सफर की अधूरी खुशी: गरीबों की पकड़ से दूर हुई दिल्ली की ट्रेनें, किराया बढ़कर हुआ तीन गुना
वर्तमान में नई ट्रेन चलाने की स्थिति में रेल प्रशासन नहीं है। इसकी प्रमुख वजह है कि पिछले 10 वर्षों में ट्रेनों की संख्या तो बढ़ाई गई लेकिन, संसाधन बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में पटरियों पर लोड बढ़ता गया।


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शाहपुर के शैलेश कुमार दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उनके कुनबे में पांच लोग हैं। वेतन उन्हें करीब 16 हजार रुपये मिलते हैं। होली में घर आए थे अब लौटना है। किसी भी ट्रेन में उन्हें सीट नहीं मिल रही है। किसी ने सलाह दी कि हमसफर एक्सप्रेस से चले जाएं टिकट कंफर्म हो जाएगा। जब एसी सीट का किराया उन्होंने जोड़ा तो हिम्मत नहीं जुटा पाए।
कहते हैं, वेतन का मोटा हिस्सा अगर किराया में खर्च हो जाएगा तो महीने का बजट गड़बड़ा जाएगा। उनके सामने फिर वही प्रश्न है कि जाएं कैसे? ऐसे में उनके लिए दिल्ली की राह अभी बहुत दूर है।
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दरअसल, इस समस्या का सामना बहुत सारे यात्री कर रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत दिल्ली की यात्रा में हैं क्योंकि ट्रेनें सीमित हैं। यात्रियों के लिए स्लीपर की जगह एसी कोच में यात्रा कर पाना आसान नहीं है। यह दिक्कत बीते तीन-चार महीनों से ज्यादा बढ़ी है। रेलवे ने ट्रेनों के रेक में अब जनरल और स्लीपर की जगह एसी के कोच लगाने शुरू किए हैं।
तर्क दिया गया है कि यह मानकीकरण हो रहा है, इससे ट्रेनों के संचलन में आसानी होगी। लेकिन, इसका दूसरा पहलू यात्रियों को तकलीफ देने वाला है। परिवार में अगर पांच सदस्य हैं तो एसी 3 कोच से यात्रा में ही करीब छह हजार खर्च हो जाएंगे, जबकि स्लीपर में दो हजार में चले जाते थे।
गोरखधाम में कम हो गईं जनरल की 630 सीटें
ट्रेनें चलाते गए और संसाधन पर ध्यान नहीं दिए
वर्तमान में नई ट्रेन चलाने की स्थिति में रेल प्रशासन नहीं है। इसकी प्रमुख वजह है कि पिछले 10 वर्षों में ट्रेनों की संख्या तो बढ़ाई गई लेकिन, संसाधन बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में पटरियों पर लोड बढ़ता गया। पूर्वोत्तर रेलवे में अब तीन वर्षों से आधारभूत संरचना को बढ़ाने के लिए काम हो रहे हैं। सिंगल लाइन को डबल लाइन में बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है, बावजूद इसके पटरियां खाली नहीं हैं।
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दिल्ली के लिए सुपरफास्ट ट्रेन का किराया
जनरल | स्लीपर | एसी 3 |
235 | 395 | 1165 |
फैक्ट फाइल
- गोरखपुर से जाने वाली कुल ट्रेनें : 182
- गोरखपुर से चलने वाली ट्रेनें : 37
- दिल्ली के लिए गोरखपुर से ट्रेनें : 02
- बिहार से दिल्ली के लिए ट्रेनें : 10
- दिल्ली के लिए रोजाना यात्रियों की संख्या : 5 हजार
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यात्री बोले
यात्री रवि भूषण राय ने कहा कि गोरखपुर और आसपास के जिलों के ज्यादातर लोग कामकाज के लिए दिल्ली जाते हैं। हमारी प्राथमिकता जनरल या स्लीपर कोच है। इसका किराया हमारे बजट में भी है। लेकिन, रेल प्रशासन इसके उलट एसी कोच बढ़ाते जा रहा है। मेरा बजट इतना नहीं है, मजबूरी है कि जनरल कोच में धक्के खाते जाऊंगा।
यात्री सुमित कुमार ने कहा कि मुझे भी परिवार के साथ जाना था। अब स्लीपर कोच में टिकट नहीं मिला तो एसी कोच में आरक्षण कराया हूं। इसके लिए मुझे मित्र से उधार लेना पड़ा है। अब वेतन मिलते को चुकाउंगा। दिल्ली जाना है तो अब किसी तरह जाना ही पड़ेगा।