{"_id":"693b10096ef17564b80d5e04","slug":"sadhaks-celebrated-oshos-birth-anniversary-and-pledged-to-adopt-his-teachings-hisar-news-c-21-hsr1020-768212-2025-12-12","type":"story","status":"publish","title_hn":"Hisar News: साधकों ने ओशो जन्मोत्सव मनाकर देशनाओं को अपनाने का लिया संकल्प","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Hisar News: साधकों ने ओशो जन्मोत्सव मनाकर देशनाओं को अपनाने का लिया संकल्प
विज्ञापन
ओशो ध्यान उपवन में केक काटकर ओशो का जन्मोत्सव मनाते साधक।
विज्ञापन
हिसार। सिरसा रोड स्थित ओशो ध्यान उपवन में साधकों ने केक काटकर, नाचते-झूमते सतगुरु ओशो का जन्मोत्सव मनाया और उनकी देशनाओं को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। अवसर पर स्वामी सच्चिदानंद, स्वामी संजय और मां सांची ने दो दिवसीय मेडिटेशन कैंप में साधकों को आत्म-जागरूकता और आंतरिक चेतना के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
स्वामी संजय ने कहा कि ओशो ने आध्यात्मिकता को नए आयाम देते हुए इंसान को खुशहाल और आनंदमय जीवन का मार्ग दिखाया। उनका बताया ध्यान दृष्टिकोण आज के भागदौड़ भरे जीवन में भी उतना ही प्रासंगिक है, जिसके कारण दुनिया भर में करोड़ों लोग उनकी शिक्षाओं को अपनाकर आंतरिक शांति का अनुभव कर रहे हैं।
स्वामी सच्चिदानंद ने ओशो की ओर से बताई ध्यान विधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला और साधकों से इन्हें दैनिक जीवन में शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सच्ची खुशी भीतर से उत्पन्न होने वाला आनंद है, न कि किसी बाहरी साधन से मिलने वाली क्षणिक प्रसन्नता। वर्तमान में साक्षी भाव के साथ जीने से मानसिक तनाव स्वतः कम होता है और जीवन उत्सव में बदल जाता है। उन्होंने कहा कि जो जैसा है उसे स्वीकार करना सीखें यही शांति का मार्ग है।
साधकों ने समझीं विविध ध्यान विधियां
ओशो जन्मोत्सव के दौरान आयोजित दो दिवसीय मेडिटेशन कैंप में साधकों को ध्यान की विभिन्न विधियों से रूबरू कराया गया। स्वामी संजय और मां सांची ने ध्यान की महत्ता बताई और उसका अभ्यास करवाया। मां सांची ने कहा कि नियमित ध्यान से न केवल मानसिक समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि व्यक्ति अपने भीतर उतरकर गहरे आनंद की अनुभूति करता है। उन्होंने कहा कि सतगुरु ओशो ने ध्यान से करोड़ों लोगों को जोड़कर मानवता पर बड़ा उपकार किया है।
Trending Videos
स्वामी संजय ने कहा कि ओशो ने आध्यात्मिकता को नए आयाम देते हुए इंसान को खुशहाल और आनंदमय जीवन का मार्ग दिखाया। उनका बताया ध्यान दृष्टिकोण आज के भागदौड़ भरे जीवन में भी उतना ही प्रासंगिक है, जिसके कारण दुनिया भर में करोड़ों लोग उनकी शिक्षाओं को अपनाकर आंतरिक शांति का अनुभव कर रहे हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
स्वामी सच्चिदानंद ने ओशो की ओर से बताई ध्यान विधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला और साधकों से इन्हें दैनिक जीवन में शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सच्ची खुशी भीतर से उत्पन्न होने वाला आनंद है, न कि किसी बाहरी साधन से मिलने वाली क्षणिक प्रसन्नता। वर्तमान में साक्षी भाव के साथ जीने से मानसिक तनाव स्वतः कम होता है और जीवन उत्सव में बदल जाता है। उन्होंने कहा कि जो जैसा है उसे स्वीकार करना सीखें यही शांति का मार्ग है।
साधकों ने समझीं विविध ध्यान विधियां
ओशो जन्मोत्सव के दौरान आयोजित दो दिवसीय मेडिटेशन कैंप में साधकों को ध्यान की विभिन्न विधियों से रूबरू कराया गया। स्वामी संजय और मां सांची ने ध्यान की महत्ता बताई और उसका अभ्यास करवाया। मां सांची ने कहा कि नियमित ध्यान से न केवल मानसिक समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि व्यक्ति अपने भीतर उतरकर गहरे आनंद की अनुभूति करता है। उन्होंने कहा कि सतगुरु ओशो ने ध्यान से करोड़ों लोगों को जोड़कर मानवता पर बड़ा उपकार किया है।