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Ambala News: सालाना कीर्तन समागम में रागी जत्थों ने सुनाई शहीदी गाथा
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संवाद न्यूज एजेंसी
अंबाला। छावनी की माता गुजर कौर जी लंगर कमेटी, रामपुर मोड़ की तरफ से रविवार को गुरुद्वारा गोबिंद नगर में सालाना कीर्तन समागम का आयोजन करवाया गया। यह समागम धन-धन साहिबजादा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह और धन माता गुजर कौर की शहादत को समर्पित रहा। समागम सुबह 10 बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्र-छाया में अरदास के उपरांत आरंभ हुआ और शाम लगभग पांच बजे समागम की समाप्ति की गई। इस मौके पर संगत के लिए गुरु का अटूट लंगर बांटा गया।
समागम की शुरुआत साहिब कौर जी के कीर्तनी जत्थे ने की, तत्पश्चात लुधियाना से आए बीबी सिमरन कौर के जत्थे ने इलाहीबाणी के जाप किए। इसके बाद रवालों वाले बाबा हरबंस सिंह ने गुरु के विचारों से संगत को ज्ञान दिया। इसी प्रकार दरबार साहिब श्री अमृतसर साहिब से आए कीर्तनी जत्थे भाई भूपिंदर सिंह हजूरी रागी सिंहों ने संगत को गुरबाणी सुनाकर निहाल किया, वहीं चंडीगढ़ से आए कथावाचक ज्ञानी अमरीक सिंह ने शहीदी गाथा सुनाकर संगत को गुरु द्वारा दिखाए गए सच के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
समागम के अंत में गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब से आए ढाडी जत्थे ज्ञानी जसपाल सिंह तान ने साथियों के साथ शहीदी पर आधारित साखियां सुनाईं। माता गुजर कौर लंगर कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया, 26 दिसंबर को शहीदों की धरती पर नतमस्तक होने के लिए जा रही संगत के लिए रामपुर मोड़ पर सुबह से शाम तक चाय व गुरु का लंगर अटूट बरताया जाएगा।
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अंबाला। छावनी की माता गुजर कौर जी लंगर कमेटी, रामपुर मोड़ की तरफ से रविवार को गुरुद्वारा गोबिंद नगर में सालाना कीर्तन समागम का आयोजन करवाया गया। यह समागम धन-धन साहिबजादा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह और धन माता गुजर कौर की शहादत को समर्पित रहा। समागम सुबह 10 बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्र-छाया में अरदास के उपरांत आरंभ हुआ और शाम लगभग पांच बजे समागम की समाप्ति की गई। इस मौके पर संगत के लिए गुरु का अटूट लंगर बांटा गया।
समागम की शुरुआत साहिब कौर जी के कीर्तनी जत्थे ने की, तत्पश्चात लुधियाना से आए बीबी सिमरन कौर के जत्थे ने इलाहीबाणी के जाप किए। इसके बाद रवालों वाले बाबा हरबंस सिंह ने गुरु के विचारों से संगत को ज्ञान दिया। इसी प्रकार दरबार साहिब श्री अमृतसर साहिब से आए कीर्तनी जत्थे भाई भूपिंदर सिंह हजूरी रागी सिंहों ने संगत को गुरबाणी सुनाकर निहाल किया, वहीं चंडीगढ़ से आए कथावाचक ज्ञानी अमरीक सिंह ने शहीदी गाथा सुनाकर संगत को गुरु द्वारा दिखाए गए सच के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
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समागम के अंत में गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब से आए ढाडी जत्थे ज्ञानी जसपाल सिंह तान ने साथियों के साथ शहीदी पर आधारित साखियां सुनाईं। माता गुजर कौर लंगर कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया, 26 दिसंबर को शहीदों की धरती पर नतमस्तक होने के लिए जा रही संगत के लिए रामपुर मोड़ पर सुबह से शाम तक चाय व गुरु का लंगर अटूट बरताया जाएगा।