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Lucknow News: अंसल मामले की एनसीएलएटी में फिर हुई सुनवाई, एलडीए ने कहा टाउनशिप पर पहला अधिकार उसका
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अंसल मामले की एनसीएलएटी में फिर हुई सुनवाई, एलडीए ने कहा टाउनशिप पर पहला अधिकार उसका
आधा घंटे चली बहस, अब 15 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई
जुलाई से चल रहा है केस
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में बुधवार को अंसल मामले की सुनवाई फिर हुई। करीब आधा घंटे तक बहस हुई। जिसमें एलडीए की ओर से यह दावा किया गया कि अंसल सुशांत गोल्फ सिटी टाउनशिप पर पहला अधिकार उसका है। ऐसे में कालोनी उसे विकसित करने के लिए सौंपी जाए। बहस के दौरान अंसल कंपनी का कोई अधिवक्ता इस बार फिर नहीं था ऐसे में निर्णय नहीं आया। अब अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की ओर से फरवरी में अंसल को दिवालिया घोषित किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में केस चल रहा है। जहां पर जुलाई से कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने के बाद केस को लेकर फाइनल सुनवाई नहीं हो पा रही थी। सुनवाई को लेकर तारीखें तो 10 बार लगी मगर केस की सुनवाई का नंबर ही नहीं आ पा रहा था लेकिन बीती 13 नवंबर को पहली बार बहस हुई थी। उस दिन भी अंसल की ओर से अधिवक्ता पेश नहीं हुए था। जिसके कारण 19 नवंबर की तारीख केस की सुनवाई को लेकर लगाई गई थी। अब बुधवार को फिर लंच के बाद करीब साढ़े तीन बजे सुनवाई शुरू हुई और करीब आधा घंटा तक एलडीए के अधिवक्ता ने बहस कर पक्ष रखा।
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एलडीए के टेकओवर करने से सुरक्षित रहेगा आवंटियों का हित
आवंटी व निवेशक गगन टंडन ने बताया कि अब सुनवाई शुरू हो गई है। एलडीए की ओर प्रभावी पैरवी की जा रही है। टाउनशिप का असली मालिक तो एलडीए है। उसने ही अंसल को टाउनशिप विकसित करने का लाइसेंस दिया है। एलडीए टेकओवर कर लेगा तो आवंटियों का हित सुरक्षित रहेगा।ऐसे में अब यह उम्मीद है कि केस का फैसला आ जाएगा और आवंटियों के हित में आएगा। कोर्ट के फैसले का इंतजार करीब पांच हजार आवंटियों और निवेशकों को है। यह वह लोग हैं जिन्होंने अंसल में प्लाट, मकान और फ्लैट के लिए पैसा तो जमा किया मगर उनको वह मिला नहीं। जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आएगा कोर्ट का स्टे प्रभावी है। जिसके तहत अंसल कंपनी सुशांत गोल्फ सिटी कालोनी को किसी और को हैंडओवर नहीं कर पाएगी।
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आधा घंटे चली बहस, अब 15 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई
जुलाई से चल रहा है केस
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में बुधवार को अंसल मामले की सुनवाई फिर हुई। करीब आधा घंटे तक बहस हुई। जिसमें एलडीए की ओर से यह दावा किया गया कि अंसल सुशांत गोल्फ सिटी टाउनशिप पर पहला अधिकार उसका है। ऐसे में कालोनी उसे विकसित करने के लिए सौंपी जाए। बहस के दौरान अंसल कंपनी का कोई अधिवक्ता इस बार फिर नहीं था ऐसे में निर्णय नहीं आया। अब अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की ओर से फरवरी में अंसल को दिवालिया घोषित किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में केस चल रहा है। जहां पर जुलाई से कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने के बाद केस को लेकर फाइनल सुनवाई नहीं हो पा रही थी। सुनवाई को लेकर तारीखें तो 10 बार लगी मगर केस की सुनवाई का नंबर ही नहीं आ पा रहा था लेकिन बीती 13 नवंबर को पहली बार बहस हुई थी। उस दिन भी अंसल की ओर से अधिवक्ता पेश नहीं हुए था। जिसके कारण 19 नवंबर की तारीख केस की सुनवाई को लेकर लगाई गई थी। अब बुधवार को फिर लंच के बाद करीब साढ़े तीन बजे सुनवाई शुरू हुई और करीब आधा घंटा तक एलडीए के अधिवक्ता ने बहस कर पक्ष रखा।
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एलडीए के टेकओवर करने से सुरक्षित रहेगा आवंटियों का हित
आवंटी व निवेशक गगन टंडन ने बताया कि अब सुनवाई शुरू हो गई है। एलडीए की ओर प्रभावी पैरवी की जा रही है। टाउनशिप का असली मालिक तो एलडीए है। उसने ही अंसल को टाउनशिप विकसित करने का लाइसेंस दिया है। एलडीए टेकओवर कर लेगा तो आवंटियों का हित सुरक्षित रहेगा।ऐसे में अब यह उम्मीद है कि केस का फैसला आ जाएगा और आवंटियों के हित में आएगा। कोर्ट के फैसले का इंतजार करीब पांच हजार आवंटियों और निवेशकों को है। यह वह लोग हैं जिन्होंने अंसल में प्लाट, मकान और फ्लैट के लिए पैसा तो जमा किया मगर उनको वह मिला नहीं। जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आएगा कोर्ट का स्टे प्रभावी है। जिसके तहत अंसल कंपनी सुशांत गोल्फ सिटी कालोनी को किसी और को हैंडओवर नहीं कर पाएगी।