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MP News: हिड़मा के एनकाउंटर पर सियासी तूफान,दिग्विजय के सवालों से MP की राजनीति में गरमाहट,BJP का तीखा पलटवार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Fri, 21 Nov 2025 03:05 PM IST
सार
छत्तीसगढ़ में कुख्यात नक्सली माड़वी हिड़मा के एनकाउंटर के बाद मामला अब मध्य प्रदेश की राजनीति तक पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा इस कार्रवाई पर सवाल उठाए जाने के बाद प्रदेश में सियासी टकराव तेज हो गया है। मंत्री विश्वास सारंग ने भी आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह लगातार राष्ट्र विरोधी तत्वों का समर्थन करते नजर आते हैं।
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पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
छत्तीसगढ़ के कुख्यात और इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा की मौत के बाद मध्य प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा एनकाउंटर की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने के बाद पूरा राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी का वीडियो साझा किया। वीडियो में सोढ़ी दावा कर रही हैं कि हिड़मा और उसके साथियों की मौत एनकाउंटर नहीं, बल्कि योजनाबद्ध हत्या थी। उनके मुताबिक पुलिस की टाइमलाइन संदिग्ध है। छह लोगों को पकड़कर मारा गया। ग्रामीणों का कहना है कि घटना स्थल पर नक्सली मौजूद ही नहीं थे।सोढ़ी अंतिम संस्कार में भी शामिल हुई थीं और न्यायिक जांच की मांग कर रही हैं।
राष्ट्र विरोधी तत्वों का समर्थन करते नजर आते हैं दिग्विजय
सोढ़ी का वीडियो शेयर करते ही BJP ने दिग्विजय सिंह पर तीखा प्रहार किया। मंत्री विश्वास सारंग ने भी आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह लगातार राष्ट्र विरोधी तत्वों का समर्थन करते नजर आते हैं। शहीद जवान पर एक शब्द नहीं, लेकिन नक्सली के लिए संवेदना! वे तुष्टीकरण की राजनीति में इतने आगे बढ़ चुके हैं कि देशद्रोही ताकतों का बचाव आदत बन गई है। सारंग ने दिग्विजय के बयान को “देशहित के खिलाफ बताया।
दिग्विजय हमेशा देशविरोधियों के पक्ष में खड़े
सांसद आलोक शर्मा ने कहा जब देश के जवान शहीद होते हैं, तब दिग्विजय चुप रहते हैं, लेकिन नक्सलियों और आतंकवादियों पर सवाल उठाने में सबसे आगे रहते हैं। इसी मानसिकता के कारण कांग्रेस बार-बार हार का सामना कर रही है।
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मैं हिंसा के विरोध में हूं, मुद्दा आदिवासी अधिकारों का
दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि वे नक्सली हिंसा के खिलाफ हैं, लेकिन समाधान बातचीत और आत्मसमर्पण की नीति से निकल सकता है। उन्होंने कह कि असल मुद्दा आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक अधिकारों का है। PESA कानून देश के शेड्यूल्ड एरिया में लागू नहीं किया जा रहा, जिससे आदिवासियों के अधिकार कमजोर हुए हैं। नक्सल क्षेत्रों के आदिवासियों के पास दस्तावेज कैसे होंगे? मतदाता सूची में नाम न जुड़ने का मतलब है कि उनकी नागरिकता खतरे में है। उन्होंने BJP पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी हितों के मुद्दों से हमेशा दूरी बनाकर चलती रही है।
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एनकाउंटर की पृष्ठभूमि
18 नवंबर को आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सितारामा राजू जिले में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ में हिड़मा, उसकी पत्नी राजे और चार अन्य नक्सली मारे गए थे। हिड़मा पर कई बड़े हमलों के आरोप थे और वह सुरक्षा एजेंसियों की टॉप सूची में शामिल था।
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राष्ट्र विरोधी तत्वों का समर्थन करते नजर आते हैं दिग्विजय
सोढ़ी का वीडियो शेयर करते ही BJP ने दिग्विजय सिंह पर तीखा प्रहार किया। मंत्री विश्वास सारंग ने भी आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह लगातार राष्ट्र विरोधी तत्वों का समर्थन करते नजर आते हैं। शहीद जवान पर एक शब्द नहीं, लेकिन नक्सली के लिए संवेदना! वे तुष्टीकरण की राजनीति में इतने आगे बढ़ चुके हैं कि देशद्रोही ताकतों का बचाव आदत बन गई है। सारंग ने दिग्विजय के बयान को “देशहित के खिलाफ बताया।
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दिग्विजय हमेशा देशविरोधियों के पक्ष में खड़े
सांसद आलोक शर्मा ने कहा जब देश के जवान शहीद होते हैं, तब दिग्विजय चुप रहते हैं, लेकिन नक्सलियों और आतंकवादियों पर सवाल उठाने में सबसे आगे रहते हैं। इसी मानसिकता के कारण कांग्रेस बार-बार हार का सामना कर रही है।
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मैं हिंसा के विरोध में हूं, मुद्दा आदिवासी अधिकारों का
दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि वे नक्सली हिंसा के खिलाफ हैं, लेकिन समाधान बातचीत और आत्मसमर्पण की नीति से निकल सकता है। उन्होंने कह कि असल मुद्दा आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक अधिकारों का है। PESA कानून देश के शेड्यूल्ड एरिया में लागू नहीं किया जा रहा, जिससे आदिवासियों के अधिकार कमजोर हुए हैं। नक्सल क्षेत्रों के आदिवासियों के पास दस्तावेज कैसे होंगे? मतदाता सूची में नाम न जुड़ने का मतलब है कि उनकी नागरिकता खतरे में है। उन्होंने BJP पर आरोप लगाया कि वह आदिवासी हितों के मुद्दों से हमेशा दूरी बनाकर चलती रही है।
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एनकाउंटर की पृष्ठभूमि
18 नवंबर को आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सितारामा राजू जिले में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ में हिड़मा, उसकी पत्नी राजे और चार अन्य नक्सली मारे गए थे। हिड़मा पर कई बड़े हमलों के आरोप थे और वह सुरक्षा एजेंसियों की टॉप सूची में शामिल था।