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यूपी: सपा-कांग्रेस की बढ़ती दूरी से बसपा को सियासी फायदे की आस, इमरान मसूद के बयान ने बढ़ाई सरगर्मी
अशोक मिश्र, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: रोहित मिश्र
Updated Mon, 26 May 2025 08:45 AM IST
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सार
Congress SP alliance: यूपी में कथित तौर सपा और कांग्रेस के बीच दिख रहीं दूरियां क्या बसपा को राजनीतिक लाभ ले सकती हैं? इधर सांसद इमरान मसूद के बयान ने एक अलग तरह की बात कहकर सरगर्मी बढ़ा दी है।

बसपा सुप्रीमो मायावती
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद द्वारा समाजवादी पार्टी के बजाय बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन से अधिक फायदा होने के बयान ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। कांग्रेस और सपा के साथ बसपा के नेता भी इमरान मसूद के बयान के सियासी निहितार्थ तलाशने में जुट गए हैं। जानकारों के मुताबिक कांग्रेस और सपा के बीच बढ़ती दूरी बसपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि बसपा कांग्रेस का हाथ आसानी से नहीं थामेगी।
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दरअसल, कांग्रेस और सपा के नेताओं के बीच अक्सर बयानबाजी से गठबंधन समाप्त होने की अटकलें लगती रहती हैं। लोकसभा चुनाव के बाद एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में इजाफा भी हुआ है। लोकसभा चुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस प्रदेश में अपने पैर मजबूती से जमाने की कवायद में जुटी है, जिसके लिए सपा से ज्यादा बसपा फायदेमंद लग रही है।
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लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बसपा को भी साथ जोड़ने की असफल कोशिश की थी। हालांकि बसपा ने बीते कई चुनाव अकेले दम पर लड़ कर साफ कर दिया है कि वह किसी भी दल के साथ गठबंधन करने के पक्ष में नहीं है। पार्टी सूत्रों की मानें तो बसपा आगामी पंचायत चुनाव से दूरी बनाकर रखेगी, ताकि डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत किया जा सके। बसपा सुप्रीमो मायावती पहले ही गठबंधन से पार्टी को फायदे की जगह नुकसान होने की बात कह चुकी हैं। वह अपने बयानों में कांग्रेस पर खासा हमलावर भी रहती हैं।
गिरीश और मलूक सॉफ्ट, हाथी की चाल हो रही तेज
दरअसल, कांग्रेस और सपा के बीच बढ़ती दूरी ने कई नेताओं की बेचैनी भी बढ़ा दी है। पूर्व बसपा सांसद गिरीश चंद्र पार्टी में वापसी कर चुके हैं तो हाल ही में आकाश आनंद को चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए जाने का स्वागत पूर्व बसपा सांसद मलूक नागर ने किया है। बसपा नेता लगातार जिलों में काडर कैंप आदि के जरिये अन्य दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करा रहे हैं। वहीं तीनों नेशनल कोऑर्डिनेटर अन्य राज्यों में पार्टी का जनाधार बढ़ाने में जुटे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में भी बड़े पैमाने पर पार्टी सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है।