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Lucknow News: बाढ़ के नुकसान को कम करेगी खस-लेमनग्रास की खेती
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कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि बाढ़ व भू-कटाव की समस्या से जूझ रहे किसानों के लिए सगंध पौधों की खेती लाभदायक विकल्प है। खस और लेमनग्रास बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करते हैं। उन्होंने किसानों को सगंध पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया। वे मंगलवार को सीमैप में आयोजित एक सप्ताह-एक लैब किसान मेले के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। मेले में देशभर के किसान अपने खास उत्पाद, तकनीक को लेकर पहुंचे हैं।
मंत्री ने कहा कि मेंथा की फसल में पानी का खर्च ज्यादा है, ऐसे में किसान विकल्प के रूप में जेरेनियम, लेमनग्रास व पामारोजा की खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मिलेट योजना में 186 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मंत्री ने परिसर में चंदन का पौधा रोपा। उन्होंने किसान मेला स्मारिका और ज्ञान्या मेंथा खेती पुस्तिका व जानकारीपरक क्यूआर कोड का विमोचन किया। सीमैप व सीआईएसआर की आठ लैब के स्टॉल का भी उद्घाटन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह, सीमैप निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, डॉ. संजय कुमार, डॉ. मनोज सेमवाल समेत किसान मौजूद थे। मेले में कृषकों को सगंध पौधों की रोपण सामग्री व उन्नत प्रजाति का वितरण किया गया।
मधुमेह रोगियों के लिए हैदराबाद से लेकर आए खास चावल
बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी व कम शर्करा वाला धान, चावल लोगों को खूब पसंद आया। सांभा मंसूरी धान की इस उन्नत किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट बीमारी का प्रकोप नहीं होगा। वहीं सामान्य चावल में जहां 60 फीसदी तक शुगर होता है, तो इसमें यह मात्रा 50 फीसदी से भी कम है। हैदराबाद से पहुंचे डॉ. राजू मदनाला ने बताया कि इस उन्नत प्रजाति को सीसीएमबी यानी सेंटर फॉर सेलुलर एंड मालीक्यूलर बायोलॉजी संस्थान हैदराबाद ने तैयार किया है, जिसे सीमैप के माध्यम से जून माह में किसानों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
सिंगापुर-मलेशिया को निर्यात कर रहे खस
खस की खेती करने वाले किसान सी पांडियन रामेश्वरम से पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि सीमैप के माध्यम से उन्हें सपोर्ट मिला तो वह खस से परिचित हुए। आज वह करीब 100 एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं। खस के पौधे से हैंडीक्राफ्ट तैयार हो रहा है, वहीं इत्र आदि बनाने में इसका उपयोग हो रहा है। हैंडीक्राफ्ट आदि को वे सिंगापुर व मलेशिया में निर्यात कर रहे हैं। उन्हें करीब 50 लाख रुपये सलाना की आय हो रही है।
सूखे फूल व गोबर से बनी धूपबत्ती की रही मांग
किसान मेले में सूखे फूल व गाय के गोबर से बनी अगरबत्ती व धूपबत्ती की भी खूब मांग दिखी। इंदिरानगर निवासी अतुल ने बताया कि मंदिरों में चढ़े हुए फूलों को एकत्र कर उसे सुखाते हैं, जिसका चूर्ण बनाकर गाय के गोबर में मिलाकर सुगंधित धूप व अगरबत्ती तैयार कर रहे हैं। उनका उत्पाद लोगों हाथोंहाथ ले रहे हैं।
खेती फायदे का सौदा
धान-गेहूं के साथ मेंथा की खेती की तो बेहतर मुनाफा प्राप्त हुआ। इसका असर है कि बीते कई सालों से मेंथा की फसल उगा रहे हैं। कई बार बारिश आदि से फसल को नुकसान भी होता है।
- लालता प्रसाद, महमूदाबाद, सीतापुर
सर्पगंधा व शतावर उगा रहे
लेमनग्रास, सर्पगंधा, शतावर की नर्सरी करीब चार एकड़ में की है। इसकी खरीद बड़े स्तर पर हो रही है। चार एकड़ खुद की खेती है तो 12 एकड़ लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं।
