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Bhopal News: उलेमाओं की अपील, रमजान माह आने वाला है, कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है, जानिए क्या दी है हिदायत
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: अरविंद कुमार
Updated Tue, 04 Feb 2025 03:39 PM IST
सार
काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी और शहर मुफ्ती अब्दुल कलाम खान कासमी ने कहा कि रमजानुल मुबारक महीना अपनी नैमतों, बरकतों और नैकियों के साथ आने वाला है। इस महीने में दो खास आमाल होते हैं।
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काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
इस्लामी कैलेंडर का रमजान माह जल्दी ही शुरू होने वाला है। इस खास महीने में रोजा और नमाज ए तरावीह ( रमजान माह की खास नमाज) का विशेष महत्व होता है। उलेमाओं ने शहर की मस्जिदों में अदा की जाने वाली इस नमाज की अदायगी के लिए कुछ हिदायतें दी हैं। उन्होंने मस्जिदों के जिम्मेदारों से इस तरह के इंतजाम करने के लिए कहा है।
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काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी और शहर मुफ्ती अब्दुल कलाम खान कासमी ने कहा कि रमजानुल मुबारक महीना अपनी नैमतों, बरकतों और नैकियों के साथ आने वाला है। इस महीने में दो खास आमाल होते हैं। पहला अमल दिन का रोज़ा है जो फर्ज है और दूसरा अमल रात में इशा की नमाज़ के साथ नमाज़े तरावीह है। नमाज़े तरावीह में अल्लाह पाक के मुकद्दस कलाम कुरआन मजीद को पढ़ने और सुनने का हसीन मौका मिलता है। लेकिन अधिकांश लोग मसाजिद में तरावीह में पढ़ाने वाले कुरआन को साफ साफ, ठहर ठहर कर उच्चारण और आदाब के साथ पढ़ने की पाबंदी नहीं करते हैं। बहुत ही तेज रफ्तारी के साथ कुरआन पढ़ा जाता है। जबकि कुरआन पाक को मुकम्मल आदाबे तजवीद व तरतील और तलपफुज़ की रिआयत के साथ साफ साफ, ठहर ठहर कर पढ़ना चाहिए।
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दिया हदीस का हवाला
उलेमाओं ने कहा कि कुरआन में अल्लाह का साफ हुक्म मौजूद है "वरत्तेलिल कुरआना तरतीला" कुरआन को ठहर ठहर कर पढ़ो। इसी तरह हदीसे पाक में हज़रत बर्रा बिन आज़िए रह० से रिवायत है कि नबी करीम सल्लललाहो अलैयहे वसल्लम ने फरमाया "जय्येनुल कुरआना बिअस्वातेकुम" (अबुदाऊद इस्तेहबाबुल तरतील फिल क्रिआत-1256) कुरआन पाक को अपनी आवाज़ से मुज़य्यन करो। इसी तरह हुजैफा बिन यमान रजि० से मरवी है कि नबी करीम सल्लललाहो अलैयहे वसल्लम ने फ्रमाया "इक्रा वल कुरआना बिलहनिल अल अरावे व असवातेहा" (शोबुलईमान-2541) कुरआन पाक एहले अरब के लहजे और तर्ज व आवाज़ में पढ़ो। एक और हदीस पाक में है "हस्सेनुल कुरआना बिअस्वातेकुम फइन्नस्स सूतल हसाना यज़ीदुल कुरआना हुसना" (शोबुलईमान) अच्छी आवाज़ कुरआने करीम के हुस्न को बड़ा देती है।
जिम्मेदारों को ताकीद
तमाम उलैमा-ए-किराम मुपितयाने इज़ाम व जुम्ला मसाजिद के जिम्मेदारान सदर व सेक्रेट्री व रेहनुमा-ए-दीन व मिल्लत से दरख्वास्त है कि अपने मुहल्ले की मस्जिद में अच्छे और बेहतरीन तर्ज व आवाज और तजवीद व तरतील के साथ ठहर ठहर कर पढ़ने वाले हाफिज साहब का इंतेखाब करें और किसी भी मस्जिद के जिम्मेदार या साहिबे असर रसूख अपनी कुव्वत व ताकत और आपने ओहदे का इस्तिमाल न करते हुए अल्लाह के लिए अच्छे हाफिज़ यानि जिस को खूब याद हो का चयन करें और पूरे महिने तरावीह में इमाम के पीछे कुरआन पाक सुनने का निज़ाम बनाएं। उलेमाओं ने कहा कि इसके साथ एक सामिअ का भी इंतेज़ाम किया जाए। जिसमें दोनों के हदिये में भी बराबरी बरती जाए तो बेहतर है। शहर व बैरुने शहर में नए नए हुपफाज़ की तादाद बढ़ रही है। नए हाफिज़ों को मस्जिदों में जगह न मिलने की बिना पर इनका हिफ़्ज़ खतरे में आ जाता है। कई बार वह भूल जाते हैं। इसलिए तमाम मस्जिदों में अगर दो हाफिज़ साहिबान रोज़ाना दस-दस रकआत पढ़ाएं तो हर एक हाफिज़ पढ़ने वाला भी होगा और सुनने वाला भी।
इस तरह पढ़ें तरावीह
उलेमा ने कहा कि जिन मसाजिद में 27वीं शब में कुरआन मुकम्मल किया जाए, वह इस तरतीब से पढ़ें कि पहले रमजान से 15 रमजान तक सवा पारा पढ़ें। 16 से 27 तक एक पारा पढ़ने का निज़ाम बनाएं। ताकि कोई भी किसी भी मस्जिद या मुहल्ले में कुरआन तरतीब से सुन सके।

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