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Una News: आलू की पैदावार प्रति कनाल दो क्विंटल तक घटी, किसानों को नुकसान
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दाम गिरने के बाद पैदावार की गिरावट ने बढ़ाया नुकसान
किसानों ने कहा, इस बार पैदावार बढ़ने की थी उम्मीद
बोले- शायद देरी से बिजाई से हुआ नुकसान
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले में इस बार आलू की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है। प्रति कनाल औसतन दो क्विंटल तक उत्पादन कम होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके साथ ही बाजार में मिल रहे बेहद कम दामों ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि अच्छी बरसात के बाद उन्हें बेहतर उपज की उम्मीद थी, लेकिन अपेक्षा के विपरीत पैदावार कम रही।
जानकारी के अनुसार जिले में करीब 2000 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की गई है। आमतौर पर प्रति कनाल 10 क्विंटल या इससे अधिक पैदावार रहती है, लेकिन इस बार औसतन सात से आठ क्विंटल ही उत्पादन हुआ है। कई खेतों में यह आंकड़ा इससे भी नीचे रहा। किसान दलीप सिंह, रणवीर सिंह, अजय कुमार, रोहित कुमार और सुरेंद्र कुमार ने बताया कि सितंबर तक जारी बारिश के कारण बिजाई देरी से हुई, जिसका प्रतिकूल प्रभाव उपज पर पड़ा। वहीं वर्तमान में आलू का भाव मात्र 1000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास मिल रहा है, जिससे किसानों की लागत भी पूरी नहीं हो पा रही।
गेहूं की बिजाई पर भी असर
आलू की फसल में देरी का सीधा असर गेहूं की बिजाई पर भी पड़ा है। आलू उगाने वाले अधिकांश किसानों ने गेहूं की बुवाई एक माह तक देर से की है, जबकि जिन क्षेत्रों में आलू की खेती नहीं थी, वहां नवंबर की शुरुआत में ही बिजाई पूरी कर ली गई थी। कुल मिलाकर आलू की फसल में देरी से किसानों का पूरा फसल चक्र प्रभावित हुआ है।
भविष्य में लाभ की उम्मीद : विभाग
जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने बताया कि किसान खेतों में ही आलू बेच रहे हैं। शुरुआती दिनों में मूल्य बेहतर थे, लेकिन अब गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य के लिए कई बड़ी परियोजनाओं पर कार्य कर रही है, जिनसे किसानों को आलू उत्पादन में लाभ मिलना सुनिश्चित होगा।
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किसानों ने कहा, इस बार पैदावार बढ़ने की थी उम्मीद
बोले- शायद देरी से बिजाई से हुआ नुकसान
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले में इस बार आलू की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है। प्रति कनाल औसतन दो क्विंटल तक उत्पादन कम होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके साथ ही बाजार में मिल रहे बेहद कम दामों ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। किसानों का कहना है कि अच्छी बरसात के बाद उन्हें बेहतर उपज की उम्मीद थी, लेकिन अपेक्षा के विपरीत पैदावार कम रही।
जानकारी के अनुसार जिले में करीब 2000 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की गई है। आमतौर पर प्रति कनाल 10 क्विंटल या इससे अधिक पैदावार रहती है, लेकिन इस बार औसतन सात से आठ क्विंटल ही उत्पादन हुआ है। कई खेतों में यह आंकड़ा इससे भी नीचे रहा। किसान दलीप सिंह, रणवीर सिंह, अजय कुमार, रोहित कुमार और सुरेंद्र कुमार ने बताया कि सितंबर तक जारी बारिश के कारण बिजाई देरी से हुई, जिसका प्रतिकूल प्रभाव उपज पर पड़ा। वहीं वर्तमान में आलू का भाव मात्र 1000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास मिल रहा है, जिससे किसानों की लागत भी पूरी नहीं हो पा रही।
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गेहूं की बिजाई पर भी असर
आलू की फसल में देरी का सीधा असर गेहूं की बिजाई पर भी पड़ा है। आलू उगाने वाले अधिकांश किसानों ने गेहूं की बुवाई एक माह तक देर से की है, जबकि जिन क्षेत्रों में आलू की खेती नहीं थी, वहां नवंबर की शुरुआत में ही बिजाई पूरी कर ली गई थी। कुल मिलाकर आलू की फसल में देरी से किसानों का पूरा फसल चक्र प्रभावित हुआ है।
भविष्य में लाभ की उम्मीद : विभाग
जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने बताया कि किसान खेतों में ही आलू बेच रहे हैं। शुरुआती दिनों में मूल्य बेहतर थे, लेकिन अब गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य के लिए कई बड़ी परियोजनाओं पर कार्य कर रही है, जिनसे किसानों को आलू उत्पादन में लाभ मिलना सुनिश्चित होगा।