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UP: आसान नहीं बांग्लादेशी और रोहिंग्या की पहचान, अधिकतर खुद को पूर्वोत्तर राज्यों का बताते हैं निवासी

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Fri, 05 Dec 2025 11:13 AM IST
सार

बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को पहचान कर उनका सत्यापन कराना आसान नहीं है। वहीं, इनका सत्यापन कराने में भी लंबा समय लग सकता है।

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UP: Identifying Bangladeshi and Rohingya infiltrators is not easy
लखनऊ में महापौर सुषमा खर्कवाल ने घुसपैठियों के लिए चलाया अभियान। - फोटो : amar ujala
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मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलों में अवैध रूप से निवास कर रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को चिह्नित करने की कवायद शुरू कर दी गई। हालांकि, उनका सत्यापन कराना आसान नहीं है। प्रदेश में 2019 में पुलिस और प्रशासन द्वारा कराए गए संयुक्त सर्वे में करीब 10 लाख घुसपैठियों के होने की संभावना जताई गई थी। इतनी बड़ी संख्या में घुसपैठियों को चिह्नित करने के साथ उनका मूल निवास वाले राज्यों से सत्यापन कराने में लंबा वक्त लग सकता है।

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अधिकारियों के मुताबिक अधिकतर घुसपैठिये खुद को पूर्वोत्तर राज्यों का मूल निवासी बताते हैं। सुबूत के तौर पर आधार कार्ड प्रस्तुत करते हैं। हालांकि, इनमें से अधिकतर आधार कार्ड फर्जी होते हैं, जो भारत में घुसपैठ के बाद पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा आदि राज्यों में एजेंटों द्वारा बनाया जाता है। ऐसे में उनके मूल निवास वाले जिले की पुलिस से सत्यापन कराना आसान नहीं होता है।
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वहीं, जिन घुसपैठियों को चिह्नित करने के बाद पश्चिम बंगाल से सटी बांग्लादेश की सीमा पर ले जाकर खदेड़ा जाता है, उनमें से अधिकतर कुछ किमी दूर जाकर वापस घुसपैठ करने में कामयाब हो जाते हैं। कई बार तो बांग्लादेश की सेना भी उन्हें अपना नागरिक मानने से इन्कार कर सीमा पार करने में अवरोध पैदा करती है। फिलहाल राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस जिलों में उनकी पहचान कर रही है। बीते छह वर्ष में उनकी संख्या में खासा इजाफा होने की संभावना भी जताई जा रही है।

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