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Rohtak News: 1932 में बने प्रथम जलघर से अब भी पुरानी क्षमता से पेयजल सप्लाई
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34...रोहतक मानसरोवर पार्क स्थित प्रथम जलघर के तालाब की खस्ता हालत। संवाद
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संवाद न्यूज एजेंसी
रोहतक। शहर में पेयजल समस्या लंबे समय से चली आ रही है। अंग्रेजों के समय में 1932 में बना प्रथम जलघर 93 साल बाद भी पुरानी क्षमता के साथ पेयजल सप्लाई कर रहा है। हालांकि, एक बार जलघर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और एक टैंक बनाया गया था। इसके बावजूद शहर की 80 से कॉलोनियों में पेयजल की समस्या रही है।
शहर की करीब 5.5 लाख की आबादी है। शहर में चार घर हैं। इनमें सबसे पुराना मानसरोवर पार्क स्थित प्रथम जलघर है। जन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, शहर की 90 मिलियन लीटर प्रतिदिन जलापूर्ति सप्लाई की मांग है। पुरानी पेयजल लाइनों व पुराने रजबहे से टैंकों को भरना मुश्किल है। इसी कारण अब विभाग प्रतिदिन की जलापूर्ति 75 मिलियन लीटर करता है।
विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पहले 176 लीटर प्रति व्यक्ति पानी मिलता था लेकिन अभी 80 लीटर पर दिया जा रहा है। यह समस्या मानसरोवर पार्क स्थित प्रथम जलघर के अंतर्गत आने वाली कॉलोनियों में अधिक है। इस जलघर की संरचना व नहर से जलघर में पहुंचने वाले रजबहे की संरचना को नहीं बदला गया है। हर बार नहरबंदी की स्थिति में करीब एक लाख आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ता है। शेष जलघरों में स्थिति सामान्य है। नहरबंदी पर पूरे शहर में ही समस्या अधिक रहती है।
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मानसरोवर पार्क स्थित जलघर-1 : 212 मिलियन लीटर
झज्जर रोड स्थित जलघर-2 : 362 मिलियन लीटर
जेएलएन स्थित जलघर-3 : 340 मिलियन लीटर
देव कॉलोनी स्थित जलघर-4 : 22 मिलियन लीटर
नोट : जानकारी अधिकारियों के अनुसार।
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नहरबंदी के बाद राशनिंग करके आठ दिन होती है सप्लाई : बतरा
शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही वीरवार को विधायक भारत भूषण बत्रा ने शहर की पेयजल समस्या का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शहर को पर्याप्त स्वच्छ पानी मिलना चाहिए। अभी 80 लीटर पानी प्रति व्यक्ति मिलता है। नहर सिर्फ 24 दिन आती है। 16 दिन शहर में पानी नहीं आता है, यह एक बड़ी समस्या है। बतरा ने कहा, 16 दिन की राशनिंग करके जो स्टोरेज कैपेसिटी है, वो आठ दिन बचती है। पानी जब कम होता है तो मोटरें पानी नहीं खींच पाती हैं। कहीं लीकेज भी होती है। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग और नगर निगम मिलकर दोनों इस समस्या में सुधार करें। शहर में सारी पाइपलाइन पुरानी डली हुई हैं, अधिकांश जगह इनकी हालत खराब है।
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रोहतक। शहर में पेयजल समस्या लंबे समय से चली आ रही है। अंग्रेजों के समय में 1932 में बना प्रथम जलघर 93 साल बाद भी पुरानी क्षमता के साथ पेयजल सप्लाई कर रहा है। हालांकि, एक बार जलघर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और एक टैंक बनाया गया था। इसके बावजूद शहर की 80 से कॉलोनियों में पेयजल की समस्या रही है।
शहर की करीब 5.5 लाख की आबादी है। शहर में चार घर हैं। इनमें सबसे पुराना मानसरोवर पार्क स्थित प्रथम जलघर है। जन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, शहर की 90 मिलियन लीटर प्रतिदिन जलापूर्ति सप्लाई की मांग है। पुरानी पेयजल लाइनों व पुराने रजबहे से टैंकों को भरना मुश्किल है। इसी कारण अब विभाग प्रतिदिन की जलापूर्ति 75 मिलियन लीटर करता है।
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विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पहले 176 लीटर प्रति व्यक्ति पानी मिलता था लेकिन अभी 80 लीटर पर दिया जा रहा है। यह समस्या मानसरोवर पार्क स्थित प्रथम जलघर के अंतर्गत आने वाली कॉलोनियों में अधिक है। इस जलघर की संरचना व नहर से जलघर में पहुंचने वाले रजबहे की संरचना को नहीं बदला गया है। हर बार नहरबंदी की स्थिति में करीब एक लाख आबादी को जलसंकट का सामना करना पड़ता है। शेष जलघरों में स्थिति सामान्य है। नहरबंदी पर पूरे शहर में ही समस्या अधिक रहती है।
मानसरोवर पार्क स्थित जलघर-1 : 212 मिलियन लीटर
झज्जर रोड स्थित जलघर-2 : 362 मिलियन लीटर
जेएलएन स्थित जलघर-3 : 340 मिलियन लीटर
देव कॉलोनी स्थित जलघर-4 : 22 मिलियन लीटर
नोट : जानकारी अधिकारियों के अनुसार।
नहरबंदी के बाद राशनिंग करके आठ दिन होती है सप्लाई : बतरा
शीतकालीन सत्र की शुरुआत में ही वीरवार को विधायक भारत भूषण बत्रा ने शहर की पेयजल समस्या का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि शहर को पर्याप्त स्वच्छ पानी मिलना चाहिए। अभी 80 लीटर पानी प्रति व्यक्ति मिलता है। नहर सिर्फ 24 दिन आती है। 16 दिन शहर में पानी नहीं आता है, यह एक बड़ी समस्या है। बतरा ने कहा, 16 दिन की राशनिंग करके जो स्टोरेज कैपेसिटी है, वो आठ दिन बचती है। पानी जब कम होता है तो मोटरें पानी नहीं खींच पाती हैं। कहीं लीकेज भी होती है। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग और नगर निगम मिलकर दोनों इस समस्या में सुधार करें। शहर में सारी पाइपलाइन पुरानी डली हुई हैं, अधिकांश जगह इनकी हालत खराब है।