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Lucknow: बढ़े बीपी से किडनी हो रही खराब, इससे दिल का भी खतरा; इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: आकाश द्विवेदी
Updated Sat, 20 Dec 2025 09:34 AM IST
सार
बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर किडनी और दिल दोनों के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। पीजीआई के विशेषज्ञों के अनुसार 40-50 फीसदी मामलों में बीपी से किडनी खराब होती है। सीकेएम के बढ़ते मामलों को देखते हुए समय रहते जांच और जागरूकता बेहद जरूरी है।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : Freepik
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विस्तार
किडनी का सबसे बड़ा दुश्मन बढ़ा हुआ बीपी है। इससे 40-50 फीसदी लोगों की किडनी खराब हो जाती है। मरीज को किडनी की मर्ज का पता तब चलता है, जब वह काफी हद तक खराब हो चुकी होती है। उसके बाद मरीज में लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में ब्लड प्रेशर के साथ मोटापा व लिपिड प्रोफाइल बढ़ा है तो सतर्क हो जाएं। इससे किडनी के साथ दिल को भी खतरा है। ये जानकारी पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने दीं। वह शुक्रवार को पीजीआई में इंडियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे।
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12 से 15 फीसदी मरीजों में सीकेएम की समस्या
डॉ. नारायण प्रसाद ने कहा कि क्रॉनिक किडनी मेटाबोलिक (सीकेएम) गंभीर समस्या बन गई है। सीकेएम वह स्थिति है, जिसमें डायबटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा और लिपिड बढ़ा होता है। इसका असर शरीर के कई अंगों पर पड़ता है। किडनी व दिल की बीमारी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। भारत में अनुमानित 12 से 15 फीसदी मरीजों में सीकेएम की समस्या है। इसकी बड़ी वजह गलत खान-पान व जीवनशैली है।अधिवेशन में अमेरिका की नेफ्रोलॉजी सोसाइटी के भारतीय मूल वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सीकेएम की रोकथाम, सपोर्टिव मैनेजमेंट और नई थेरेपी पर काम करने का ऐलान किया गया। डॉ. नारायण ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किडनी डिजीज को कम्युनिकेबल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया है। इससे मरीजों को टारगेटेड, मल्टीपल ड्रग थेरेपी और बड़े स्तर पर बचाव कार्यक्रम मिल सकेंगे।
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