सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Lucknow News ›   No lessons are being learned from treasury scams in UP No action is being taken against responsible officers

UP News: कोषागारों में हो रहे एक के बाद एक घोटाले, सबक नहीं ले रहे जिम्मेदार; अफसरों पर नहीं कोई कार्रवाई

अजित बिसारिया, अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Mon, 27 Oct 2025 10:46 AM IST
सार

यूपी में कोषागारों में एक के बाद एक हो रहे घोटालों के बाद भी सबक नहीं लिया जा रहा है। जिम्मेदार अफसरों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हरदोई में घोटाले की रकम की वसूली नहीं हुई। लखनऊ में भी बड़े अफसर बचे हैं। भ्रष्टाचार की इस कड़ी में अब चित्रकूट जिला भी जुड़ गया है। आगे पढ़ें पूरा अपडेट...

विज्ञापन
No lessons are being learned from treasury scams in UP No action is being taken against responsible officers
यूपी में ट्रेजरी घोटाला। - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

उत्तर प्रदेश में कोषागारों में एक के बाद एक हो रहे घोटालों से सबक नहीं लिए जा रहे हैं। हरदोई में वर्ष 2009-16 के बीच हुए पांच करोड़ से ज्यादा के घोटाले में अभी तक वसूली नहीं हो पाई है। करीब ढाई साल पहले लखनऊ के कोषागार में हुए घपले में सिर्फ अकाउंटेंट पर कार्रवाई कर मामला रफा-दफा कर दिया गया। यही वजह है कि जहां भी ट्रेजरी में गंभीरता से जांच हो रही है, वहां घपले सामने आ रहे हैं।

Trending Videos


चित्रकूट की ट्रेजरी में हाल ही में सामने आए करोड़ों के घपले को भी कमोबेश उसी तर्ज पर अंजाम दिया गया, जिस तरह से हरदोई में घोटाला किया गया था। फर्जी पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) तैयार करके ऑनलाइन एंट्री कर देना और फिर साल दर साल भुगतान करते रहना। जानकार बताते हैं कि ज्यादातर वरिष्ठ या मुख्य कोषाधिकारियों ने अपना सुपर यूजर कोड अकाउंटेंट (बाबुओं) को दे रखा है। जबकि, ऐसा करना नियमों का उल्लंघन है।

विज्ञापन
विज्ञापन

घपले में किसी अधिकारी पर नहीं की गई कार्रवाई

यहां सवाल यह भी उठता है कि जब पेंशन का डाटा एक कर्मचारी फीड करता है, दो उसे वेरिफाई करते हैं और चौथा उसे अप्रूव करता है, उसके बाद ही भुगतान की व्यवस्था है, फिर भी ये घपले क्यों नहीं रुक रहे हैं। इसका मतलब है कि भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं और उच्चाधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत है। पूर्व में लखनऊ के कोषागार में हुए घपले में भी किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि, अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर के बिना भुगतान संभव ही नहीं है।

दो वरिष्ठ कोषाधिकारियों को किया गया बर्खास्त

हरदोई के कोषागार में हुए घपले की जांच तत्कालीन निदेशक वित्त आलोक अग्रवाल से कराई गई थी। जांच में एक ही खाता संख्या पर खाताधारक का नाम अलग-अलग मिला। मूल पीपीओ इंडेक्स पंजिका और कैलकुलेशन शीट कोषागार हरदोई में उपलब्ध नहीं मिली। 90 फर्जी पेंशनरों के नाम से 5 करोड़ 3 लाख 11 हजार 722 रुपये का घपला किया गया। ट्रेजरी के ही एक कर्मचारी ने स्वयं और अपनी पत्नी के खाते में 35 लाख रुपये से ज्यादा ट्रांसफर किए। मामले में इस कर्मचारी के साथ ही दो वरिष्ठ कोषाधिकारियों को बर्खास्त किया गया।

नेशनल पोर्टल से जोड़ने से रुक सकते हैं घपले

तत्कालीन निदेशक वित्त की जांच में हरदोई के तत्कालीन डीएम को पर्यवेक्षणीय दायित्व का ठीक से निर्वहन न करने और पुलिस अधीक्षक को एफआईआर में तीन साल की देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। लेकिन, आगे की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

मामले में 61 लोगों से वसूली की बात भी कही थी, जो आज तक नहीं हुई। अगर हरदोई में कार्रवाई करने में देरी नहीं की जाती तो वसूली भी आसानी से संभव थी। जानकार कहते हैं कि कोषागार में हर साल दिए जाने वाला लाइफ सर्टिफिकेट बायोमीट्रिक सिस्टम से और जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र के नेशनल पोर्टल से जोड़े जाने पर भी घपले काफी हद तक रुक सकते हैं।

ईडी से कराई जाए जांच

जानकार बताते हैं कि ट्रेजरी के घोटालों की जांच धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराई जाए तो भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचा जा सकता है। इस भ्रष्टाचार पर तभी प्रभावी रोक लग सकती है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed