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जम्मू-कश्मीर: लैवेंडर राजधानी के रूप में उभरा भद्रवाह, डॉ. जितेंद्र बोले- किसानों की आर्थिकी हुई मजबूत

अमर उजाला नेटवर्क,भद्रवाह (डोडा) Published by: विमल शर्मा Updated Mon, 05 Jun 2023 04:31 AM IST
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सार

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि दशकों से मक्का की पारंपरिक खेती कर रहे कुछ किसानों ने फूलों की खेती की ओर रुख किया। अरोमा मिशन के जरिए मिले सहयोग से किसानों की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है।

JK: Bhadarwah emerged lavender capital, Dr. Jitendra said – economy farmers has strengthened
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह। - फोटो : PIB
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भद्रवाह देश की लैवेंडर राजधानी और कृषि स्टार्टअप गंतव्य के रूप में उभरा है। यह बातें केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को भद्रवाह कैंपस में दो दिवसीय लैवेंडर महोत्सव के उद्घाटन समारोह में कहीं। सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू के वन वीक वन लैब कैंपेन के तहत आयोजित कार्यक्रम में डॉ. जितेंद्र ने कहा कि भद्रवाह देश की लैवेंडर क्रांति का जन्मस्थल और कृषि-स्टार्टअप है।

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भद्रवाह की भूमि और जलवायु के मामले में लैवेंडर की खेती के लिए सबसे अच्छी जगह है। इससे कई किसानों का जीवन बदल गया है।  लैवेंडर की खेती करने वाले किसानों की वार्षिक आय कई गुना बढ़ी है। 40 हजार से  60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर से 3.50 लाख से 6 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर आमदन में वृद्धि हुई है।
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भद्रवाह, डोडा जिले के किसानों ने 2019, 2020, 2021 और 2022 में क्रमश: 300, 500, 800 और 1500 लीटर लैवेंडर तेल का उत्पादन किया। सूखे फूल, लैवेंडर के पौधे और लैवेंडर का तेल बेचकर 2018-2022 के बीच 5 करोड़ रुपये कमाए हैं। सीएसआईआर-आईआईआईएम की पहल को बैंगनी क्रांति के रूप में मान्यता दी गई है।

लैवेंडर की खेती से किसानों की बढ़ी आमदनी

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि दशकों से मक्का की पारंपरिक खेती कर रहे कुछ किसानों ने फूलों की खेती की ओर रुख किया। अरोमा मिशन के जरिए मिले सहयोग से किसानों की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है।अरोमा मिशन का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि करना और कृषि आधारित स्टार्टअप विकसित करना है। मिशन के तहत जेएंडके के किसानों को 30 लाख से अधिक मुफ्त लैवेंडर पौधे दिए गए हैं। किसानों को प्रौद्योगिकी पैकेज भी प्रदान किया गया है।

प्रदेश में 2500 से अधिक किसान कर रहे लैवेंडर की खेती

जम्मू संभाग में कई छोटे और सीमांत मक्का किसानों ने लैवेंडर की खेती को अपनाया है। बड़ी संख्या में किसानों और युवा उद्यमियों को रोजगार मिला है। लैवेंडर की खेती के आसपास एक नया उद्योग विकसित हुआ है। जम्मू-कश्मीर में 2500 से अधिक किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं। इससे महिलाओं को फूलों की कटाई और प्रसंस्करण में काम मिला है। कई युवा उद्यमियों ने लैवेंडर तेल, हाइड्रोसोल और फूलों के मूल्यवर्धन के माध्यम से छोटे पैमाने पर कारोबार शुरू किया है।

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