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प्री-पेड स्मार्ट मीटर: टेंडर की दरों पर खुद फैसला लें कंपनियां, केंद्र ने गेंद बिजली कंपनियों के पाले में डाली

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Fri, 13 Jan 2023 12:40 PM IST
सार

केंद्र सरकार ने कहा कि प्री-पेड स्मार्ट मीटर के लिए टेंडर की दरों पर बिजली कंपनियां खुद निर्णय लें। मामले पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि टेंडर की दरें काफी ज्यादा हैं। उन्होंने राज्य सरकार से नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।
 

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Central govt wants power companies to decide the price of pre paid smart meter.
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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यूपी में प्री-पेड स्मार्ट मीटर के लिए टेंडर में आई ऊंची दरों पर केंद्र सरकार ने बिजली कंपनियों को अपने स्तर पर ही निर्णय लेने को कहा है। केंद्र ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए गेंद बिजली कंपनियों के पाले में डाल दी है। केंद्र के इस कदम के बाद पावर कॉर्पोरेशन और बिजली कंपनियां टेंडर को लेकर पसोपेश में हैं। उधर, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने केंद्र पर गोलमोल जवाब देने का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से टेंडर निरस्त करके नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

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प्री-पेड स्मार्ट मीटर के टेंडर में स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन में तय अनुमानित लागत 6000 रुपये से 48 से 65 फीसदी ज्यादा दर पर डाले गए टेंडरों पर पावर कॉर्पोरेशन ने केंद्र से दिशा-निर्देश मांगे थे। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) के कार्यकारी निदेशक राहुल द्विवेदी ने पावर कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक को जवाब भेजा है। इसमें कहा गया है कि आरडीएसएस योजना तैयार करते समय तय की गई स्मार्ट मीटर की बेंचमार्क दर 6000 रुपये ही है। यूपी में बिडिंग प्रक्रिया में आई उच्च दरों का अन्य राज्यों की दरों से मिलान करके बिजली कंपनियां इस संबंध में अपने ही स्तर से निर्णय करें।
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उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा एक तरफ आरईसी यह मान रहा है कि स्मार्ट मीटर की बेंचमार्क दर 6000 रुपये है जबकि प्रदेश में टेंडर 10 हजार रुपये की दर पर आए हैं। चूंकि इसमें बड़े निजी घराने शामिल हैं इसलिए केंद्र ऊंची दरों के टेंडर निरस्त करने की सलाह देने से कन्नी काट रहा है। वर्मा ने कहा कि यह गंभीर मामला है और राज्य सरकार को इसकी उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए। 

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