवन के बैंक खातों में पांच लाख से अधिक जमा रकम जब्त कर ली है। इससे पहले इसी मामले में चंद्रशेखर आर्य का शाहपुर थाना क्षेत्र के राप्तीनगर इलाके में स्थित मकान कुर्क किया जा चुका है। यह कार्रवाई कैंट थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट की प्राथमिकी के तहत की गई है। विवेचना एम्स थाना पुलिस की ओर से की जा रही थी।
पुलिस के अनुसार, चंद्रशेखर आर्य मूल रूप से गाजीपुर जिले के सादात थाना क्षेत्र का निवासी है। जबकि इस गिरोह का सरगना राम सजीवन शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित रेलवे कॉलोनी में रहता है। दोनों पहले रेलवे से जुड़े रहे हैं और अपने पद व संपर्कों का दुरुपयोग कर भर्ती प्रक्रिया में धांधली करते थे।
पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया है कि रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप-डी परीक्षा में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से परिणामों में हेराफेरी की गई थी। इसी साजिश के तहत चंद्रशेखर आर्य ने अपने बेटे राहुल प्रताप का नाम चयन सूची में शामिल करा दिया था। मामले की जांच के बाद आरोपों की पुष्टि होने पर 15 जून को चंद्रशेखर आर्य, उसके बेटे राहुल प्रताप, पूर्व रेलकर्मी राम सजीवन और उसके बेटे सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में चारों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई थी।
पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना राम सजीवन रेलवे भर्ती बोर्ड में कार्यरत रह चुका है। उसी दौरान उसने इस पूरे नेटवर्क को खड़ा किया। अभ्यर्थियों को नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी और फर्जी दस्तावेजों के सहारे भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया जाता था। इसी क्रम में जिलाधिकारी गोरखपुर दीपक मीणा के आदेश पर गैंग लीडर राम सजीवन और गैंग सदस्य चंद्रशेखर आर्य के बैंक खातों में जमा कुल 5,26,149.18 रुपये की रकम जब्त की गई है। इसमें राम सजीवन के खाते से 2,04,200.28 रुपये और चंद्रशेखर आर्य के खाते से 3,21,948.90 रुपये शामिल हैं। प्रशासन का मानना है कि यह रकम संगठित अपराध और धोखाधड़ी से अर्जित की गई थी।
धोखाधड़ी और संगठित अपराध से अर्जित संपत्तियों के खिलाफ आगे भी इसी तरह सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और कानून के तहत अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त किया जाएगा।
- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
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पुलिस के अनुसार, चंद्रशेखर आर्य मूल रूप से गाजीपुर जिले के सादात थाना क्षेत्र का निवासी है। जबकि इस गिरोह का सरगना राम सजीवन शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित रेलवे कॉलोनी में रहता है। दोनों पहले रेलवे से जुड़े रहे हैं और अपने पद व संपर्कों का दुरुपयोग कर भर्ती प्रक्रिया में धांधली करते थे।
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पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया है कि रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप-डी परीक्षा में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से परिणामों में हेराफेरी की गई थी। इसी साजिश के तहत चंद्रशेखर आर्य ने अपने बेटे राहुल प्रताप का नाम चयन सूची में शामिल करा दिया था। मामले की जांच के बाद आरोपों की पुष्टि होने पर 15 जून को चंद्रशेखर आर्य, उसके बेटे राहुल प्रताप, पूर्व रेलकर्मी राम सजीवन और उसके बेटे सौरभ के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में चारों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई थी।
पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना राम सजीवन रेलवे भर्ती बोर्ड में कार्यरत रह चुका है। उसी दौरान उसने इस पूरे नेटवर्क को खड़ा किया। अभ्यर्थियों को नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी और फर्जी दस्तावेजों के सहारे भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया जाता था। इसी क्रम में जिलाधिकारी गोरखपुर दीपक मीणा के आदेश पर गैंग लीडर राम सजीवन और गैंग सदस्य चंद्रशेखर आर्य के बैंक खातों में जमा कुल 5,26,149.18 रुपये की रकम जब्त की गई है। इसमें राम सजीवन के खाते से 2,04,200.28 रुपये और चंद्रशेखर आर्य के खाते से 3,21,948.90 रुपये शामिल हैं। प्रशासन का मानना है कि यह रकम संगठित अपराध और धोखाधड़ी से अर्जित की गई थी।
धोखाधड़ी और संगठित अपराध से अर्जित संपत्तियों के खिलाफ आगे भी इसी तरह सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा और कानून के तहत अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त किया जाएगा।
- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
