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Kaithal News: एक साल में 14,527 लोग बने मिसाल, 40% ने छोड़ा नशा
संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल
Updated Wed, 10 Dec 2025 12:59 AM IST
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कपिल तंवर
कैथल। नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं और युवतियों को मुख्यधारा में लौटाने के उद्देश्य से जिला नागरिक अस्पताल में संचालित नशा मुक्ति केंद्र लगातार नई उम्मीद की किरण बनकर सामने आ रहा है। वर्ष 2025 के दौरान अब तक जिले भर से 14,527 लोग नशा छोड़ने के लिए इस केंद्र में पहुंचे हैं, जिनमें से करीब 40 प्रतिशत लोग पूरी तरह नशामुक्त हो चुके हैं।
नशा छोड़ने के लिए आगे आने वाले अधिकांश लोग शराब, बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, अफीम, गुटखा, खैनी, भोला, गांजा, फूलपत्ती, डोडा पोस्त, भुक्की जैसे घातक नशों के आदी थे। इन लोगों ने नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचकर अपने जीवन को दोबारा सही दिशा देने का संकल्प लिया है।
गौरतलब है कि जिला नागरिक अस्पताल में संचालित यह नशा मुक्ति केंद्र नशे की लत छोड़वाने में प्रभावी भूमिका निभा रहा है। जब कोई मरीज यहां पहुंचता है, तो सबसे पहले उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और उसके बाद दवाइयों का कोर्स शुरू किया जाता है। मरीज को करीब एक सप्ताह की दवाई दी जाती है और एक सप्ताह बाद दोबारा जांच के लिए बुलाया जाता है।
चिकित्सकों के अनुसार यदि व्यक्ति नियमित रूप से दवा का सेवन और परामर्श का पालन करता है, तो वह 5 से 6 माह के भीतर नशा छोड़ने में सफल हो जाता है।
10 महीने में इतने लोग आए नशा छोड़ने आगे
जनवरी 2025 से 30 नवंबर 2025 तक का ब्यौरा
1 जनवरी से 31 मार्च 2025 तक: 3,393 व्यक्ति
1 अप्रैल से 30 जून 2025 तक: 3,411 व्यक्ति
1 जुलाई से 30 सितंबर 2025 तक: 4,271 व्यक्ति
अक्तूबर 2025: 1,665 व्यक्ति
नवंबर 2025: 1,787 व्यक्ति
गांव-गांव तक जागरूकता, युवाओं को मिल रहा नया रास्ता
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। गांव-गांव टीमों के माध्यम से युवाओं और बुजुर्गों को नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है और जरूरतमंद लोगों को नशा मुक्ति केंद्र तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से भी निरंतर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र के चिकित्सकों ने अपील की है कि नशे से जूझ रहे व्यक्ति या उनके परिजन बिना झिझक केंद्र में आकर सलाह लें। यहां मिलने वाली सेवाएं पूरी तरह गोपनीय और सुरक्षित रखी जाती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि नशा कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि सही उपचार और दृढ़ इच्छाशक्ति से इसे पूरी तरह छोड़ा जा सकता है।
जमीनी कहानियां: जब बदली जिंदगी की दिशा
मेरी नौकरी जाने वाली थी, घर वाले भी परेशान थे
नाम न बताने की शर्त पर गुहला-चीका के 27 वर्षीय युवक ने बताया कि वह पहले डोडा-पोस्त का सेवन करता था। उसकी नौकरी पर संकट आ गया था और परिवार पूरी तरह परेशान था। एक दोस्त के कहने पर वह नशा मुक्ति केंद्र पहुंचा। शुरुआत में दवाई से शरीर में कमजोरी और दर्द महसूस हुआ, लेकिन डॉक्टरों ने उसे बताया कि यह सामान्य प्रक्रिया है। आज वह दोबारा नौकरी पर है और उसके घर में खुशियां लौट आई हैं।
मुझे लगता था नशा छोड़ना नामुमकिन है
गांव कांगथली के 32 वर्षीय युवक ने बताया कि वह कई वर्षों से शराब का आदी था। कई बार प्रयास करने के बावजूद वह हर बार वापस उसी दलदल में फंस जाता था। जब परिवार उसे पहली बार नशा मुक्ति केंद्र लेकर आया तो उसे डर लग रहा था, लेकिन आज वह चार महीने से पूरी तरह नशामुक्त है। उसका कहना है कि अब उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उसे उसका जीवन दोबारा मिल गया हो।
नशे का शरीर पर गंभीर प्रभाव
• नशा करने से मस्तिष्क की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है।
• तंबाकू, शराब और ड्रग्स फेफड़ों और हृदय पर बुरा असर डालते हैं।
• शराब और नशीली दवाइयों से लीवर कमजोर हो जाता है।
• लंबे समय तक सेवन से लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
• नशा भूख को कम कर देता है, जिससे शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
• नशा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगता है।
वर्जन
जिला नागरिक अस्पताल के 36 नंबर कक्ष में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। जो लोग सीधे अस्पताल आने से हिचकते हैं, वे टेली मानस सेवा (14416) हेल्पलाइन के माध्यम से भी परामर्श ले सकते हैं। उपचार प्रक्रिया में रोगी के साथ-साथ उसके परिवार की सक्रिय भूमिका बेहद आवश्यक है। परिवार का सहयोग, प्रोत्साहन और नियमित निगरानी नशा छोड़ने की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बना देती है।
