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Rohtak News: अदालत ने खारिज की पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट, 19 तक जांच कर नई देनी होगी
संवाद न्यूज एजेंसी, रोहतक
Updated Wed, 10 Dec 2025 02:34 AM IST
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रोहतक। चौदह साल पहले मकड़ौली खुर्द स्कूल के भवन निर्माण की राशि में गोलमाल करने वालों के सिर पर फिर से खतरा मंडराने लगा है। जेएमआईसी हिमांशु आर्य की अदालत ने आर्थिक अनियमितताओं के मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस की कैंसिलेशन रिपोर्ट खारिज कर दी है। अब पुलिस को भवन निर्माण समेत गबन के अन्य मामलों की भी गहनता से जांच करनी होगी।
इसकी रिपोर्ट 19 दिसंबर तक अदालत में देनी होगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलजीत सिंह ने अदालत से आदेश आने तक कुछ भी कहने में असमर्थता जताई है। इधर, आर्य नगर थाना प्रभारी बिजेंद्र ने कहा कि इस मामले में अदालत के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
प्रेम नगर निवासी राजेंद्र सिंह ने सितंबर 2016 को राज्यपाल को शिकायत देकर शिक्षा विभाग में भवन निर्माण की राशि में गोलमाल समेत गबन के 11 मामलों की जांच व कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन एडीसी अजय कुमार ने वर्ष 2017-18 में जांच की थी। इसकी रिपोर्ट 20 अगस्त 2018 को माध्यमिक स्कूल शिक्षा के निदेशक को भेजी गई थी।
जांच रिपोर्ट के आधार पर माध्यमिक स्कूली शिक्षा की उप निदेशक इंद्रा बेनीवाल ने जून 2022 में आर्य नगर थाना रोहतक में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए गबन के आरोपी जेबीटी शिक्षक सूरत सिंह मलिक को सेवानिवृत्ति का लाभ देने की बात कही गई है।
हाईकोर्ट ने जेबीटी शिक्षक को ग्रेच्युटी व कम्युटेशन पेेंशन छोड़कर अन्य लाभ देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए शिक्षक से बगैर किसी तरह की रिकवरी के ही उसे सभी तरह के लाभ जारी कर दिए। पुलिस ने दो साल से ज्यादा समय तक जांच के बाद जुलाई 2024 में एफआईआर रद्द करने के लिए अदालत में भेज दी।
शिकायतकर्ता सेवानिवृत्त शिक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि गबन के मामलों की स्थिति से अदालत को अवगत कराया। इसमें शिकायत के 11 बिंदुओं में से महज बिंदु नंबर तीन के छोटे से भाग पर ही एफआईआर की गई। शेष दस बिंदुओं को जांच में शामिल नहीं किया गया। यही नहीं बिंदु नंबर तीन की भी आधी अधूरी जांच की गई।
अदालत को 20 अगस्त 2018 को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि अभियुक्त कई अपराधों में शामिल पाए गए हैं। ऐसे में मुख्य शिकायत के सभी 11 बिंदुओं पर अलग-अलग जांच किया जाना आवश्यक है। अदालत ने इस संबंध में थाना प्रभारी व जांच अधिकारी को जांच कर 19 दिसंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
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इसकी रिपोर्ट 19 दिसंबर तक अदालत में देनी होगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलजीत सिंह ने अदालत से आदेश आने तक कुछ भी कहने में असमर्थता जताई है। इधर, आर्य नगर थाना प्रभारी बिजेंद्र ने कहा कि इस मामले में अदालत के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
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प्रेम नगर निवासी राजेंद्र सिंह ने सितंबर 2016 को राज्यपाल को शिकायत देकर शिक्षा विभाग में भवन निर्माण की राशि में गोलमाल समेत गबन के 11 मामलों की जांच व कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन एडीसी अजय कुमार ने वर्ष 2017-18 में जांच की थी। इसकी रिपोर्ट 20 अगस्त 2018 को माध्यमिक स्कूल शिक्षा के निदेशक को भेजी गई थी।
जांच रिपोर्ट के आधार पर माध्यमिक स्कूली शिक्षा की उप निदेशक इंद्रा बेनीवाल ने जून 2022 में आर्य नगर थाना रोहतक में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए गबन के आरोपी जेबीटी शिक्षक सूरत सिंह मलिक को सेवानिवृत्ति का लाभ देने की बात कही गई है।
हाईकोर्ट ने जेबीटी शिक्षक को ग्रेच्युटी व कम्युटेशन पेेंशन छोड़कर अन्य लाभ देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए शिक्षक से बगैर किसी तरह की रिकवरी के ही उसे सभी तरह के लाभ जारी कर दिए। पुलिस ने दो साल से ज्यादा समय तक जांच के बाद जुलाई 2024 में एफआईआर रद्द करने के लिए अदालत में भेज दी।
शिकायतकर्ता सेवानिवृत्त शिक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि गबन के मामलों की स्थिति से अदालत को अवगत कराया। इसमें शिकायत के 11 बिंदुओं में से महज बिंदु नंबर तीन के छोटे से भाग पर ही एफआईआर की गई। शेष दस बिंदुओं को जांच में शामिल नहीं किया गया। यही नहीं बिंदु नंबर तीन की भी आधी अधूरी जांच की गई।
अदालत को 20 अगस्त 2018 को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि अभियुक्त कई अपराधों में शामिल पाए गए हैं। ऐसे में मुख्य शिकायत के सभी 11 बिंदुओं पर अलग-अलग जांच किया जाना आवश्यक है। अदालत ने इस संबंध में थाना प्रभारी व जांच अधिकारी को जांच कर 19 दिसंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।