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नशे के लिए दुनिया की नजरों में बना दिव्यांग, मां-पिता ने ही कहा- दोनों पैर करते हैं काम
काविश अजीज लेनिन, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: Amulya Rastogi
Updated Sat, 27 Jul 2019 11:54 AM IST
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विकलांग बनने का नाटक करता लड़का
- फोटो : amar ujala
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लोहिया पथ पर एक 20 से 22 साल का युवक पीठ पर गुब्बारे लेकर हाथों में चप्पल फंसाकर घिसटता हुआ चलता है। लोगों को लगता है कि वह दिव्यांग है, लेकिन उसके पैर ठीक हैं। वह लोगों की भावना से खिलवाड़ कर रुपये वसूलता है और नशा करता है। इंदिरानगर तकरोही का रहने वाला युवक लोहिया फन मॉल से लेकर रिवर फ्रंट तक अकसर शाम पांच बजे से रात एक बजे नजर आता है। उसकी झूठी कहानी पर लोग भरोसा करते हैं।
सुनाता है झूठी दर्द भरी कहानी
युवक लोगों को बताता है कि वह सक्सेना इंटर कॉलेज में पढ़ता है। बाराबंकी का है। पिता ढाई साल से घर नहीं आए हैं। मां बीमार रहती है। एक छोटा भाई है। परिवार की जिम्मेदारी उसी पर है। कोई भी उसकी इस झूठी कहानी पर भरोसा कर लेता है।
लेकिन हकीकत इससे अलग
युवक का परिवार इंदिरानगर के तकरोही में रहता है। वह नाम भी गलत बताता है। पिता पेंटिंग का काम करते हैं। मां फल का ठेला लगाती है। एक भाई भी है। पिता ने बताया कि उनका बेटा दिव्यांग नहीं है। उसकी वीडियो दिखाई गई, तो वहां मौजूद दूसरे लोग भी कहने लगे कि युवक दिव्यांग नहीं है। पिता ने बताया कि बेटा गलत संगत में पड़कर नशे का आदी हो गया है।
पिता की ख्वाहिश... सुधर जाए बेटा
पिता की ख्वाहिश है कि उसका बेटा सुधर जाए। उसकी नशे की लत छूट जाए। इसके लिए प्रशासन चाहे तो उसे सुधार गृह में भेज दे। वह प्रशासन की इस कदम के लिए हर संभव मदद करने को तैयार है।

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सुनाता है झूठी दर्द भरी कहानी
युवक लोगों को बताता है कि वह सक्सेना इंटर कॉलेज में पढ़ता है। बाराबंकी का है। पिता ढाई साल से घर नहीं आए हैं। मां बीमार रहती है। एक छोटा भाई है। परिवार की जिम्मेदारी उसी पर है। कोई भी उसकी इस झूठी कहानी पर भरोसा कर लेता है।
लेकिन हकीकत इससे अलग
युवक का परिवार इंदिरानगर के तकरोही में रहता है। वह नाम भी गलत बताता है। पिता पेंटिंग का काम करते हैं। मां फल का ठेला लगाती है। एक भाई भी है। पिता ने बताया कि उनका बेटा दिव्यांग नहीं है। उसकी वीडियो दिखाई गई, तो वहां मौजूद दूसरे लोग भी कहने लगे कि युवक दिव्यांग नहीं है। पिता ने बताया कि बेटा गलत संगत में पड़कर नशे का आदी हो गया है।
पिता की ख्वाहिश... सुधर जाए बेटा
पिता की ख्वाहिश है कि उसका बेटा सुधर जाए। उसकी नशे की लत छूट जाए। इसके लिए प्रशासन चाहे तो उसे सुधार गृह में भेज दे। वह प्रशासन की इस कदम के लिए हर संभव मदद करने को तैयार है।