डॉ. विनय गुप्ता
निगरानी एवं मूल्यांकन अधिकारी, जिला नागरिक अस्पताल
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कैथल। नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं और युवतियों को मुख्यधारा में लौटाने के उद्देश्य से जिला नागरिक अस्पताल में संचालित नशा मुक्ति केंद्र लगातार नई उम्मीद की किरण बनकर सामने आ रहा है। वर्ष 2025 के दौरान अब तक जिले भर से 14,527 लोग नशा छोड़ने के लिए इस केंद्र में पहुंचे हैं, जिनमें से करीब 40 प्रतिशत लोग पूरी तरह नशामुक्त हो चुके हैं।
नशा छोड़ने के लिए आगे आने वाले अधिकांश लोग शराब, बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, अफीम, गुटखा, खैनी, भोला, गांजा, फूलपत्ती, डोडा पोस्त, भुक्की जैसे घातक नशों के आदी थे। इन लोगों ने नशा मुक्ति केंद्र में पहुंचकर अपने जीवन को दोबारा सही दिशा देने का संकल्प लिया है।
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गौरतलब है कि जिला नागरिक अस्पताल में संचालित यह नशा मुक्ति केंद्र नशे की लत छोड़वाने में प्रभावी भूमिका निभा रहा है। जब कोई मरीज यहां पहुंचता है, तो सबसे पहले उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और उसके बाद दवाइयों का कोर्स शुरू किया जाता है। मरीज को करीब एक सप्ताह की दवाई दी जाती है और एक सप्ताह बाद दोबारा जांच के लिए बुलाया जाता है।
चिकित्सकों के अनुसार यदि व्यक्ति नियमित रूप से दवा का सेवन और परामर्श का पालन करता है, तो वह 5 से 6 माह के भीतर नशा छोड़ने में सफल हो जाता है।
10 महीने में इतने लोग आए नशा छोड़ने आगे
जनवरी 2025 से 30 नवंबर 2025 तक का ब्यौरा
1 जनवरी से 31 मार्च 2025 तक: 3,393 व्यक्ति
1 अप्रैल से 30 जून 2025 तक: 3,411 व्यक्ति
1 जुलाई से 30 सितंबर 2025 तक: 4,271 व्यक्ति
अक्तूबर 2025: 1,665 व्यक्ति
नवंबर 2025: 1,787 व्यक्ति
गांव-गांव तक जागरूकता, युवाओं को मिल रहा नया रास्ता
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। गांव-गांव टीमों के माध्यम से युवाओं और बुजुर्गों को नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है और जरूरतमंद लोगों को नशा मुक्ति केंद्र तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से भी निरंतर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र के चिकित्सकों ने अपील की है कि नशे से जूझ रहे व्यक्ति या उनके परिजन बिना झिझक केंद्र में आकर सलाह लें। यहां मिलने वाली सेवाएं पूरी तरह गोपनीय और सुरक्षित रखी जाती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि नशा कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि सही उपचार और दृढ़ इच्छाशक्ति से इसे पूरी तरह छोड़ा जा सकता है।
जमीनी कहानियां: जब बदली जिंदगी की दिशा
मेरी नौकरी जाने वाली थी, घर वाले भी परेशान थे
नाम न बताने की शर्त पर गुहला-चीका के 27 वर्षीय युवक ने बताया कि वह पहले डोडा-पोस्त का सेवन करता था। उसकी नौकरी पर संकट आ गया था और परिवार पूरी तरह परेशान था। एक दोस्त के कहने पर वह नशा मुक्ति केंद्र पहुंचा। शुरुआत में दवाई से शरीर में कमजोरी और दर्द महसूस हुआ, लेकिन डॉक्टरों ने उसे बताया कि यह सामान्य प्रक्रिया है। आज वह दोबारा नौकरी पर है और उसके घर में खुशियां लौट आई हैं।
मुझे लगता था नशा छोड़ना नामुमकिन है
गांव कांगथली के 32 वर्षीय युवक ने बताया कि वह कई वर्षों से शराब का आदी था। कई बार प्रयास करने के बावजूद वह हर बार वापस उसी दलदल में फंस जाता था। जब परिवार उसे पहली बार नशा मुक्ति केंद्र लेकर आया तो उसे डर लग रहा था, लेकिन आज वह चार महीने से पूरी तरह नशामुक्त है। उसका कहना है कि अब उसे ऐसा महसूस होता है जैसे उसे उसका जीवन दोबारा मिल गया हो।
नशे का शरीर पर गंभीर प्रभाव
• नशा करने से मस्तिष्क की सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित हो जाती है।
• तंबाकू, शराब और ड्रग्स फेफड़ों और हृदय पर बुरा असर डालते हैं।
• शराब और नशीली दवाइयों से लीवर कमजोर हो जाता है।
• लंबे समय तक सेवन से लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
• नशा भूख को कम कर देता है, जिससे शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता।
• नशा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगता है।
वर्जन
जिला नागरिक अस्पताल के 36 नंबर कक्ष में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। जो लोग सीधे अस्पताल आने से हिचकते हैं, वे टेली मानस सेवा (14416) हेल्पलाइन के माध्यम से भी परामर्श ले सकते हैं। उपचार प्रक्रिया में रोगी के साथ-साथ उसके परिवार की सक्रिय भूमिका बेहद आवश्यक है। परिवार का सहयोग, प्रोत्साहन और नियमित निगरानी नशा छोड़ने की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बना देती है।
डॉ. विनय गुप्ता
निगरानी एवं मूल्यांकन अधिकारी, जिला नागरिक अस्पताल