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UP: यूपी में लाइसेंस वापस कर रहीं कफ सिरप बनाने वाली कंपनियां, कहा- दिल्ली-हरियाणा में मिल रही सस्ती सिरप

चंद्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Fri, 17 Oct 2025 09:19 AM IST
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सार

कंपनियों का दावा है कि वे कई साल से सिरप नहीं बना रही हैं। उनकी यूनिटों में सिरप बनाने संबंधी कच्चा माल मिला है। इससे आशंका है कि ये कंपनियां घालमेल कर रही हैं।

UP: Cough syrup manufacturing companies are returning their licenses in UP.
प्रतीकात्मक तस्वीर। - फोटो : संवाद
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश में कफ सिरप बनाने वाली कंपनियां लाइसेंस समर्पण कर रही हैं। इसकी मूल वजह विभागीय कड़ाई, मानकों में बदलाव की तैयारी और दिल्ली व हरियाणा के कफ सिरप के मूल्य कम होना बताए जा रहे हैं। सप्ताहभर में चार कंपनियों ने लाइसेंस समर्पण संबंधी आवेदन किया है।

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प्रदेश में कफ सिरप बनाने वाली 37 कंपनियां हैं। इसमें 17 सक्रिय रूप से सिरप निर्माण में लगी हैं, जबकि अन्य का कहना है कि वे सिरप निर्माण नहीं कर रही हैं। पिछले दिनों राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की टीम ने सभी कंपनियों की जांच की। जांच के दौरान व्यापक तौर पर कमियां पाई गई हैं। सूत्रों का कहना है कि जिन कंपनियों का दावा है कि वे कई साल से सिरप नहीं बना रही हैं। उनकी यूनिटों में सिरप बनाने संबंधी कच्चा माल मिला है। इससे आशंका है कि ये कंपनियां घालमेल कर रही हैं।
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विभाग ने इनकी जांच के लिए कमेटी गठित किया है। इसी तरह मानकों की अनदेखी के आरोप में चार कंपनियों का उत्पादन रोक दिया गया है। विभागीय कड़ाई के बाद चार कंपनियों ने लाइसेंस समर्पण के लिए आवेदन किया है। ये कंपनियां हापुड़, मधुरा और लखनऊ की बताई जा रही हैं। कंपनियों ने तर्क दिया है कि वे लंबे समय से सिरप उत्पादन नहीं कर रही हैं। उनके द्वारा तैयार किए जा रहे सिरप की लागत अधिक आती है। जबकि दिल्ली व हरियाणा से निर्मित सिरप सस्ता है। इस कारोबार में घाटा होने की वजह से लाइसेंस समर्पित कर रहे हैं।

अन्य राज्यों में कीमत कम होने की वजह
सिरप कंपनी संचालकों का कहना है कि दिल्ली और हरियाणा में सिरप बनाने वाली बड़ी कंपनियां हैं। उनका टर्नओवर अधिक है। उपकरण भी बड़े लगे हैं। ऐसे में उनकी लागत कम पड़ती है। कच्चा माल भी सस्ते दर पर आसानी से मिल जाती है। उनका बाजार में वर्चस्व बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश में ज्यादातर छोटी कंपनियां हैं। उनकी लागत अधिक आती है। अब मानकों को भी कड़ा किया जा रहा है। ऐसे में लाइसेंस समर्पण करना मजबूरी है।

31 तक जांच पूरी करने के निर्देश

एफएसडीए आयुक्त डा. रोशन जैकब ने प्रदेशभर से जुटाए गए कफ सिरप के नमूने की जांच 31 अक्तूबर तक पूरा करने का निर्देश दिया है। ऐसे में नवंबर माह में जिस कंपनी के नमूने गड़बड़ मिलेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी। उधर, एफएसडीए की केंद्रीय टीम भी प्रदेश में नमूने इकट्ठा कर रही है। इन नमूनों की जांच केंद्रीय लैब में होगा। ऐसे में मनमानी करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई होनी तय है।

जांच के बाद होगी कार्रवाई
उप आयुक्त (औषधि) शशि मोहन का कहना है कि सभी सिरप कंपनियों की जांच चल रही हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी। जिन लोगों ने समर्पण के लिए आवेदन किया है, उस पर भी कमेटी विचार करेगी।

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