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अपनी इच्छा से आया राजनीति के चक्रव्यूह से बाहर : नितीश भारद्वाज

Lucknow Bureau लखनऊ ब्यूरो
Updated Sun, 21 Dec 2025 04:08 PM IST
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niteesh bhardwaj again as Sri krishna
नितीश भारद्वाज।
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अभिषेक सहज
लखनऊ। मशहूर टीवी धारावाहिक महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले डॉ. नितीश भारद्वाज अपने प्रसिद्ध महानाट्य चक्रव्यूह के मंचन के लिए शनिवार को लखनऊ पहुंचे। इस दौरान अमर उजाला से खास बातचीत में उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि राजनीति के चक्रव्यूह से मैं अपनी इच्छा से बाहर आया क्योंकि मुझे ऐसा लगा कि राजनीति के माध्यम से मुझे समाज के लिए जो भी करना था मैंने कर लिया। उन्होंने कहा कि अब कला के माध्यम से मैं समाज के लिए अपना योगदान देना चाहता हूं। पूर्व सांसद ने कहा कि आज के समय में हर व्यक्ति अपने-अपने चक्रव्यूह में फंसा है और इससे बाहर निकलने का रास्ता भी उसे खुद ही खोजना पड़ता है। मैंने राजनीति के चक्रव्यूह से बाहर आने का फैसला भी मंथन के बाद खुद ही लिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का किरदार निभा लेने से ही जीवन में परिवर्तन संभव नहीं है, इसके लिए श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में उतारना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जीवन बहुत सारे उतार-चढ़ाव से गुजरता है। ऐसे में सकारात्मक रहते हुए श्रीकृष्ण की तरह धैर्य और सही निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। महानाट्य चक्रव्यूह के बारे में उन्होंने कहा कि यह कहानी तो मूल रूप से अभिमन्यु की है लेकिन वहां भी कृष्ण की भूमिका और उनका दर्शन कहानी के केंद्र में है। इस महानाट्य में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि महाभारत काल की परिस्थितियां और उस समय कृष्ण का दर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है। 2014 में लखनऊ से ही हुई थी चक्रव्यूह की शुरुआत नितीश भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 2014 में चक्रव्यूह महानाट्य की शुुरुआत लखनऊ से ही हुई थी और 11 वर्ष बाद एक बार फिर से रविवार को इसका मंचन शहर के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के जुपिटर प्रेक्षागृह में किया जा रहा है। इस महानाट्य के 150 से ज्यादा मंचन देशभर में हो चुके हैं। इसके लेखक और निर्देशक अतुल सत्य कौशिक हैं। नितीश ने कहा कि मैं कृष्ण की गीता के सिद्धांतों के आधार पर जीवन जीता हूं। वही एक ऐसा व्यावहारिक दर्शनशास्त्र है जो व्यक्ति को एक साथ सफल और सुखी बना सकता है। कहा, चक्रव्यूह मेरे लिए एक माध्यम है जिससे मैं गीता के संदेश को जन-जन तक पहुंचा सकूं।


लखनऊ में महसूस होता है कला का स्पंदन

नितीश भारद्वाज ने कहा कि कुछ शहर ऐसे हैं जहां कला का स्पंदन आज भी महसूस होता है, उनमें से एक लखनऊ है। उन्होंने कहा कि वैसे तो मैं पहले भी कई बार लखनऊ आया हूं लेकिन अब यह बदला-बदला सा और ज्यादा विकसित नजर आता है।

नितीश भारद्वाज।

नितीश भारद्वाज।

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