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MP Monsoon Session: 2335 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित, सदन में चार संशोधन विधेयक भी हुए पास

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 30 Jul 2025 09:45 PM IST
सार

मध्यप्रदेश विधानसभा में डॉ. मोहन यादव सरकार का 2335 करोड़ रुपये का पहला अनुपूरक बजट पारित हो गया। यह बजट विकास और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

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MP Monsoon Session: Supplementary budget of Rs 2335 crore passed, four amendment bills also passed in the Hous
मध्य प्रदेश विधानसभा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन डॉ. मोहन यादव सरकार का वर्ष 2025-26 का पहला अनुपूरक बजट पारित हो गया। 2335 करोड़ रुपये के इस बजट को मंगलवार को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सदन में पेश किया था। बुधवार को इस पर दो घंटे चर्चा के लिए समय निर्धारित किया गया था, लेकिन सदस्यों की भागीदारी को देखते हुए समय बढ़ाकर चार घंटे कर दिया गया। चर्चा के बाद देर शाम अनुपूरक बजट पारित कर दिया गया। वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि यह अनुपूरक बजट समावेशी, गतिशील और भविष्य की सोच को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि विपक्षी सदस्यों ने बजट में कुछ कमियों और सुझावों को साझा किया, जिन्हें गंभीरता से लिया जाएगा।
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बजट में स्वास्थ्य विभाग को सबसे अधिक आवंटन
बजट में स्वास्थ्य विभाग के लिए सबसे अधिक 1602 करोड़ 30 लाख रुपए, गृह विभाग के लिए  1242 करोड़ 71 लाख 6 हजार 778 रुपए, भू-राजस्व, जिला प्रशासन एवं आपदा राहत व्यय के लिए 98 करोड़ 87 लाख 50 हजार 400 रुपए समेत अन्य विभागों के लिए राशि का आवंटन किया गया है। 

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ये चार विधेयक भी पारित हुए 
सदन में चार विधेयक मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, भारतीय स्टांप (म.प्र. संशोधन) विधेयक, रजिस्ट्री (म.प्र. संशोधन) विधेयक और  भारतीय स्टांप (म.प्र. द्वितीय संशोधन) विधेयक भी पारित हुए। 

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कोरोना में जान गंवाने वाले संविदा कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने पर सरकार कर रही विचार 
कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले संविदा कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने को लेकर राज्य सरकार विचार कर रही है। इस संबंध में प्रश्न काल में विधायक चौधरी सुजीत मेर सिंह ने कोरोना काल में संविदा कर्मचारियों की मृत्यु होने पर अनुकंपा नियुक्ति देने का मामला उठाया था। इस पर स्वास्थ्य मंत्री और उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि संविदा कर्मचारी की कोरोना काल में मृत्यु होने पर उनके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति देने का नियम है, लेकिन जिन कर्मचारियों के परिजनों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 50 लाख रुपये बीमा लाभ ले लिया है, उनको अनुकंपा नियुक्ति देना है या नहीं इस पर विचार किया जाएगा। 

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गरीब भूमिहीन परिवार को दिए जाए शासकीय भूमि के पट्टे 
इससे पहले विधायक सतीश सिकरवार ने गरीब भूमिहीन परिवार को शासकीय भूमि का पट्टा दिए जाने का मुद्दा उठाया। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक कमलनाथ ने कहा कि अब डब्ल्यूसीएल और एसईसीए में कोयले की खदानें नहीं हैं। इन जमीनों को वापस लिया जाए और गरीबों को पट्टे दिए जाएं। इस मामले में मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि जब वह केंद्र में मंत्री थे, तब यह मामला उनके पास आया था। खदानों की जमीन पर आवास के लिए पट्टे नहीं दिए जा सकते हैं। 

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कांग्रेस विधायक ने लगाया प्रश्न बदलने का आरोप 
वहीं, कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल ने विधानसभा में भेजे सवाल के मूल प्रश्न को बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसा किसने किया इसकी जानकारी दी जाए। बाबू जंडेल ने कहा कि उन्होंने आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेचने के मामले में बेचने वाले का नाम दिए जाने और खरीदने वाले की 15 साल की जानकारी मांगी थी। इस पर राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि सवाल नहीं बदला गया है। इस पर बाबू जंडेल ने कहा कि उन्होंने 15 साल की जानकारी मांगी थी, उनको पांच साल की जानकारी दी जा रही है। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि यह सभी जिलों की स्थिति है। इस पर व्यवस्था तय होनी चाहिए। 

भाजपा विधायक ने अस्पताल की हालत पर उठाए सवाल 
विधानसभा के सत्र में भाजपा विधायक अशोक रोहाणी ने सिविल हॉस्पिटल रांझी में अतिरिक्त निर्माण में हो रही देरी का मामला उठाया। इस पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि इसके लिए 40 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई थी। भवन के लिए 24 करोड़ का प्रावधान है। इस बीच, कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने अस्पतालों की खराब हालात का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भवन बने, लेकिन उपकरण चलाने वाले कर्मचारी ही नहीं है। इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि भर्ती प्रक्रिया चल रही है। कई जगह पोस्टिंग भी की जा रही है। डॉक्टरों को गांव में ज्वाइन करना चुनौती का काम है, इसलिए थोड़ा समय लग रहा है। इस पर शेखावत ने कहा कि 22 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है और अभी भी ऐसी स्थिति है। इसे ठीक करना होगा।
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