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Madhya Pradesh Foundation Day: बाघों की दहाड़ और चीतों की रफ्तार ने मप्र को बनाया पर्यटन का आकर्षक केंद्र
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Sat, 01 Nov 2025 07:00 AM IST
सार
मध्यप्रदेश देश का टाइगर स्टेट हैं। यहां पर 785 बाघ और 27 चीते हैं। चीतों में कूनो में मौजूद 24 में से 14 शावक देश में जन्में हैं। वन्यजीव संरक्षण से राज्पय में पर्यटन-रोजगार बढ़ा हैं। हालांकि बाघ के शिकार और वनों में अतिक्रमण चुनौती बनी हुई हैं।
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मध्य प्रदेश का अपना 70वां स्थापना दिवस
- फोटो : अमर उजाला
देश के हृदय मध्य प्रदेश की पहचान अब सिर्फ उसके भौगोलिक केंद्र होने से नहीं बल्कि उसकी विशिष्ट उपलब्धियों से भी है। यह वह राज्य है, जहां एक साथ सबसे अधिक बाघ और देश के एकमात्र चीते पाए जाते हैं। यही नहीं, सफाई और वायु गुणवत्ता में भी राज्य ने पिछले वर्षों में कई बड़े शहरों को पीछे छोड़ते हुए नंबर वन स्थान हासिल किया है। मध्य प्रदेश को देश का टाइगर स्टेट कहा जाता है। 2022 की राष्ट्रीय बाघ गणना के अनुसार प्रदेश में सबसे अधिक 785 बाघ पाए गए, जो देश में सबसे अधिक हैं। कान्हा, बांधवगढ़, पेच, सतपुड़ा और संजय दुबरी जैसे राष्ट्रीय उद्यानों ने न केवल वन्यजीव संरक्षण को सशक्त बनाया है, बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी खोले हैं।
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मप्र में बढ़ रही चीतों की संख्या
- फोटो : अमर उजाला
कहां कितने टाइगर
बांधवगढ़-135 बाघ , कान्हा-105 बाघ, पेंच- 77 बाघ, पन्ना - 55 बाघ, सतपुड़ा - 55 बाघ, संजय-डुबरी - 16 बाघ, नौरादेही - 5 बाघ , रातापानी - 56, माधव नेशनल पार्क - 0। इसके अलावा बालाघाट, पन्ना, शहडोल, उमरिया, बैतूल के जगलों में अच्छी संख्या में टाइगर हैं। (यह आंकड़े 2022 की गणना रिपोर्ट के अनुसार)।
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बांधवगढ़-135 बाघ , कान्हा-105 बाघ, पेंच- 77 बाघ, पन्ना - 55 बाघ, सतपुड़ा - 55 बाघ, संजय-डुबरी - 16 बाघ, नौरादेही - 5 बाघ , रातापानी - 56, माधव नेशनल पार्क - 0। इसके अलावा बालाघाट, पन्ना, शहडोल, उमरिया, बैतूल के जगलों में अच्छी संख्या में टाइगर हैं। (यह आंकड़े 2022 की गणना रिपोर्ट के अनुसार)।
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मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट भी कहा जाता है।
- फोटो : अमर उजाला
बाघों का शिकार और वनों में अतिक्रमण बड़ी चुनौती : दुबे
वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि बाघों सर्वाधिक बाघों की संख्या मध्य प्रदेश हैं, लेकिन सबसे ज्यादा शिकार बाघों का मध्य प्रदेश में हाे रहा है। वनों में अतिक्रमण बढ़ रहा हैं। चीतें हमारे यहां पर है, लेकिन इनको खुले जंगल में रखना अभी भी चुनौती बना हुआ हैं। जंगली हाथियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। मानव और वन्यप्राणियों का संघर्ष रोकना आज की बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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मानव और बाघों के टकराव के लिए कदम उठा रहे : सेन
मध्य प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शुभरंजन सेन ने कहा कि बाघों की बढ़ती संख्या से जंगलों में फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है। पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और पन्ना के कोर एरिया में टाइगर एरिया से बाघ की जनसंख्या बढ़ने की बहुत ज्यादा संभावना नहीं है, लेकिन अब संजय, नौरादेही और सतपुड़ा में भी बाघों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना है। प्रदेश में नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व एरिया के अलावा भी अच्छे जंगल है, जहां बाघ बड़ी संख्या में रहते हैं। प्रदेश के करीब एक तिहाई बाघ टाइगर रिजर्व के बाहर थे। सेन ने कहा कि भोपाल के आसपास पांच से सात वर्षों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, लेकिन जोखिम भी नहीं लिया जा सकता। बाघों और मानव के टकराव को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए हम सक्रिय प्रबंधन कर रहे हैं। जहां जरूरत है वहां बाड़बंदी की जा रही हैं। 10,000 चीतलों का स्थानांतरण किया है।
वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि बाघों सर्वाधिक बाघों की संख्या मध्य प्रदेश हैं, लेकिन सबसे ज्यादा शिकार बाघों का मध्य प्रदेश में हाे रहा है। वनों में अतिक्रमण बढ़ रहा हैं। चीतें हमारे यहां पर है, लेकिन इनको खुले जंगल में रखना अभी भी चुनौती बना हुआ हैं। जंगली हाथियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। मानव और वन्यप्राणियों का संघर्ष रोकना आज की बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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मानव और बाघों के टकराव के लिए कदम उठा रहे : सेन
मध्य प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शुभरंजन सेन ने कहा कि बाघों की बढ़ती संख्या से जंगलों में फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है। पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और पन्ना के कोर एरिया में टाइगर एरिया से बाघ की जनसंख्या बढ़ने की बहुत ज्यादा संभावना नहीं है, लेकिन अब संजय, नौरादेही और सतपुड़ा में भी बाघों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना है। प्रदेश में नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व एरिया के अलावा भी अच्छे जंगल है, जहां बाघ बड़ी संख्या में रहते हैं। प्रदेश के करीब एक तिहाई बाघ टाइगर रिजर्व के बाहर थे। सेन ने कहा कि भोपाल के आसपास पांच से सात वर्षों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ, लेकिन जोखिम भी नहीं लिया जा सकता। बाघों और मानव के टकराव को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए हम सक्रिय प्रबंधन कर रहे हैं। जहां जरूरत है वहां बाड़बंदी की जा रही हैं। 10,000 चीतलों का स्थानांतरण किया है।