Jharkhand News: अफीम की खेती छोड़ेंगे खूंटी के किसान, 25 गांवों के प्रधानों ने की बैठक; वैकल्पिक खेती की मांग
झारखंड में अफीम की खेती के लिए पहचाना जाने वाला खूंटी जिले के किसानों ने अब अफीम की खेती छोड़कर वैकल्पिक खेती अपनाने का फैसला किया है। जिले के 25 गांवों के ग्रामप्रधानों ने सांसद और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर यह बात साफ तौर पर कही।
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झारखंड में अफीम की खेती के लिए चर्चित खूंटी जिले के किसानों ने अब अफीम की खेती छोड़कर वैकल्पिक खेती अपनाने का फैसला किया है। इसको लेकर जिले के 25 गांवों के ग्रामप्रधानों ने सांसद और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर यह बात साफ तौर पर कही। ग्रामप्रधानों ने बताया कि अफीम की खेती से इलाके की बदनामी होती है और पुलिस भी युवाओं को परेशान करती है। उन्होंने कहा कि गांव में युवाओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा ताकि कोई फिर से अफीम की खेती न करे।
ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलवाद, उग्रवाद, पत्थलगड़ी विवाद और अफीम की खेती जैसी समस्याओं की जड़ बेरोजगारी है। अगर सरकार लोगों को रोजगार और आजीविका का साधन दे तो यह इलाका अपराधमुक्त और खुशहाल बन सकता है। ग्रामप्रधानों ने यह भी मांग की कि पुलिस ग्रामप्रधानों को नोटिस भेजना बंद करे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब अफीम की खेती नहीं की जाएगी।
'पौधे नहीं मिले, जिससे खेत खाली पड़े हैं'
बैठक में ग्रामीणों ने सांसद को यह भी बताया कि पहले प्रखंड कार्यालय की ओर से लाह की खेती को बढ़ावा देने के लिए सेमियालता के पौधे उपलब्ध कराने की बात हुई थी। कोचांग पंचायत में साढ़े छह एकड़ जमीन पर खेती के लिए आवेदन भी दिया गया, लेकिन पौधे नहीं मिले, जिससे खेत खाली पड़े हैं। ग्रामीणों का मानना है कि सेमियालता पर लाह की खेती अफीम का बेहतर विकल्प हो सकती है।
चिंता: स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही
ग्रामीणों ने शिक्षा की खराब स्थिति पर भी चिंता जताई। उनका कहना है कि स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है और शिक्षक समय पर नहीं आते, जिससे पढ़ाई का स्तर लगातार गिर रहा है।इस मौके पर ग्रामीण हरि सिंह सोय ने कहा कि पिछली सरकार ने आदिवासियों की सामूहिक जमीन को लैंड बैंक में डाल दिया था। अब आबुआ सरकार को चाहिए कि वह इस लैंड बैंक को खत्म करे।
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अफीम से आदिवासी समाज को बड़ा नुकसान-सांसद
सांसद कालीचरण मुंडा ने कहा कि अफीम से आदिवासी समाज को बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्होंने जोर दिया कि इन समस्याओं का हल ग्रामसभा स्तर पर निकाला जाना चाहिए। सांसद ने ग्रामप्रधानों से अलग बैठक भी की और तय हुआ कि जल्द ही कोचांग में एक बड़ी सभा होगी, जिसमें राज्य सरकार के मंत्रियों को बुलाकर समस्याओं के समाधान की मांग की जाएगी।
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