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उज्जैन लैंड पूलिंग नीति पूरी तरह निरस्त: किसान संघ की आंदोलन की चेतावनी के बाद सरकार झुकी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Tue, 16 Dec 2025 11:04 PM IST
सार

उज्जैन में प्रस्तावित लैंड पूलिंग नीति को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इसे पूरी तरह निरस्त कर दिया है। किसान संगठनों के विरोध और आंदोलन की चेतावनी के बाद शासन ने योजना वापस ले ली है।

 

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Ujjain land pooling policy completely scrapped: Government backs down after farmers' union threatens agitation
वल्लभ भवन, भोपाल - फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
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मध्य प्रदेश शासन ने उज्जैन विकास प्राधिकरण की सिंहस्थ लैंड पूलिंग योजना अंतर्गत प्रस्तावित नगर विकास स्कीम क्रमांक 8, 9, 10 और 11 को पूरी तरह निरस्त कर दिया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार पूर्व में किए गए संशोधन को भी रद्द करते हुए अब इन सभी नगर विकास योजनाओं को जनहित में वापस ले लिया गया है। शासन ने आदेश को राजपत्र (गजट) में प्रकाशित भी कर दिया है। यह निर्णय भारतीय किसान संघ के 26 दिसंबर से उज्जैन में ‘घेरा डालो–डेरा डालो’ आंदोलन की चेतावनी के बाद लिया गया है। किसान संघ ने स्पष्ट कर दिया था कि जब तक लैंड पूलिंग नीति को पूरी तरह निरस्त करने का लिखित आदेश जारी नहीं होता, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी। आंदोलन की घोषणा के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव की स्थिति लगातार गहराती जा रही थी। दरअसल, सिंहस्थ कुंभ मेला 2028 की तैयारियों के तहत उज्जैन क्षेत्र में दीर्घकालिक विकास योजनाओं के अंतर्गत किसानों की भूमि को लैंड पूलिंग के माध्यम से विकसित करने का प्रस्ताव था। इस नीति के तहत जमीनों के अधिग्रहण और पुनर्विकास को लेकर किसानों में भारी असंतोष था। किसान संगठनों का आरोप था कि यह नीति उनकी सहमति के बिना लागू की जा रही है और इससे उनकी जमीनों पर स्थायी असर पड़ेगा।
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19 नवंबर का आदेश सिर्फ संशोधन था
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा था कि 19 नवंबर को जारी आदेश केवल संशोधन था, निरस्तीकरण नहीं। इसके बाद प्रदेश के 18 जिलों के किसान प्रतिनिधियों की बैठक में सर्वसम्मति से आंदोलन का निर्णय लिया गया। किसानों ने एलान किया था कि 26 दिसंबर से विक्रमादित्य प्रशासनिक भवन का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। अब शासन द्वारा लैंड पूलिंग योजना को पूरी तरह निरस्त किए जाने को किसान आंदोलन की बड़ी जीत माना जा रहा है।  

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उज्जैन लैंड पूलिंग पॉलिसी यह थी
उज्जैन लैंड पूलिंग पॉलिसी दरअसल सिंहस्थ कुंभ 2028 को ध्यान में रखते हुए उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) द्वारा प्रस्तावित एक शहरी विकास योजना थी। इसके तहत शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी मात्रा में किसानों की निजी जमीन को एक साथ पूल (एकत्र) कर सुनियोजित तरीके से विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया था। यानी सरकार जमीनों को अधिग्रहित कर सड़क, सीवर, ड्रेनेज, बिजली, पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं का विकास, सिंहस्थ के लिए स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना, उज्जैन के विस्तार को मास्टर प्लान के तहत विकसित करना था। 

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योजना में किसानों को क्या दिया जाना था?
किसानों से जमीन लेकर उसे विकसित करने के बाद विकसित भूमि का एक हिस्सा (कम लेकिन अधिक मूल्य वाला) किसान को लौटाने का प्रावधान रखा गया था। शेष भूमि पर शासन/प्राधिकरण द्वारा शहरी विकास में उपयोग की थी। 

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किसान संगठन क्यों नाराज हुए?
भारतीय किसान संघ समेत अन्य किसान संगठनों को जमीन पर स्थायी नियंत्रण खत्म होने का डर था। किसानों का कहना था कि एक बार जमीन लैंड पूलिंग में चली गई तो उस पर उनका  अधिकार कमजोर हो जाएगा। कितनी जमीन लौटेगी, कब लौटेगी और किस कीमत पर इस पर स्पष्ट और कानूनी भरोसा नहीं था। किसानों का तर्क था कि यह अधिग्रहण जैसा ही है, लेकिन बिना सीधा मुआवजा दिए। इसमें आरोप लगे कि कई जगह किसानों की स्पष्ट सहमति के बिना योजना लागू करने की तैयारी थी। किसान संगठनों का कहना था कि सिंहस्थ अस्थायी आयोजन है, लेकिन इसके नाम पर जमीन की स्थायी योजना बनाई जा रही थी।

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भाजपा विधायक ने भी किया योजना का विरोध 
उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने लैंड पूलिंग योजना को लेकर अपनी ही सरकार के फैसले पर असहमति जताई है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा है कि यह योजना किसानों के हित में नहीं है और इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। विधायक जैन ने लिखा कि 17 नवंबर को भोपाल में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुई बैठक में योजना वापस लेने का निर्णय लिया गया था, जिसके बाद किसान संघ ने उत्सव रैली भी निकाली थी। इसके बावजूद यदि योजना लागू मानी जा रही है और किसान 26 दिसंबर से आंदोलन करने को मजबूर हैं, तो वे स्वयं भी किसानों के समर्थन में आंदोलन में शामिल होंगे। विधायक के इस रुख से लैंड पूलिंग योजना को लेकर भाजपा के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।

भाजपा विधायक ने भी दिया था विरोध में बयान, देखें वीडियो
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