- जितेंद्र कुशवाहा, पूर्णिया, बिहार
मुनाफे से बढ़ा उत्साह
पांच एकड़ में जेरेनियम व लेमनग्रास की खेती की है। मुनाफा मिलने पर सगंध पौधों के प्रति उत्साह बढ़ा है। इस किसान मेले में कई साल से शामिल हो रहे हैं।
- राघव शरण सिंह, पश्चिमी चंपारण, बिहार
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मंत्री ने कहा कि मेंथा की फसल में पानी का खर्च ज्यादा है, ऐसे में किसान विकल्प के रूप में जेरेनियम, लेमनग्रास व पामारोजा की खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मिलेट योजना में 186 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मंत्री ने परिसर में चंदन का पौधा रोपा। उन्होंने किसान मेला स्मारिका और ज्ञान्या मेंथा खेती पुस्तिका व जानकारीपरक क्यूआर कोड का विमोचन किया। सीमैप व सीआईएसआर की आठ लैब के स्टॉल का भी उद्घाटन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह, सीमैप निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, डॉ. संजय कुमार, डॉ. मनोज सेमवाल समेत किसान मौजूद थे। मेले में कृषकों को सगंध पौधों की रोपण सामग्री व उन्नत प्रजाति का वितरण किया गया।
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मधुमेह रोगियों के लिए हैदराबाद से लेकर आए खास चावल
बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी व कम शर्करा वाला धान, चावल लोगों को खूब पसंद आया। सांभा मंसूरी धान की इस उन्नत किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट बीमारी का प्रकोप नहीं होगा। वहीं सामान्य चावल में जहां 60 फीसदी तक शुगर होता है, तो इसमें यह मात्रा 50 फीसदी से भी कम है। हैदराबाद से पहुंचे डॉ. राजू मदनाला ने बताया कि इस उन्नत प्रजाति को सीसीएमबी यानी सेंटर फॉर सेलुलर एंड मालीक्यूलर बायोलॉजी संस्थान हैदराबाद ने तैयार किया है, जिसे सीमैप के माध्यम से जून माह में किसानों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
सिंगापुर-मलेशिया को निर्यात कर रहे खस
खस की खेती करने वाले किसान सी पांडियन रामेश्वरम से पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि सीमैप के माध्यम से उन्हें सपोर्ट मिला तो वह खस से परिचित हुए। आज वह करीब 100 एकड़ में इसकी खेती कर रहे हैं। खस के पौधे से हैंडीक्राफ्ट तैयार हो रहा है, वहीं इत्र आदि बनाने में इसका उपयोग हो रहा है। हैंडीक्राफ्ट आदि को वे सिंगापुर व मलेशिया में निर्यात कर रहे हैं। उन्हें करीब 50 लाख रुपये सलाना की आय हो रही है।
सूखे फूल व गोबर से बनी धूपबत्ती की रही मांग
किसान मेले में सूखे फूल व गाय के गोबर से बनी अगरबत्ती व धूपबत्ती की भी खूब मांग दिखी। इंदिरानगर निवासी अतुल ने बताया कि मंदिरों में चढ़े हुए फूलों को एकत्र कर उसे सुखाते हैं, जिसका चूर्ण बनाकर गाय के गोबर में मिलाकर सुगंधित धूप व अगरबत्ती तैयार कर रहे हैं। उनका उत्पाद लोगों हाथोंहाथ ले रहे हैं।
खेती फायदे का सौदा
धान-गेहूं के साथ मेंथा की खेती की तो बेहतर मुनाफा प्राप्त हुआ। इसका असर है कि बीते कई सालों से मेंथा की फसल उगा रहे हैं। कई बार बारिश आदि से फसल को नुकसान भी होता है।
- लालता प्रसाद, महमूदाबाद, सीतापुर
सर्पगंधा व शतावर उगा रहे
लेमनग्रास, सर्पगंधा, शतावर की नर्सरी करीब चार एकड़ में की है। इसकी खरीद बड़े स्तर पर हो रही है। चार एकड़ खुद की खेती है तो 12 एकड़ लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं।
- जितेंद्र कुशवाहा, पूर्णिया, बिहार
मुनाफे से बढ़ा उत्साह
पांच एकड़ में जेरेनियम व लेमनग्रास की खेती की है। मुनाफा मिलने पर सगंध पौधों के प्रति उत्साह बढ़ा है। इस किसान मेले में कई साल से शामिल हो रहे हैं।
- राघव शरण सिंह, पश्चिमी चंपारण, बिहार