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UP: चकबंदी के लिए नए सिरे से तैयार होंगे जमीनों के नक्शे, इंच-इंच भूमि का रहेगा सटीक आंकड़ा

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: ishwar ashish Updated Sun, 30 Nov 2025 12:23 AM IST
सार

जमीनों के नये नक्शे तैयार करने के लिए जीपीएस आधारित उच्च तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। विभाग का दावा है कि ऐसा होने पर उसके पास इंच-इंच भूमि का हिसाब रहेगा।

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UP: Land maps will be prepared afresh for consolidation, with accurate data for every inch of land.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। - फोटो : amar ujala
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चकबंदी के लिए नए सिरे से जमीनों के नक्शे तैयार होंगे। इसमें यह भी देखा जाएगा कि किसी व्यक्ति के नाम रिकॉर्ड में कितनी जमीन दर्ज है और मौके पर वह कितनी जमीन पर काबिज है। इसके लिए जीपीएस आधारित उच्च तकनीक का प्रयोग होगा। चकबंदी विभाग का दावा है कि नए नक्शे तैयार होने पर उसके पास इंच-इंच भूमि का हिसाब रहेगा।

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चकबंदी होने में सबसे बड़ी दिक्कत सटीक नक्शों का न होना है। इतना नहीं दशकों पुराने जो नक्शे उपलब्ध हैं, वे अब काफी जीर्ण-शीर्ण स्थिति में भी आ चुके हैं। इसलिए चकबंदी विभाग ने नए सिरे से नक्शों को ऑनलाइन तैयार करने की योजना बनाई है।
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इस योजना के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पास रिकॉर्ड (गाटा संख्या) में दो एकड़ जमीन दर्ज है, लेकिन मौके पर वह ढाई एकड़ पर काबिज है, तो संबंधित लेखपाल नए नक्शे में इस स्थिति को स्पष्ट तौर पर दर्ज करेगा। जीपीएस रोवर के माध्यम से गाटा संख्या के अनुसार, रकबे का ऑनलाइन चिह्नांकन भी किया जाएगा।

चकबंदी विभाग का दावा है कि रोवर के जरिये किसी गाटा संख्या के रकबे में शुद्धता सेंटीमीटर तक के स्तर की होगी। यहां बता दें कि जीपीएस में रोवर एक उपकरण होता है, जो एक स्थिर जीपीएस रिसीवर (बेस या आधार) के सापेक्ष अपनी सटीक स्थिति का पता लगाने के लिए जीपीएस का उपयोग करता है। इसका उपयोग सर्वेक्षण, मानचित्रण और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सटीक डाटा इकट्ठा करने के लिए किया जाता है।

ग्राम समाज की जमीन का भी होगा चिह्नांकन
नए नक्शे में ग्राम समाज की जमीन का भी जीपीएस तकनीक से चिह्नांकन किया जाएगा। प्रयास रहेगा कि ग्राम समाज की जमीन के सभी गाटा संख्या एक ही स्थान पर चक के रूप में आ जाएं, ताकि उस जमीन का जनहित में समुचित उपयोग हो सके।

20 करोड़ रुपये से ज्यादा के खरीदे गए रोवर
उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, राजस्व परिषद ने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत के रोवर खरीद लिए हैं। पहले चरण में चकबंदी विभाग भी इन्हीं रोवर का इस्तेमाल करेगा। हालांकि, काम पूरा करने के लिए उससे इससे कहीं ज्यादा रोवर खरीदने होंगे।

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