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GST Fraud: फर्जीवाड़ा कर 215 करोड़ की जीएसटी चोरी करने वाला गिरफ्तार, फर्जी पते पर खोल रखी थीं 37 फर्में

माई सिटी रिपोर्टर, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Thu, 30 Jun 2022 04:41 PM IST
सार

साइबर क्राइम टीम ने फर्जी फर्में खोलकर 215 करोड़ की जीएसटी चोरी करने वाले को दबोच लिया है। उसके खिलाफ पीजीआई और अमीनाबाद में भी मामले दर्ज हैं।

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man who did 215 crore fraud in GST theft arrested by cyber crime police.
संजय सिंह यादव। - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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फर्जी नाम व पते पर फर्म खोलकर क्रय-विक्रय कर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश साइबर क्राइम पुलिस ने किया है। इस गिरोह के मुख्य आरोपी संजय यादव को गिरफ्तार किया गया है। साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक संजय ने 37 फर्म खोलकर 215 करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लिया। इस फर्जीवाड़े में कई और लोग शामिल हैं। जिनकी तलाश की जा रही है। आरोपी के खिलाफ पीजीआई और अमीनाबाद में दो मुकदमें दर्ज है। जिसमे 9 फर्मों के नाम पर 10.50 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है।

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एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक फर्जी व्यावसायिक फर्म बनाकर जीएसटी चोरी करने वाले गिरोह के सक्रिय होने की सूचना मिली थी। इस मामले में अमीनाबाद में 2019 में मुकदमा दर्ज कराया गया था। वहीं पीजीआई थाने में भी 2020 में एक केस दर्ज हुआ। इन दोनों मामलों की विवेचना साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक मो. मुस्लिम खान ने शुरू की।
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इस दौरान सामने आया कि गिरोह लखनऊ, नोएडा, दिल्ली में सक्रिय है। इस गिरोह ने करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी की है। इसके लिए कई फर्जी नाम व पते पर फर्में बनाई गई हैं। साइबर क्राइम टीम ने जानकीपुरम के एकेटीयू के पीछे मिर्जापुर गांव से संजय सिंह यादव नाम के युवक को दबोचा है। संजय मूलरुप से उन्नाव के फतेपुर चौरासी स्सित पवारनखेड़ा का रहने वाला है। उसने इसी फर्जीवाड़े में कई संपत्तियां खड़ी कर ली। इसमें लोकनायकपुरम नई दिल्ली में एक फ्लैट, एकेटीयू के पीछे घर व प्लाट तैयार किया गया है। उसके पास से टीम को जीएसटी चोरी में प्रयुक्त होने वाला मोबाइल नंबर बरामद हुआ है। पुलिस टीम उससे पूछताछ कर रही है।

लखनऊ में 10 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा
साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक मो. मुस्लिम खां के मुताबिक संजय सिंह यादव ने लखनऊ में भी फर्जीवाड़ा किया। उसके खिलाफ अमीनाबाद में विशाल कश्यप ने 10 अगस्त 2019 को मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें आरोप लगाया कि उनकी फर्म के नाम का फर्जी रजिस्ट्रेशन हो गया है। यह काम राशिद सिद्दीकी नाम के व्यक्ति ने किया है। उसने डेढ़ करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की है। वहीं 9 अक्तूबर 2020 को पीजीआई थाने में अजीम इकबाल खान ने एक मुकदमा दर्ज कराया। जिन्होंने आरोप लगाया कि आठ फर्म के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। वहीं 9 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई।

ऑन लाइन पंजीयन कर बनाई फर्जी फर्में, किया करोड़ों का लेनदेन

साइबर क्राइम इंस्पेक्टर के मुताबिक जीएसटी चोरी करने के लिए सरकार ने परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य कर दिया। जिससे हर खरीद की सूचना विभाग को मिलने लगी लेकिन इन शातिर अपराधियों द्वारा माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ऐसी योजना बनाई गई कि किसी तरह ई-वे बिल भी प्राप्त कर लिया जाए। अपना नाम भी सामने न आये। इसके लिए आरोपियों ने फर्जी तरीके से फर्म बनाई। इन फर्मों का जीएसटी में पंजीयन कराने के लिए ऑन लाइन व्यवस्था स्वत: पंजीयन प्रणाली का दुरुपयोग किया गया। आनलाइन प्रक्रिया में ओटीपी हासिल करने के लिए एक मोबाइल नंबर व ई-मेल का प्रयोग किया गया। जो कई फर्म में एक ही व्यक्ति, एक मोबाइल नंबर, एक ई-मेल का प्रयोग इन शातिर अपराधियों ने किया। फर्जी कंपनी तैयार कर उसमें फर्जी क्रय-विक्रय दिखाया और करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी की।

संजय ने खोली थी 37 फर्में, लगाया 215 करोड़ का चूना
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक जब इन फर्जी फर्म का भौतिक सत्यापन किया गया तो फर्जीवाड़ा सामने आया। संजय सिंह यादव ने अपने नाम से 37 फर्म तैयार की। इनके फर्जी तरीके से बैंक में खाते खुलवाये। वहीं इन सभी 37 बैंक खातों में तीन मोबाइल नंबर का प्रयोग किया। एसपी क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक इन खातो में 215 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। संजय की कुंडली खंगाली गई तो सामने आया कि उसने अपनी पत्नी के नाम पर इमपोर्टी सेल नाम की कंपनी बना रखी है। जिसके दिल्ली में स्टोर है। संजय की पत्नी के नाम पर दिल्ली में फ्लैट, लखनऊ में मकान हैं।

1700 करोड़ की जीएसटी चोरी में भी आया था नाम
एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह के मुताबिक पूछताछ में सामने आया कि आरोपी संजय सिंह यादव का नाम कुछ दिन पहले भी आया था। मेरठ में जीएसटी विभाग ने 1700 करोड़ रुपये की चोरी पकड़ी थी। इसमें 650 फर्जी फर्मों का नाम सामने आया। इस प्रकरण में संजय सिंह यादव और उसके सहयोगी चार्टेड अकाउंटेंट प्रदीप कुमार का नाम भी सामने आया। प्रदीप दिल्ली का रहने वाला है। उसके पास कई बड़े कारोबारियों के व्यापार की कुंडली है। एसपी साइबर क्राइम के मुताबिक इस मामले में अब जीएसटी विभाग से विवेचना में मदद ली जाएगी। इस फर्जीवाड़े के खुलासे में साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक मो. मुस्लिम खां, एसआई गुलाम हुसैन, आरक्षी संतोष कुमार तिवारी, धनिश यादव, संजय कसौधन, सौरभ गंगवार, प्रशांत शुक्ला ने महत्वूर्ण भूमिका निभाई।

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