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यूपी : घुसपैठिए 'डिटेंशन सेंटर' में रखें जाएंगे, सर्वे में हुए थे 10 लाख चिन्हित; लखनऊ में चला टॉर्च ऑपरेशन

Akash Dwivedi आकाश द्विवेदी
Updated Wed, 03 Dec 2025 02:44 PM IST
सार

यूपी में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर बड़ी कार्रवाई शुरू हुई है, जिसके तहत हर मंडल में डिटेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं। पुलिस टॉर्च ऑपरेशन चलाकर दस्तावेज चेक कर रही है

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Bangladeshi-Rohingya people will be kept in detention centers: UP CM Yogi orders; Torchlight Operations are be
सीएम योगी आदित्यनाथ - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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देश से विदेशी घुसपैठियों को बाहर करने के लिए दिल्ली की तर्ज पर अब यूपी के जिलों में डिटेंशन सेंटर बनेंगे। वजह है कि अब प्रदेश के अंदर घुसपैठियों को नहीं बर्दाश्त किया जाएगा। इस पर सीएम ने सख्त फैसला लिया है। इसी तर्ज पर अब बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर बड़ी कार्रवाई शुरू होने जा रही है। सीएम योगी ने 17 नगर निकायों को सख्त आदेश दिया है। 
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उन्होंने कहा, नगर निकायों में काम करने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की सूची बनाएं। कमिश्नर व आईजी को सौपें। ये डिटेंशन सेंटर प्रदेश के हर मंडल में बनाए जाएंगे। इसके बाद अधिकारी एक्शन में आ गए हैं। लखनऊ में पुलिस लगातार अभियान चलाकर झोपड़पट्टी, बस्तियों में रहने वाले लोगों के डॉक्यूमेंट की जांच कर रही है। साथ ही कई इलाके में टॉर्च ऑपरेशन चला कर सभी के दस्तावेज जांचे जा रहे हैं।
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Bangladeshi-Rohingya people will be kept in detention centers: UP CM Yogi orders; Torchlight Operations are be
यूपी में बनेंगे डिटेंशन सेंटर। - फोटो : अमर उजाला।

खाली सरकारी इमारतें हो रहीं चिन्हित

उनको वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी होने तक डिटेंशन सेंटर में रखने के लिए जगह तलाशी जा रही हैं। शासन के निर्देश पर जिलों में खाली सरकारी इमारतों, सामुदायिक केंद्र, पुलिस लाइन, थाने आदि चिन्हित किए जा रहे हैं, जहां घुसपैठियों को कड़ी सुरक्षा में रखा जा सके। 

दरअसल, दिल्ली में करीब 18 डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं, जिनमें तकरीबन 1500 विदेशी नागरिकों को कड़ी सुरक्षा बंदोबस्त में रखा गया है। इनमें अवैध रूप से सीमा पार करके आए बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अफ्रीकी मूल के देशों के नागरिक हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों द्वारा भारतीय नागरिकता के दस्तावेज बनवा लेने की वजह से उनका सत्यापन कराया जा रहा है। डिटेंशन सेंटरों पर खाने-पीने, इलाज की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है। 



 

एफआरआरओ के जरिए उनको भेजा जाएगा 

सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी रहता है। तत्पश्चात एफआरआरओ (फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस) के जरिए उनको वापस भेजने की प्रक्रिया की जाती है। तमाम राज्यों में पकड़े गए घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल और असम में बीएसएफ की मदद से वापस भेजा जाता है। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी मानक संचालन प्रक्रिया भी सभी राज्यों को भेजी है, जिसके बाद अब यूपी में भी अन्य राज्यों की तरह डिटेंशन सेंटर बनाए जाएंगे। इनके प्रबंधन और सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और पुलिस की होगी। इसके अलावा पकड़े गए घुसपैठियों की जानकारी गृह विभाग को रोजाना देनी होगी।
 

एनसीआर में ज्यादा अफ्रीकन

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जिलों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए खासी संख्या में हैं। इसके अलावा एनसीआर के जिलों खासकर नोएडा और गाजियाबाद में अफ्रीकी मूल के देशों से अवैध तरीके से आए नागरिक मौजूद हैं। इनमें से तमाम मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर क्राइम में लिप्त हैं। इसी वजह से इस बार ऐसे घुसपैठियों की धरपकड़ कर वापस भेजा जाएगा।


 

बांग्लादेशी और रोहिंग्या हुए गिरफ्तार

बता दें कि यूपी में बीते आठ साल के दौरान करीब 200 बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा जिलों की पुलिस भी कार्रवाई करती रहती है। बाद में इनको वापस भेजने की कवायद भी होती है, हालांकि न्यायिक प्रक्रिया पूरी करने में ज्यादा समय लग जाता है।

अधिकतर खुद को पश्चिम बंगाल और असम का निवासी बताते हैं। घुसपैठ करने के बाद वह भारतीय नागरिकता के दस्तावेज भी आसानी से हासिल कर लेते हैं। जिसकी वजह से पुलिस को उनके मूल पते से सत्यापन कराना पड़ता है। अब सीएम के निर्देश के बाद यह प्रक्रिया तेजी से पूरी करके उनको पश्चिम बंगाल और आसाम की सीमा से वापस भेजा जाएगा।
 

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पुलिस लगातार टॉर्च अभियान चला रही - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

2019 के सर्वे में थे 10 लाख

प्रदेश सरकार बीते आठ साल में तीन बार अवैध घुसपैठियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दे चुकी है, लेकिन हर बार मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जात है। 

2019 में सीएम के निर्देश के बाद हुए सर्वे में प्रदेश में करीब 10 लाख बांग्लादेशी और तीन हजार रोहिंग्या घुसपैठिए होने का अनुमान लगाया गया था। केवल लखनऊ में ही करीब एक लाख बांग्लादेशी नागरिकों के होने के प्रमाण मिले थे। जांच में पता चला था कि स्थानीय नेता भी घुसपैठियों के भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र बनवा देते हैं।
 

क्या होता है डिटेंशन सेंटर? 

डिटेंशन सेंटर एक तरह की जेल होता है। फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करने वाले दूसरे देशों से आए नागरिकों को रखा जाता है। प्रत्यर्पण न होने तक विदेशी नागरिकों को यहीं रखा जाता है। वर्तमान में देश में 11 डिटेंशन सेंटर हैं। 

असम में सर्वाधिक छह डिटेंशन सेंटर और दिल्ली, गोवा के म्हापसा, राजस्थान के अलवर जेल, पंजाब के अमृतसर जेल, बेंगलुरु के पास सोंडेकोप्पा में डिटेंशन सेंटर हैं। असम में डिटेंशन सेंटर साल 2009 में कांग्रेस सरकार ने निर्माण का फैसला लिया था। देश का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर असम में गोवालपारा के मातिया में बनाया जा रहा है। जहां तीन हजार अवैध प्रवासियों को एक साथ रखा जा सकता है।
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