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Panchkula News: अधिग्रहण के बाद खरीदी जमीन पर लैंड पूलिंग का हक नहीं, अदालत ने सुनाया फैसला
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मोहाली। अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद खरीदी गई जमीन पर लैंड पूलिंग या वैकल्पिक प्लॉट का लाभ नहीं मिलेगा। यह अहम फैसला मोहाली की अदालत ने सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने के बाद जमीन खरीदने वाला व्यक्ति केवल मुआवजे के हकदार हो सकते हैं, न कि लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत प्लॉट या साइट के। मामला गांव चाओमाजरा तहसील व जिला मोहाली की एक कनाल जमीन से जुड़ा है।
यह जमीन मूल रूप से बलवेश्वर सिंह पुत्र आत्मा इंदर सिंह के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी। सरकार की ओर से 17 अक्टूबर 2019 को भूमि अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बावजूद 7 जनवरी 2021 को उक्त जमीन का बिक्री विलेख सुमित सिंगला और समीर गुप्ता के पक्ष में पंजीकृत किया गया और म्यूटेशन भी दर्ज हो गया।
बाद में खरीदारों ने पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी (5 जनवरी 2021) के तहत आवासीय/व्यावसायिक प्लॉट के लिए लेटर ऑफ इंटेंट जारी करने की मांग की। इस पर लैंड एक्विजिशन कलेक्टर, जीएमएडीए ने संदर्भ याचिका दायर कर स्वामित्व और मुआवजे के अधिकार को लेकर अदालत से निर्णय मांगा। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हवाला देकर कहा कि अधिग्रहण की अधिसूचना के बाद की गई खरीद-फरोख्त सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती।
ऐसी स्थिति में बाद का खरीदार लैंड पॉलिसी का लाभ नहीं ले सकता। अदालत ने कहा कि लैंड पूलिंग का अधिकार केवल उसी व्यक्ति को है, जो अधिसूचना जारी होने की तारीख पर जमीन का मालिक था। अंत में अदालत ने निर्णय दिया कि लैंड पूलिंग के तहत लेटर ऑफ इंटेंट मूल मालिक बलवेश्वर सिंह के नाम जारी किया जाए। इसके साथ ही यह संदर्भ याचिका निस्तारित कर दी गई और आदेश की प्रति जीएमएडीए को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने के निर्देश दिए गए।
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यह जमीन मूल रूप से बलवेश्वर सिंह पुत्र आत्मा इंदर सिंह के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी। सरकार की ओर से 17 अक्टूबर 2019 को भूमि अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बावजूद 7 जनवरी 2021 को उक्त जमीन का बिक्री विलेख सुमित सिंगला और समीर गुप्ता के पक्ष में पंजीकृत किया गया और म्यूटेशन भी दर्ज हो गया।
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बाद में खरीदारों ने पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी (5 जनवरी 2021) के तहत आवासीय/व्यावसायिक प्लॉट के लिए लेटर ऑफ इंटेंट जारी करने की मांग की। इस पर लैंड एक्विजिशन कलेक्टर, जीएमएडीए ने संदर्भ याचिका दायर कर स्वामित्व और मुआवजे के अधिकार को लेकर अदालत से निर्णय मांगा। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हवाला देकर कहा कि अधिग्रहण की अधिसूचना के बाद की गई खरीद-फरोख्त सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती।
ऐसी स्थिति में बाद का खरीदार लैंड पॉलिसी का लाभ नहीं ले सकता। अदालत ने कहा कि लैंड पूलिंग का अधिकार केवल उसी व्यक्ति को है, जो अधिसूचना जारी होने की तारीख पर जमीन का मालिक था। अंत में अदालत ने निर्णय दिया कि लैंड पूलिंग के तहत लेटर ऑफ इंटेंट मूल मालिक बलवेश्वर सिंह के नाम जारी किया जाए। इसके साथ ही यह संदर्भ याचिका निस्तारित कर दी गई और आदेश की प्रति जीएमएडीए को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने के निर्देश दिए गए।