UP:स्वास्थ्य विभाग में मनमानी का खेल, डॉक्टर से लेकर स्टेनों की तैनाती में फर्जीवाड़ा; गलत तरीके से नियुक्ति
Health Department of UP: पहले एएनएम की योग्यता हाईस्कूल थी, जबकि अब इस कोर्स में दाखिले की योग्यता इंटरमीडिएट (जीव विज्ञान) है। इसके बाद भी इस पर गलत नियुक्ति की गई।
विस्तार
स्वास्थ्य विभाग में गजब का खेल चल रहा है। हालत यह है कि हाईस्कूल पास को एग्जलरी नर्स एंड मिडवाइफ (एएनएम) प्रशिक्षण सेंटर का प्रभारी बना दिया गया है, जबकि भारतीय उपचर्या परिषद की ओर से इस पद के लिए एमएससी अथवा बीएससी नर्सिंग होना चाहिए।
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के अधीन नौ जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफ (जीएनएम) प्रशिक्षण केंद्र में 453 सीटें हैं। इसी तरह एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में 1800 सीटें हैं। पहले एएनएम की योग्यता हाईस्कूल थी, जबकि अब इस कोर्स में दाखिले की योग्यता इंटरमीडिएट (जीव विज्ञान) है। प्रदेश के ज्यादातर एएनएम प्रशिक्षण केंद्रों में एमएससी, बीएससी नर्सिंग और अनुभव रखने वालों को ट्यूटर इंचार्ज के रूप में जिम्मेदारी दी गई है। जबकि लखनऊ के अलीगंज स्थित एएनएम प्रशिक्षण केंद्र में आठ ट्यूटर कार्यरत हैं। यहां की प्रभारी शीला कपूर की योग्यता हाईस्कूल और एनएनएम प्रशिक्षित हैं। वह विभाग में जनवरी 1988 से कार्यरत हैं। प्रभारी के रूप में उनकी तैनाती 29 जून 2021 को की गई है। इनके अधीन सात ट्यूटर कार्यरत हैं। इन सभी ट्यूटर की शैक्षिक योग्यता बीएससी नर्सिंग है। ऐसे में प्रभारी की नियुक्ति पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या होनी चाहिए योग्यता
भारतीय उपचर्या परिषद (आईएनसी) की गाइडलाइन के अनुसार प्रशिक्षण केंद्र का प्रधानाचार्य अथवा प्रभारी तीन साल के अध्यापन अनुभव के साथ एमएससी नर्सिंग अथवा पांच साल के अध्यापन अनुभव के बीएससी नर्सिंग होनी चाहिए। इसी तरह ट्यूटर की योग्यता बीएससी नर्सिंग अथवा डिप्लोमा इन नर्सिंग एजुकेशन, डिप्लोमा इन पब्लिक हेल्थ नर्सिंग के साथ दो साल का क्लीनिकल अनुभव होना चाहिए।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पहले एएनएम की शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल थी। शीला कपूर मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पहले से कार्यरत हैं। वहां तैनात अन्य ट्यूटर 2022 में तैनात की गई हैं। जिस वक्त सभी पद खाली थे, उसी समय वरिष्ठता के आधार पर जिम्मेदारी दी गई होगी। अब वह सेवानिवृत्ति के करीब हैं। फिर भी पूरे मामले को देखवाया जा रहा है। जो योग्य होगा, उसे जिम्मेदारी दी जाएगी।- डा. एनबी सिंह, सीएमओ लखनऊ।
प्रशिक्षण केंद्र में प्रभारी सीएमओ के अधीन होते हैं। हाईस्कूल पास एएनएम को नियमानुसार जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए। यदि ऐसा हुआ है तो गलत है। इस मामले में स्पष्ट जानकारी सीएमओ दे पाएंगे। फिर भी मैं अपने स्तर से दिखवाया हूं कि किस स्तर पर गड़बड़ी हुई है।- डा. पवन कुमार अरुण, महानिदेशक (प्रशिक्षण)
स्टेनो के पद दो, तैनाती तीन की
लखनऊ सीएमओ कार्यालय में लिपिक और डॉक्टरों की तैनाती में भी खेल किया गया है। सीएमओ आफिस में स्टेनो के दो पद हैं। दोनों पद पर महिलाओं की तैनाती पहले से है। ऐसे में मलेरिया विभाग के एक लिपिक को भी यहां तैनात कर दिया गया है। लिपिक की तैनाती मामले में लखनऊ मंडल के अपर निदेशक डा. जीपी गुप्ता ने सीएमओ से जवाब भी मांगा है।
एक्सरे से लेकर लैब टेक्नीशियन की भर्ती में भी मनमानी
स्वास्थ्य विभाग में एक्सरे टेक्नीशियन से लेकर लैब टेक्नीशियन की भर्ती में भी मनमानी सामने आ चुकी है। एक अर्पित के नाम पर छह अर्पित के नौकरी करने के मामले में मुख्यमंत्री ने आदेश दिया तो रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। एक को छोड़कर अन्य अर्पित नौकरी छोड़कर भाग चुके हैं। इसी तरह वर्ष 2008 में 79 का चयन हुआ, लेकिन 140 लोगों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस मामले में भी जांच चल रही है, लेकिन अभी तक कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं हो सकी है। इतना ही नहीं एक्सरे टेक्नीशियन के पद पर मृतक आश्रित कोटे में भी खेल हुआ है।
महानिदेशक इन सभी मामलों में विभिन्न जिलों के सीएमओ कार्यालय से पत्रावलियां मंगवाई है, लेकिन नतीजा सिफर है। पुख्ता कार्रवाई नहीं होने की वजह से फर्जीवाड़ा करने वालों के हौंसले बुलंद हैं। लैब टेक्नीशियन के लिए वर्ष 2007 में 572 की भर्ती की गई। इसमें 35 चयनित कई अलग- अलग परिवारों के पारे गए। प्राथमिक जांच में यह भी पाया गया कि इस भर्ती में एक की पिता की चार से पांच संतानों को लैब टेक्नीशियन की नौकरी दी गई है। कुछ के परिजन स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। इन सभी मामलों की विस्तृत जांच कराने की बात कही गई, लेकिन अभी तक जांच शुरू नहीं हो पाई है। इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक डा. रतनपाल सिंह सुमन का कहना है कि एक्सरे टेक्नीशियन मामले की जांच तीन सदस्यीय कमेटी कर रही है। अन्य के लिए शासन से आदेश नहीं मिला है।