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UP: बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ संगठित गिरोह भी चुनौती, नागरिकता दस्तावेज बनाने... मानव तस्करी में थे शामिल

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Mon, 24 Nov 2025 01:27 PM IST
सार

यूपी एटीएस बांग्लादेशी घुसपैठियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है। इसके बाद भी घुसपैठियों की तादाद बढ़ती जा रही है। वर्ष 2023 में गिरफ्तार घुसपैठिए नागरिकता के दस्तावेज बनाने, मानव तस्करी में शामिल थे। आगे पढ़ें पूरा अपडेट...

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Organised gangs of Bangladeshi infiltrators also involved in forging citizenship documents, human trafficking
बांग्लादेशी घुसपैठिये (सांकेतिक) - फोटो : freepik AI
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के साथ उनके संगठित गिरोह से निपटना भी चुनौती है। यूपी एटीएस लगातार ऐसे बांग्लादेशी घुसपैठियों के संगठित गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई करती है, इसके बावजूद उनकी संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। खासकर बीते दो वर्षों के दौरान ऐसे कुछ गिरोह का खुलासा हुआ जो घुसपैठ कराने के साथ भारतीय नागरिकता के दस्तावेज बनवाने और मानव तस्करी में शामिल थे।

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सीएम योगी ने प्रदेश में घुसपैठियों को चिह्नित कर उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने और सत्यापन के बाद वापस उनके देश भेजने का आदेश दिया है। यूपी एटीएस बीते आठ वर्ष में करीब 200 बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को गिरफ्तार कर चुकी है, हालांकि इनको वापस भेजने की कवायद नहीं हो सकी। केवल बड़े शहर ही नहीं, छोटे जिलों में भी घुसपैठियों ने अपने ठिकाने बना लिए हैं। 

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74 रोहिंग्या नागरिक गिरफ्तार किए गए थे

वर्ष 2023 में एटीएस ने बलिया से मोहम्मद अरमान उर्फ अबु तल्हा और अब्दुल अमीन को गिरफ्तार किया था, जो बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को घुसपैठ कराने के साथ उनके आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि बनवाकर विदेश भेजते थे। वहीं जुलाई, 2023 में एटीएस ने अभियान चलाकर 74 रोहिंग्या नागरिकों को गिरफ्तार किया था। एटीएस की कार्रवाई के दौरान म्यांमार से घुसपैठ करने वाले कई रोहिंग्या नागरिक भी दबोचे गए थे।

यूपी में बरती जा रही खास सतर्कता

केंद्र और राज्य सरकारें अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान का अभियान चला रही हैं। यूपी इस दिशा में विशेष सतर्कता बरत रहा है। दरअसल, बीते वर्षों में नेपाल सीमा के जिलों में अस्थिरता, फर्जी पहचान और घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं। फर्जी पहचान के सहारे विभिन्न शहरों में बस रहे अवैध घुसपैठिए कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती हैं और संसाधनों पर भी गंभीर दबाव डाल रहे हैं। 

अवैध बांग्लादेशी भारत में निवास कर रहे

वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद को बताया था कि करीब 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी भारत में निवास कर रहे हैं। वहीं अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या 40 हजार से अधिक है। इससे लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और वाराणसी जैसे अधिक आबादी वाले शहर ज्यादा प्रभावित होते हैं। नेपाल सीमा से सटे यूपी के जिलों में अवैध प्रवेश, फर्जी पहचान और संदिग्ध गतिविधियों का जोखिम अधिक रहता है।

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